अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
सिरसा: सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने सिरसा में आगामी 24 दिसंबर को होने वाली किसान मजदूर आक्रोश रैली के लिए सेक्टर- 19 स्थित हुडा ग्राउन्ड में रैली स्थल का निरीक्षण किया और तैयारियों का जायजा लेकर जरूरी दिशा-निर्देश भी दिए। उन्होंने कहा कि 2014 से लेकर 2019 तक इनेलो जो हरियाणा में सबसे बड़ा विपक्षी दल था, वो विपक्ष की भूमिका निभाने की बजाय बीजेपी की बी टीम के रूप में काम करता रहा। जिसके परिणामस्वरूप 2019 के चुनाव में उसकी सीटें घटकर 20 से 1 रह गई। इनेलो नेता बीजेपी सरकार पर हमला बोलने की बजाय भूपेन्द्र सिंह हुड्डा पर हमले करते रहे। वहीं, बीजेपी को जमना पार भेजने के नाम पर वोट मांगने वाली जेजेपी भी इनेलो के पदचिन्हों पर चल रही है। इनका भी वही हाल होगा जो 2019 के चुनाव में इनेलो का हुआ था। इनेलो तो 20 से 1 सीट पर आ गई, जेजेपी 10 से 0 पर पहुँच जाएगी। दीपेन्द्र हुड्डा ने यह भी जोड़ा कि 2019 के चुनाव में जेजेपी को मिले सारे वोट यदि कांग्रेस को मिलते तो कांग्रेस की 61 सीट आती। अब एक बार फिर बीजेपी-जेजेपी का चुनाव के पहले समझौता तोड़ने का अघोषित समझौता हो गया है। इनका मकसद कांग्रेस के वोट में सेंध मारने का है।
लेकिन हरियाणा की जनता इस बार इनके बहकावे में आने वाली नहीं है। इस दौरान पत्रकारों से बातचीत करते हुए दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि किसान आंदोलन में शहीद 750 किसान -मजदूरों की याद में होने वाली किसान-मजदूर आक्रोश रैली के माध्यम से इस सरकार के अहंकार के खिलाफ रोष व्यक्त करेंगे और 750 किसान-मजदूरों को श्रद्धांजलि भी देंगे। उन्होंने कहा कि किसान-मजदूर आक्रोश रैली के जरिए इस सरकार को 750 किसानों के बलिदान की याद दिलाते हुए किसानों व सरकार के बीच हुए समझौते को लागू करने के लिए मजबूर करेंगे। दीपेन्द्र हुड्डा ने यह भी कहा कि बीजेपी-जेजेपी सरकार से जनता ऊब चुकी है और काँग्रेस पार्टी की तरफ उम्मीद भरी निगाहों से देख रही है। इस रैली के साथ ही हरियाणा में परिवर्तन का बिगुल बज जाएगा। रैली को लेकर प्रदेश भर में उत्साह का माहौल है। उन्होंने ये भी कहा कि किसान-मजदूर आक्रोश रैली इस सरकार के अहंकार को चकनाचूर करने का काम करेगी। उन्होंने एलनाबाद के गाँव कागदाना,जमाल आदि स्थानों में आयोजित जनसभाओं को भी संबोधित किया और लोगों को रैली का न्योता दिया। उन्होंने कहा कि इस सरकार का अहंकार सातवें आसमान पर है। इसी अहंकार के चलते सरकार देश की कृषि अर्थव्यवस्था को चंद बड़े उद्योपतियों को सौंपने की नीति लेकर आयी थी। जिसके खिलाफ किसान, मजदूर, आढ़ती, छोटा व्यापारी, एकजुट हो गए और एक साल से ज्यादा समय तक आंदोलन किया और 750 किसानों ने अपना बलिदान दे दिया। किसानों का ये बलिदान याद रखेगा हिंदुस्तान। इस रैली का लक्ष्य शहीद किसानों को श्रद्धांजलि और बीजेपी-जेजेपी के अहंकार को चकनाचूर करना है, साथ ही प्रदेश में बदलाव का बिगुल बजाना है। हम शहीद किसानों का बलिदान व्यर्थ जाने नहीं देंगे। दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि 2014 के पहले विकास के मामले में हरियाणा की गिनती देश के सबसे अग्रणी राज्यों में होती थी। लेकिन साढ़े 9 साल बाद हरियाणा विकास में 17वें नंबर पर पहुंच गया और बेरोजगारी, महंगाई, अपराध, नशाखोरी और भ्रष्टाचार में नंबर 1 पर पहुंच गया है। हरियाणा में बीजेपी-जेजेपी गठबंधन सरकार भ्रष्टाचार के आधार पर बनी है। 2019 के चुनाव में बीजेपी ने 75 पार का नारा दिया था तो जेजेपी ने बीजेपी को करो जमना पार का नारा लगाया लेकिन चुनाव के बाद दोनों ने मिलकर भ्रष्ट सरकार बना दी। दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि बीजेपी-जेजेपी का समझौता 5100 रुपये पेंशन देने का नहीं था, बल्कि आपस में महकमे बांटकर मिलकर लूटने का और अपने भ्रष्टाचार की फाईलों को बंद कराने का समझौता था। वहीँ बीजेपी का मकसद काला धन वापिस लाने का नहीं बल्कि कालेधन वालों को बीजेपी में लाकर उनके भ्रष्टाचार की फाईलों को बंद कराने और काले धन को सफेद बनाने का था। उन्होंने कहा कि बीजेपी-जेजेपी ने पूरे हरियाणा में बेरोजगारों की फौज खड़ी कर दी। भारत सरकार के आंकड़े बता रहे कि दिल्ली के तीन तरफ लगा हरियाणा देश में बेरोजगारी में नंबर 1 पर हैं। 2 लाख से ज्यादा सरकारी नौकरियां समाप्त कर दी गयी। कौशल निगम के जरिए पक्की नौकरियों को कच्चे में बदल दिया गया। पिछले 5 साल में भी कोई भर्ती नहीं हुई। यदि कहीं कोई लिस्ट आयी भी तो उसमें ज्यादातर हरियाणा से बाहर के लोगों की भर्ती कर दी गयी। इसका उदाहरण देते हुए दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि एसडीओ भर्ती में 80 में से 78 बाहर के चयनित हुए। एसडीओ इलेक्ट्रिकल में 99 में से 77 बाहर के, असिस्टेंट प्रोफेसर टेक्निकल की लिस्ट में 156 में से 103 बाहर के चयनित हुए। उन्होंने कहा कि हरियाणा में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। देश की सबसे प्रतिष्ठित यूपीएससी परीक्षा में सबसे ज्यादा हरियाणा के लोगों के नाम आते हैं। लेकिन राज्य सरकार की गलत नीतियों से प्रदेश बेरोजगारी के गर्त में पहुँच गया है। इस अवसर पर प्रमुख रूप से पूर्व सांसद सुशील इंदौरा, पूर्व विधायक भरत सिंह बेनीवाल, पूर्व सीपीएस प्रह्लाद सिंह गिल्लाखेड़ा, पूर्व विधायक नरेश सेलवाल, पूर्व विधायक कुलबीर बेनीवाल, डॉ. वीरेंद्र सिवाच, संतोष बेनीवाल, सुमित बेनीवाल, राज कुमार शर्मा, चेयरमैन राम सिंह सोलंकी, अमीरचंद चावला, राम सिंह बेनीवाल, संदीप बेनीवाल, सुभाष जोधपुरिया, हनुमान जाखड़, नन्दलाल बेनीवाल, राम कुमार सरपंच, दारा सिंह बेनीवाल, मोहित शर्मा, भूपेन्द्र कासनिया, राम सिंह नंबरदार, मनीष ढिल्लों, गजेंदर ओकल, दिनपाल हुड्डा समेत बड़ी संख्या में स्थानीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, कार्यकर्ता मौजूद रहे। ***
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