अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद: जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद अब आर.वी. कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, बेंगलुरु के साथ मिलकर स्थानीय उद्योगों से जुड़ी ‘इंटरनेट ऑफ थिंग्स’ आधारित तथा स्मार्ट सिटी परियोजनाओं परियोजनाओं पर काम करेगा। यह जानकारी कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने आर.वी. कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, बेंगलुरु के प्रिंसिपल डॉ. के.एन. सुब्रमण्य के साथ विस्तृत चर्चा के बाद दी। बैठक में विश्वविद्यालय के सभी डीन और विभागाध्यक्षों ने भाग लिया। डॉ. के.एन. सुब्रमण्य ने कहा कि विश्वविद्यालय के पास औद्योगिक टाउनशिप के बीच में रणनीतिक स्थिति का लाभ है और कंसल्टेंसी परियोजनाओं को लाने की एक बड़ी क्षमता है, जिस पर दोनों संस्थान पारस्परिक रूप से काम कर सकते हैं। कुलपति प्रो दिनेश कुमार ने कहा कि विश्वविद्यालय स्मार्ट परिसर पहल की दिशा में भी काम कर रहा है और दोनों संस्थान जल-गुणवत्ता, वायु-प्रदूषण और सतत परिवहन सुविधाओं में सुधार के क्षेत्र में भविष्य की स्मार्ट सिटी परियोजना के लिए समाधान प्रदान करने पर कार्य कर सकते हैं। डॉ. के.एन. सुब्रमण्यम ने विश्वविद्यालय परिसर का विभिन्न सुविधाओं और प्रयोगशालाओं का भी जायजा लिया। इस अवसर पर कुलसचिव डाॅ. एस.के. गर्ग भी उपस्थित थे।
उल्लेखनीय है कि कि विश्वविद्यालय ने हाल ही में अनुसंधान और शैक्षणिक गतिविधियों में सहयोग के लिए आर.वी. इंजीनियरिंग कॉलेज, बेंगलुरु के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। आर.वी. कॉलेज के विशेषज्ञों द्वारा विश्वविद्यालय में इंटरनेट ऑफ थिंग्स पर दो दिवसीय कार्यशाला में व्याख्यान श्रृंखला भी आयोजित की। यह कार्यशाला विश्वविद्यालय के टीईक्यूआईपी-3 परियोजना के तहत प्रायोजित थी। इस अवसर पर टीईक्यूआईपी से डॉ. विक्रम सिंह और डॉ. मुनीश वशिष्ठ भी उपस्थित थे।
दो दिवसीय कार्यशाला के दौरान, विशेषज्ञ वक्ताओं डॉ. गोविंदराजु, प्रोफेसर गिरीश राव सलेंके, डॉ. राजेश्वर राव, डॉ. शंकुमुख नागराज, डॉ. रेणुकाप्रसाद और प्रोफेसर रविशंकर ने डेटा एनालिटिक्स, नेटवर्किंग, एप्लीकेशन डेवलपमेंट, इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्ट सिस्टम और औद्योगिक इंटरनेट ऑफ थिंग्स विषयों पर विस्तार से जानकारी दी।
कंप्यूटर इंजीनियरिंग विभाग के अध्यक्ष डॉ. कोमल कुमार भाटिया ने कहा कि वर्तमान प्रौद्योगिकी इंटरनेट ऑफ थिंग्स की ओर बढ़ रही है और इस उन्नत तकनीक को लेकर संकाय सदस्यों तथा विद्यार्थियों को अपडेटिड रहने की आवश्यकता है। इसलिए, कार्यशाला का उद्देश्य प्रतिभागियों को इंटरनेट ऑफ थिंग्स आधारित प्रोजेक्ट निर्माण के लिए सक्षम बनाना था। कार्यशाला को दो चरणों में विभाजित किया गया था, जिसमें पहला चरण विश्वविद्यालय के छात्रों के लिए और दूसरा चरण संकाय सदस्यों और अनुसंधान कर्ताओं के लिए आयोजित किया गया था। पहले चरण में, छात्रों को सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर आवश्यकताओं के साथ इंटरनेट ऑफ थिंग्स के बुनियादी बिल्डिंग ब्लॉक के बारे में अवगत कराया गया। छात्रों को विभिन्न इंटरनेट ऑफ थिंग्स आधारित परियोजनाओं का लाइव डेमो भी दिया गया। दूसरे चरण में, इंटरनेट ऑफ थिंग्स के क्षेत्र में शोध कार्य और कार्यक्षेत्र पर चर्चा की गई। कार्यशाला के सत्रों का समन्वय डॉ. पारुल तोमल और डॉ. सपना गंभीर द्वारा किया गया।