अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद: जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए फरीदाबाद द्वारा फ्यूजन आफ साईंस एंड टैक्नाॅलोजी पर आयोजित 8वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (आईएसएफटी-2020) का आज उद्घाटन हुआ। सम्मेलन में देश के विभिन्न राज्यों तथा विदेशों से लगभग 400 प्रतिभागी हिस्सा ले रहे है। सम्मेलन के पहले दिन पांच तकनीकी सत्र, दो प्लेनरी सत्र तथा एक पोस्टर सत्र आयोजित किया गया। उद्घाटन सत्र में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के पूर्व चेयरमैन डाॅ. वेद प्रकाश मुख्य अतिथि रहे। सत्र की अध्यक्षता कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने की। सत्र में एनआईटी श्रीनगर के निदेशक डाॅ राकेश सहगल, डेकेन इंडिया के प्रबंध निदेशक एवं सीईओ कंवलजीत जावा, श्रीराम कालेज आफ इंजीनियरिंग एवं मैनेजमेंट, पलवल के ट्रस्टी सीए संतोष कुमार तथा दिल्ली टेक्नोलाॅजिकल युनिवर्सिटी से प्रो. नवीन कुमार उपस्थित थे तथा सत्र को संबोधित किया।उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता डाॅ. वेद प्रकाश ने समाज की प्रमुख समस्याओं के समाधान में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की भूमिका को अहम बताया। उन्होंने शोध विश्वविद्यालय की अवधारणा के कार्यों को लेकर विस्तार से चर्चा की तथा स्कूली स्तर पर विज्ञान को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि बहुत से विद्यार्थी आज भी विज्ञान को कठिन विषय के रूप में देखते है और विज्ञान विषय को बीच में ही छोड़ देते है, जो चिंता का विषय हैं इसके लिए उन्होंने स्कूल शिक्षा प्रणाली में सुधार लाने की आवश्यकता पर बल दिया।
उन्होंने कहा कि स्कूलों में विज्ञान को फिजिक्स, कैमिस्ट्री और बायोलाॅजी को एक साथ पढ़ाया जाता है, जबकि ये विषय अलग-अगल पढ़ाये जाने चाहिए। उन्होंने शोधकर्ताओं तथा तकनीकीविद्ों से आह्वान किया कि वे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के नये अनुसंधानों को स्कूली स्तर तक लेकर जाये ताकि विज्ञान के प्रति विद्यार्थियों का रूझान बढे। सत्र को संबोधित करते हुए एनआईटी श्रीनगर के निदेशक राकेश सहगल ने कहा कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में तेजी से हो रहे बदलावों से औद्योगिक एवं अकादमिक के बीच अंतराल बढ़ रहा है, जिसे भरने की आवश्यकता हैं। उन्होंने प्रौद्योगिकीय बदलावों को समझने के दृष्टिगत अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों के आयोजन को महत्वपूर्ण बताया।अपने अध्यक्षीय संबोधन में कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने अनुसंधान एवं नवाचार को समाज से जोड़ते हुए कहा कि सतत आर्थिक एवं सामाजिक विकास के लिए शैक्षणिक संस्थानों की भूमिका महत्वूपर्ण है। उन्होंने कहा कि जे.सी. बोस विश्वविद्यालय नवाचार, अंतःविषय अनुसंधान और अंतर्राष्ट्रीयकरण को केन्द्र में रखते हुए एक अनुसंधान विश्वविद्यालय के रूप में विकसित हो रहा है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय का नाम महान वैज्ञानिक जगदीश चन्द्र बोस के नाम पर है, जो अपने अंतःविषय शोध के लिए जाने जाते है। उन्होंने आशा जताई कि सम्मेलन के दौरान होने वाले विचार-विमर्श जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक समस्या के समाधान तथा पर्यावरण अनुकूलित प्रौद्योगिकीय विकास को बढ़ावा देने में मददगार होंगे।डेकेन इंडिया के प्रबंध निदेशक एवं सीईओ कंवलजीत जावा, जो विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र रहे है, ने सत्र को संबोधित करते हुए डेकेन द्वारा हरित प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए किये जा रहे प्रयासों का उल्लेख किया।
अंत में कुलसचिव डाॅ. सुनील कुमार गर्ग ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। इससे पूर्व, टीईक्यूआईपी निदेशक डाॅ.विक्रम सिंह ने सम्मेलन में प्रतिभागियों का स्वागत किया।उद्घाटन सत्र में सम्मेलन की पुस्तिका तथा मोबाइल एप का भी विमोचन किया गया। मोबाइल एप को विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों एवं फैकल्टी द्वारा विकसित किया गया है। आज सम्मेलन के पांच तकनीकी सत्रों में 60 से ज्यादा शोध पत्र रखें गये तथा लगभग 25 पोस्टर प्रस्तुति दी गई। विश्वकर्मा विश्वविद्यालय के कुलपति राज नेहरू की अध्यक्षता में आयोजित पहले प्लेनरी सत्र में युनिवर्सिटी आफ फ्लोरिडा से प्रो. आॅटर काव, सायकाॅम लैबोरेट्री नायजी ली ग्रैंड फ्रांस से प्रो. ओलिवर फ्रेंकिस, बाबुल नोशिरवानी युनिवर्सिटी आफ टेक्नोलाॅजी, ईरान से प्रो. घासेम नजफपुर तथा पुसान नेशनल युनिवर्सिटी, बुसान, कोरिया से प्रो. एच.सी. लिम ने आमंत्रित वक्तव्य प्रस्तुत किये। इस सत्र की सह अध्यक्षता प्रो. संदीप ग्रोवर ने की। इसी प्रकार, सीएसआईआर के राष्ट्रीय विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं विकास अध्ययन संस्थान, नई दिल्ली की निदेशक प्रो. रंजना अग्रवाल की अध्यक्षता में आयोजित दूसरे प्लेनरी सत्र में युनिवर्सिटी आफ फ्लोरिडा से प्रो. राजीव दूबे तथा प्रो. स्टीफन सुंदर राव, युनिवर्सिटी आफ कैलाब्रिया, रेंडे, इटली से डाॅ. विन्सेन्जा कालब्रैव, युनिवर्सिटी आफ क्वाजुलु-नटाल, साउथ अफ्रीका से श्रीकांत बी जोनागलगड्डा तथा क्योटो युनिवर्सिटी, जापान से प्रो. हिडकी ओहगाकी ने वक्तव्य प्रस्तुत किया।उल्लेखनीय है कि सम्मेलन में भारत के विभिन्न विश्वविद्यालयों के अलावा अमेरिका, साउथ कोरिया, फ्रांस, थाईलैंड, इटली, ईरान, जापान, जर्मनी, ईरान, नाइजीरिया, साउदी अरब तथा म्यांमार से भी प्रतिभागी हिस्सा ले रहे है। सम्मेलन मुख्यतः अंतःविषय अनुसंधान पर केन्द्रित है और मुख्य चर्चा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में फ्यूजन द्वारा भविष्य की प्रौद्योगिकी तथा नये अनुसंधान पर है।