अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
यमुनानगर: सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने शुगर मिलों में साढ़े 5 हजार करोड़ का घाटा बताकर किसानों को खुद शुगर मिल चलाने के मुख्यमंत्री के प्रस्ताव को गैर-जिम्मेदाराना बताते हुए कहा कि हरियाणा सरकार पर तो सवा 3 लाख करोड़ से अधिक का कर्जा है फिर तो सरकार भी छोड़ दें मुख्यमंत्री। सरकार ने गन्ने का रेट सिर्फ 10 रुपये बढ़ाया है जो किसान के खून-पसीने की कमाई के साथ क्रूर मजाक है। पड़ोसी राज्य पंजाब में रिकवरी कम होने के बावजूद ज्यादा भाव मिल रहा है। उन्होंने कहा कि गन्ना किसानों की 450 रुपये प्रति क्विंटल की मांग जायज है सरकार इसे तुरंत स्वीकार करे। दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि कांग्रेस की पूर्ववर्ती हुड्डा सरकार के समय पूरे देश में सबसे ज्यादा गन्ने का भाव हरियाणा में मिलता था। हुड्डा सरकार ने गन्ने का भाव 2005 में ₹117 से बढ़ा के 2014 तक ₹310 तक पहुँचाया, यानी 9 साल में 165% की बढ़ोत्तरी की गई। जबकि BJP सरकार ने 9 साल में गन्ने का भाव ₹310 से ₹372 किया यानी 20% वृद्धि ही हुई।
इस हिसाब से देखा जाए तो हुड्डा सरकार ने हर साल गन्ने के भाव में 18% औसत वृद्धि की तो बीजेपी सरकार ने सिर्फ 2% औसत ही वृद्धि की। उन्होंने यह भी बताया कि हुड्डा सरकार के समय गन्ना किसानों को साथ के साथ भुगतान भी मिलता था और 2014 में जिस दिन हमने सरकार छोड़ी थी, किसानों का एक पैसा गन्ना मिलों पर बकाया नहीं था। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार किसानों को उनकी मेहनत का वाजिब दाम भी देना नहीं चाहती।
यमुनानगर में ब्रजपाल छप्पर के यहाँ एक सामाजिक कार्यक्रम में पहुंचे दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि बीजेपी-जेजेपी सरकार देश का पेट भरने वाले अन्नदाता को लगातार अपमानित कर रही है।
गन्ने के भाव में महज 10 रुपये की वृद्धि से मौजूदा सरकार का किसान विरोधी चेहरा पूरी तरह उजागर हो गया है। दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी के भाजपा की हवा-हवाई दावों की भी पोल खुल गई है। 2022 खत्म हो गया और 2023 का एक महीना पूरा होने वाला है। किसान की आमदनी दोगुनी तो दूर की बात है उसे फसल का वाजिब दाम मिलना मुश्किल हो रहा है। जबकि, रोजमर्रा की महंगाई और खेती की लागत में भारी वृद्धि हो चुकी है।
सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने यह भी कहा कि भाजपा सरकार ने जिस समय किसानों की आय 2022 तक दोगुनी करने का वादा किया था उस समय हरियाणा में गन्ने का रेट 317 रुपये था, जिसका दोगुना 634 रुपये होता है। इस हिसाब से भाजपा सरकार को गन्ना किसान की आमदनी दोगुनी करने के लिये रेट कम से कम 634 रुपये तो करना ही चाहिए था। लेकिन मौजूदा सरकार से किसानों को अब कोई उम्मीद नहीं बची। 9 साल में इस सरकार ने किसान को सबसे ज्यादा आर्थिक चोट मारी है और किसानों को बर्बादी के कगार पर पहुंचा दिया है। इस अवसर पर प्रमुख रूप से विधायक बी.एल. सैनी, पूर्व मंत्री सुभाष चौधरी, अशोक मेहता, बृजपाल छप्पर, दुष्यंत, विशाल सैनी आदि मौजूद रहे।
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