नई दिल्ली/नई दिल्ली
जयराम रमेश, संसद सदस्य, महासचिव (संचार) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा जारी वक्तव्य:1 जनवरी 2023 से 24 मई 2023 तक, अकेले कर्नाटक में भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने खुला बाज़ार बिक्री योजना (घरेलू) – OMSS(D) के तहत सभी राज्य सरकारों द्वारा ख़रीदे गए चावल का 95% से ज़्यादा 3,400 रुपए प्रति क्विंटल की दर से उठाया। ऐसा शायद मोदी-जी के “आशीर्वाद” के कारण हुआ होगा और कांग्रेस की सरकार बनने के बाद भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा की धमकी के अनुरूप इस “आशीर्वाद” को बिजली की गति से वापस ले लिया गया। आप सभी को याद होगा कि नड्डा ने चुनाव प्रचार के दौरान खुलेआम धमकी दी थी कि यदि कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बनती है तो राज्य प्रधानमंत्री के आशीर्वाद से वंचित हो जाएगा।
मोदी सरकार द्वारा किए गए तमाम दावों के बावजूद, अब यह बिल्कुल स्पष्ट है कि केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा 13 जून, 2023 को राज्यों के लिए OMSS(D) को बंद करने का आदेश मुख्य रूप से एक राज्य, कर्नाटक को निशाना बनाने के लिए दिया गया, जिसने इस वर्ष इस योजना के तहत राज्य सरकारों द्वारा ख़रीदे गए कुल चावल का 95 प्रतिशत से अधिक ख़रीदा था।वास्तव में, भारतीय खाद्य निगम (FCI) ने 6 जून, 2023 और 9 जून, 2023 को कर्नाटक में कांग्रेस के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के अनुरोध पर, 12 जून 2023 को OMSS(D) के तहत चावल की बिक्री के आदेश जारी किए थे। फिर एक ही दिन बाद, केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और खाद्य वितरण मंत्रालय ने राज्यों के लिए OMSS(D) को बंद कर दिया। स्पष्ट रूप से इसका लक्ष्य कर्नाटक के लोगों को कांग्रेस द्वारा गारंटीड अन्न भाग्य योजना 2.0 के कार्यान्वयन में बाधा डालना था। इसके तुरंत बाद 14 जून, 2023 को FCI के GM कर्नाटक ने 12 जून, 2023 को चावल की बिक्री के पहले के आदेश को वापस ले लिया। इतना ही नहीं, 23 जून, 2023 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारतीय खाद्य निगम (FCI) के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक ने कहा कि शर्तें ऐसी रखी जाएंगी कि निजी व्यापारी भी दूसरे राज्य को नहीं बेच सकें। ऐसे में क्या यह कर्नाटक सरकार की योजना में बाधा डालने का स्पष्ट मामला नहीं है?मोदी सरकार का यह बेशर्मी से भरा कदम न सिर्फ कर्नाटक में कांग्रेस सरकार द्वारा गारंटीकृत अतिरिक्त 5 किलोग्राम मुफ़्त चावल ( जो कि कुल मिलाकर अब 10 किलोग्राम मुफ़्त चावल होगा) को प्रभावित करने वाला है, बल्कि यह 5 किलोग्राम मुफ़्त चावल की मूल पात्रता को भी प्रभावित करता है जो कि कर्नाटक की राज्य सरकार द्वारा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत केंद्र सरकार के निर्धारण से परे 39 लाख अतिरिक्त बीपीएल लाभार्थियों को दिया जा रहा है।सच्चाई यह है कि FCI के पास कर्नाटक और देश की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त स्टॉक है, लेकिन मोदी सरकार कर्नाटक सरकार के लिए अपनी गारंटी को पूरा करने के हर रास्ते को बंद करने की भरपूर कोशिश कर रही है।यदि मोदी सरकार के दावे के अनुसार चावल के स्टॉक की कमी है, तो ऐसा क्यों है कि इथेनॉल उत्पादन और पेट्रोल की ब्लेंडिंग के लिए भारतीय खाद्य निगम (FCI) के केंद्रीय पूल स्टॉक से चावल का आवंटन और उठाव 2,000 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर जारी है?
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