अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद:ओल्ड फरीदाबाद नगर निगम में एक ऐसा गिरोह सक्रीय हैं,जो पहले तो बिल्डरों की बिल्डिंगें बनवाता हैं,फिर उन बिल्डिंगों को तोड़फोड़ से बचाने के लिए अदालत से स्टे लेने का रास्ता दिखता हैं,जब तक उसे स्टे नहीं मिल जाता, तब तक सम्बंधित अधिकारी शिकायतकर्ता व पत्रकारों को गुमराह करने हेतु पुलिस फाॅर्स मांगी हुई हैं,जब पुलिस फाॅर्स मिल जाती हैं,फिर डियूटी मजिस्टेट नहीं मिलने का बहाना बना कर,उस बिल्डिंगों को तैयार करवा देते हैं,के बाद उन बिल्डरों को नोटिस देकर,कोर्ट जाने की सलाह भी देते हैं और वहां से स्टे ले लेते हैं,जिससे बिल्डरों का अवैध निर्माण टूटने से बच जाता हैं और सम्बंधित अधिकारीयों को अच्छा खासा पैसा इस एवज में मिल जाता हैं।
आज की खबर में 8 दुकानों की तीन अलग -अलग तस्बीरें लगाए गए हैं जिसे देख कर आप स्वंय समझ सकतें हैं,इस अंतराल में आखिर कार नगर निगम ने अवैध रूप से बने इन 8 दुकानों को तोड़ी क्यों नहीं। ओल्ड फरीदाबाद नगर निगम के तोड़फोड़ विभाग के एसडीओ ओ. पी.मोर का कहना हैं कि इन 8 दुकानों को वह अपने टीम के साथ तोड़ने गए थे पर निर्माण कर्ता ने उन्हें अदालत के स्टे दिखा दिया। इस कारण से वह उन दुकानों को तोड़ नहीं पाए थे।
आपको बतातें हैं कि सेक्टर -29 से आप थोड़ा आगे वजीर रोड की तरफ चलेंगें तो दाहिने तरफ में 8 दुकानें अवैध रूप से बनाई गई हैं, इन दुकानों की पहली तस्बीर 30 अगस्त की खबर में अथर्व न्यूज़ ने प्रकाशित की थी,इन निर्माणधीन दुकानों में आम लोगों को धोखा देने के लिए चारों तरफ पिली मिटटी की लेप लगाई हुई हैं, जिससे यह दुकानें काफी पुरानी लगे,इसके बाद इन दुकानों की दूसरी तस्बीर जिसमें नीले शटर लगे हुए हैं, की खबर 7 सितंबर 2018 को खबर के साथ प्रकाशित की गई थी,तीसरी तस्बीर इस खबर के साथ आज प्रकाशित की जा रही हैं।
बीते एक -सवा महीने के अंतराल में ओल्ड फरीदाबाद के सम्बंधित विभाग ने इन अवैध दुकानों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की और अब बताते हैं कि इन दुकानों पर स्टे हैं।अक्सर देखा गया हैं कि निगमायुक्त अवैध निर्माणों पर हल्की फुल्की कार्रवाई करके सुखियों में नगर निगम रहता हैं, असल में जहां नगर निगम ने कार्रवाई करनी होती हैं,वहां तो अपनी आंखे बंद कर लेती हैं,क्यूंकि वहां पर उनका अपना उल्लू सीधा बेहतरीन तरीके हो जाता हैं।वहीँ, किसी मंत्री के गुर्गें का कार्य हो, चाहे कितना ही बड़ा कार्य हो,उसके लिए सभी के सभी सम्बंधित अधिकारी भी इकठ्ठे हो जाते हैं, उन्हें भरपूर पुलिस फाॅर्स भी मिल जाती हैं और डियूटी मजिस्टेट भी मिल जाता हैं और मजबूती के साथ ही पूरा -पूरा का जमीन खाली हो जाता हैं। जैसा की पिछले दिनों बाटा चौक के मेन रोड की कई करोड़ों की जमीन को खाली करा लिया गया था।अवैध निर्माणकर्ताओं को अवैध दुकानों पर अदालत से आखिर स्टे क्यों मिलता हैं का जवाव सम्बंधित अधिकारी के पास नहीं हैं।
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