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कट्टर ईमानदारी से घोर भ्रष्टाचारी तक का सफर केजरीवाल एंड कंपनी ने बहुत जल्दी पूरा कर लिया-कांग्रेस

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: कांग्रेस प्रवक्ता डॉ रागिनी नायक ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा- आज की प्रेस वार्ता यह कहकर शुरु करना चाहती हूँ कि- ईमानदारी और पारदर्शिता की नींव पर वैकल्पिक राजनीति की बड़ी ईमारत खड़ी करने का बड़ा दावा करके दिल्ली की सत्ता पर काबिज हुए अरविंद केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी,किस तरह सरेआम बेनकाब हो रही है, ये बात बहते पानी की तरह साफ है। कट्टर ईमानदारी से घोर भ्रष्टाचारी तक का सफर केजरीवाल एंड कंपनी ने बहुत जल्दी पूरा कर लिया। तो आज की प्रेस वार्ता मैं तीन सवाल पूछकर शुरू करूँगी और उसके बाद एक कहावत आपने सुनी होगी, चोर-चोर मौसेरे भाई, तो भाजपा, केजरीवाल की पार्टी और उनके नेताओं से एक कदम भी पीछे नहीं हैं, शराब माफियाओं के साथ सांठ-गांठ करने में, पैसा उगाही करने में, ब्लैक लिस्टेड कंपनियों से चंदा लेने में, इस बात का खुलासा दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अनिल चौधरी करेंगे। पर पहले तीन सवाल बहुत ही प्रमुख तीन सवाल, जो आम आदमी पार्टी से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पूछना चाहती है।

तो पहला सवाल ये है, बहुत ही सीधा, स्पष्ट पर थोड़ा कड़ा सवाल है कि आम आदमी पार्टी ये तय करके प्रेस वार्ता करे और दिल्ली की जनता को जानकारी दे कि उनकी शराब नीति उनके हिसाब से सही है या गलत है। अगर सही है, तो सीबीआई जांच की खबर आते ही ये डर के मारे टांगे क्यों कांपने लगीं? जिस नीति को लाभकारी बताते थे, जिस नीति को दिल्ली को रेवेन्यू सरप्लस बनाने की सबसे मजबूत कड़ी बताते थे, उस नीति को वापस क्यों लेना पड़ा? वापस लेकर उन्हीं शीला दीक्षित, जिनके बारे में बेईमान-बेईमान लिखकर पोस्टर ऑटो के पीछे चिपकाए जाते थे, उन्हीं शीला दीक्षित जी की नीति की शरण में क्यों आना पड़ा, ये तो बताना चाहिए और अगर वो यह कहते हैं कि नीति सही नहीं थी, इसलिए वापस ली तो गलत नीति पर मनीष सिसोदिया के खिलाफ कार्यवाही क्यों न हों, ये भी बताना चाहिए। गलत काम करेंऔर सीबीआई की जांच न हो, ये आम आदमी की तो डिमांड नहीं हो सकती, ये तो बड़ा वीवीआईपी कल्चर है, हम नेता है, हम मंत्री हैं, तो हमारी जांच भी नहीं हो सकती। कितने दूध के धुले हैं, मनीष सिसोदिया, क्या इस बात का, दूध का दूध और पानी का पानी नहीं होना चाहिए? ये पहला सवाल है।

अब दूसरा सवाल, लोकतांत्रिक मूल्यों में जो भी व्यक्ति, नेता, राजनैतिक दल विश्वास करता है, मैं समझती हूँ कि उसका कर्तव्य बन जाता है कि अगर उन्हीं लोकतांत्रिक मूल्यों का कोई हनन करने की कोशिश कर रहा है, पैसों का लालच देकर पार्टी तोड़ने की कोशिश कर रहा है, अलग-अलग किस्म के प्रलोभनों के जरिए, संघीय ढांचे पर चोट करने की कोशिश कर रहा है और मनीष सिसोदिया जी को फोन करके एकनाथ शिंदे बनाकर पार्टी में दो फाड़ करने की कोशिश कर रहा है, तो उस आदमी का नाम और फोन नंबर आप सार्वजनिक करें। किसे बचाना चाहते हैं आप? किसकी मदद करना चाहते हैं आप? कहीं ऐसा तो नहीं कि ‘ए’ टीम और ‘बी’ टीम का खेल फिर से शुरु हो गया है? हिमाचल औऱ गुजरात के मद्देनजर ये भाजपा और आम आदमी पार्टी की अगर साठगांठ नहीं है, तो मैं समझती हूँ कि पहली फुर्सत में एक प्रेस वार्ता करके यह बताना चाहिए कि वो कौन लोग हैं भाजपा के, जो 70 विधायकों में से 62 विधायकों की पार्टी को भी तोड़ने की चेष्ठा कर रहे हैं? अब आप खुद ही ये अंकगणित कर लीजिए कि 62 विधायकों का दो तिहाई कितना होगा औऱ उसके लिए क्या-क्या करना पड़ेगा, वैसे समय-समय पर मोदी जी साम, दाम, दंड और भेद से सरकारें गिराने की चेष्ठा करते रहते हैं, इसीलिए अगर हो रहा है, तो आप सार्वजनिक करिए, ये जरुरी है।

अब तीसरा सवाल और बड़ा इंट्रेस्टिंग सवाल है और इस पर जरा ध्यान दीजिएगा। पंजाब में इनकी सरकार है, आम आदमी पार्टी की सरकार है, स्वास्थ्य मंत्री पर आरोप लगता है और वो ढोल-नंगाड़े के साथ पूरे देश में बताते हैं कि हमने अरेस्ट कर लिया, ये नहीं बताते कि संगरूर में चुनाव था और तालियों के साथ वोट भी बंटोरने थे। पूरे देश में ढोल-नंगाड़े बजते हैं, अरेस्ट कर लिया, अरेस्ट कर लिया, पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री को अरेस्ट कर लिया। दिल्ली में मुख्य सचिव की रिपोर्ट आ जाती है, 144 करोड़ के घोटाले का खुलासा हो जाता है, सीबीआई की जांच, सीबीआई की एफआईआर आ जाती है, लेकिन मनीष सिसोदिया से इस्तीफा लेने के बजाय, केजरीवाल उन्हें भारत रत्न देना चाहते हैं। एक भ्रष्टाचारी को भारत रत्न देने की बात हो रही है। कमाल की बात ये भी है कि वहाँ का स्वास्थ्य मंत्री भी जेल में है, यहाँ का स्वास्थ्य मंत्री भी जेल में है। दो-ढाई महीने से जेल की हवा खा रहे हैं, याद्दाश्त चली गई, लेकिन इस्तीफा नहीं लिया गया, बर्खास्त नहीं किया गया। दिल्ली का स्वास्थ्य मंत्रालय कौन चला रहा है? याद्दाश्त गए हुए व्यक्ति जेल से चला रहे हैं या उनके बिहाफ़ पर कोई डिफैक्टो चला रहा है, किसी को मालूम नहीं है औऱ मालूम कैसे हो, ये तो मुख्यमंत्री ही ऐसे हैं, जिन्होंने कोई पोर्टफोलियो ही नहीं लिया हुआ है। दिल्ली की कोई जिम्मेदारी नहीं है उनके पास ताकि देश की राजनीति में पैर पसार सकें। तो ये जानना चाहती है भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अगर कोई केजरीवाल का करीबी भ्रष्टाचार करेगा, तो क्या ऐसे भ्रष्टाचारी को सौ खून माफ हैं? मनीष सिसोदिया पर कोई कार्यवाही नहीं होगी, या फिर ये मान लिया जाए कि ये तार सीधे मुख्यमंत्री के साथ ही जुड़े है, शराब माफिया से पैसा उगाही सिर्फ मनीष सिसोदिया तक ही सीमित नहीं है, केजरीवाल के हाथ भी इसमें रंगे हुए हैं और शायद इसलिए मनीष सिसोदिया का इस तरीके से बचाव हो रहा है।

तीन सवाल-शराब नीति सही है या गलत है, सही है तो वापस क्यों ली और गलत है तो गलत काम पर कार्यवाही क्यों न हो?

दूसरा सवाल आपकी पार्टी को कोई तोड़ने का षड़यंत्र रच रहा है, पैसा देकर खरीद-फरोख्त करने की कोशिश कर रहा है, तो आप मुंह में दही जमाकर क्यों बैठे हैं? सार्वजनिक करिए उस व्यक्ति की पहचान को। बताइए देश को कौन वो व्यक्ति है, जो लोकतंत्र का ऐसा मजाक उड़ाने की कोशिश कर रहा है? कौन सा दल है? केवल नाम लेने से कुछ नहीं होगा, आरोप साबित करने पड़ेंगे, क्योंकि आप वही व्यक्ति हैं, जो शीला जी के खिलाफ 14 फाइल लेकर घूमने की बात करते थे। 8 साल हो गए एक पन्ने का आरोप सिद्ध नहीं कर पाए। आपकी किसी बात पर कोई भरोसा नहीं किया जा सकता, जब तक आप तथ्य के साथ उसे जनता के सामने न करें, सार्वजनिक न करें।

तीसरा सवाल, पंजाब का स्वास्थ्य मंत्री अरेस्ट हो सकता है, तो सीबीआई की एफआईआर के बाद निष्पक्ष जांच के लिए मनीष सिसोदिया का इस्तीफा क्यों नहीं लिया जाता? जेल की हवा खा रहे, दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन का इस्तीफा क्यों नहीं लिया जाता, ये तीन सवाल हमने पूछे हैं।

अनिल चौधरी को माइक देने से पहले एक बात मैं और कहना चाहूँगी, क्योंकि मैं खुद इस बात से बहुत आहत हूँ। जैसे ही मनीष सिसोदिया जी की चोरी पकड़ी गई, बेईमानी पकड़ी गई, काली करतूतों और कारनामों का भांडा फूटा, तो वो जाति-जाति खेलने लगे। वैकल्पिक राजनीति हवा में चिड़िया की तरह फुर्र हो गई। महाराणा प्रताप याद आ गए, राजपूत वंश याद आ गया। जब ये अन्ना आंदोलन कर रहे थे, तो गांधी जी के भक्त थे, तब इन्हें थप्पड भी पड़ते थे, आपको याद होगा, थप्पड पड़ जाता था तो गांधी समाधि पहुंच जाते थे, राजघाट पहुंच जाते थे और पश्चाताप के घड़ियाली आंसू बहाने लगते थे। पंजाब का चुनाव आया, तो गांधी को भूल गए, भगत सिंह के चेले हो गए। इस कदर भूल गए कि दफ्तर से फोटो ही गायब हो गई गांधी जी की। किसी सरकारी दफ्तर में फोटो नहीं बची औऱ आज जब भ्रष्टाचार पकड़ा गया, तो महाराणा प्रताप की शरण में जा रहे हैं, मैं इस पर घोर आपत्ति व्यक्त करती हूँ औऱ मैं कहना चाहती हूँ कि अपने काले कारनामों की ढाल शूरवीर, महाप्रतापी, महाराणा प्रताप को न बनाएं, ये बहुत ही शर्मनाक है। मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकती हूँ और आप लोग भी समझते होंगे कि न महात्मा गांधी ने, न भगत सिंह न, न महाराणा प्रताप ने कहा होगा इनसे आकर कि पंजाब में तो नारा दो, नशा मुक्ति का और दिल्ली को नशे की राजधानी बना दो। महाराणा प्रताप ने, गांधी जी ने और भगत सिंह ने नहीं कहा था, इनसे की आप सारे नियमों की धज्जियाँ उड़ाइए। मंदिर हो, चाहे स्कूल हो, चारे रेज़िडेंशियल कॉलोनी हो, सौ मीटर के दायरे में ठेके खोल लिए और खेलो गली जैसी शैल, डमी कंपनियों को रेवड़ी की तरह लाईसेंस बांट दीजिए, 144 करोड़ का घोटाला करिए, ये किसने कहा था आपसे? किसी ने नहीं कहा कि वाइबिलिटी रिपोर्ट पुलिस डिपार्टमेंट और एक्साइज डिपार्टमेंट को सब्मिट किए बिना ठेके खुलवाइए।
हमारे दिल्ली के छात्रों और बच्चों का भविष्य सुधारने की बात करते थे, किसने कहा था आपसे कि 25 साल की उम्र को 21 साल कर दें, एक के साथ एक बोतल बांटे और लतियल बनाएं दिल्ली के नौजवानों को? ये आपकी करनी है, ये घोटाला, ये भ्रष्टाचार आपकी करनी है और जैसी करनी होती है, केजरीवाल, वैसी ही भरनी होती है। इसके बाद, जैसा कि मैंने शुरु में कहा एक कहावत जो हमने सुनी थी, चोर-चोर मौसेरे भाई, और जो हम लगातार कहते रहते हैं कि ये एक दूसरे के पूरक हैं, पीएम मोदी और केजरीवाल , इनकी कार्यशैली में कोई बहुत ज्यादा फर्क नहीं है, तो चोर-चोर मौसेरे भाई को यथार्थ में कैसे बदला जाता है और किस तरह से शराब माफिया से पैसे कि उगाही की जाती है, ब्लैक लिस्टेड कंपनियों से चंदा लिया जाता है, इस बात का खुलासा दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अनिल चौधरी जी करेंगे। अब मैं उनको आमंत्रित करती हूँ।

चौधरी अनिल कुमार ने कहा कि एक बार फिर मैं सभी पत्रकार बंधुओं का स्वागत करता हूँ। बड़े विस्तार से रागिनी जी ने आम आदमी पार्टी औऱ भाजपा के चरित्र को या उनके संबंधो को आपके सामने रखा है। इससे पहले कि मैं इस पूरी आबकारी नीति में जो भ्रष्टाचार हुआ है, उसकी मनी ट्रेल के बारे में मैं चर्चा करूँ, साथियों पिछले कुछ दिनों से मैं लगातार इस विषय पर नजर रखे हुए हूँ औऱ देख रहा हूँ कि किस तरह से भाजपा आम आदमी पार्टी के आरोपित शराब मंत्री औऱ दिल्ली के मुख्यमंत्री अपने बचाव को लेकर किस तरह से मुद्दे भटकाने के लिए नए-नए नित पैतरे बदल रहे हैं, उनके कुछ उदाहरण इस तरह के हैं औऱ उनकी बयानबाजी आप देखें, जब ये नीति बनाने की बात आई, हालांकि मैंने पहले भी कहा है कि कोविड काल में जब लोग ऑक्सीजन के लिए तरस रहे थे, बेड के लिए संघर्ष कर रहे थे, दवाईयों की कालाबाजारी हो रही थी, उस समय दिल्ली के मुख्यमंत्री और शराब मंत्री शराब माफियाओं के साथ मिलकर शराब नीति पर काम कर रहे थे और उस शराब नीति पर काम करते हुए जब इस नीति को लागू किया गया, तो शुरुआत में अरविंद केजरीवाल कहते हैं कि इस नीति का सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि दिल्ली रेवेन्यू सरप्लस होगा ये पहला कार्ड था। अफसोस इस बात का होता है कि जब इस नीति की समीक्षा करते हैं, तो इसके विपरीत 567 करोड़ रुपए का नुकसान बताया जा रहा है। जब इस पर सवाल पूछते हैं तो अरविंद केजरीवाल फिर विषय को भटकाने के लिए फिर एक बात कहते हैं कि दुनिया की सबसे बेहतरीन ये शराब नीति होगी और अरविंद केजरीवाल बड़े दावे के साथ कहते हैं औऱ इनके शराब मंत्री कहते हैं, लेकिन अफसोस इस बात का है कि ये 31 जुलाई, 2022 को वापस ले ली जाती है, लगभग 8 से 9 महीने में ये नीति वापस हो जाती है, तो विश्व की किस तरह से सबसे बेहतरीन पॉलिसी है, इस पर जवाब पूछते हैं। तो अगली बात कहते हैं कि इस नीति में दिल्ली के तत्कालीन उपराज्यपाल अनिल बैजल की भूमिका इसमें संदिग्ध है। हालांकि इस बात को हम कहते रहे हैं कि लगातार जब कांग्रेस पार्टी इस पर प्रश्न पूछ रही थी, तो एलजी साहब ने इस पर संज्ञान नहीं लिया, हम भी ये बात कह रहे थे कि भाजपा के निर्देश पर काम करने वाले उपराज्यपाल साहब और दिल्ली के मुख्यमंत्री के बीच में ऐसी क्या डील हुई है कि इस नीति को पास कर दिया गया, लागू कर दिया गया, तो उपराज्यपाल पर आरोप लगने शुरु हुए और आने वाले समय में और कई लोगों पर इस तरह के आरोप लगेंगे। कहते हैं न कि जब पोल खुलनी शुरु होती है, तो एक-दूसरे की पोल खोलने का काम सब लोग करना शुरू करते हैं। अभी अधिकारियों पर गाज गिरी है, अभी अधिकारी भी बोलना शुरू करेंगे। फिर कट्टर ईमानदारी का सर्टिफिकेट लेकर आते हैं। किस तरह की ईमानदारी का सर्टिफिकेट लेकर आते हैं, ये तो आप सब लोग देख चुके हैं, सीबीआई की प्रथम एफआईआऱ में मनीष सिसोदिया को नंबर-1 भ्रष्टाचारी माना गया है। तो ये कट्टर ईमानदारी का सर्टिफिकेट है।

शीला दीक्षित की आबकारी नीति पर प्रश्न उठाने वाले मुख्यमंत्री, लौटकर फिर शीला दीक्षित की आबकारी नीति क सही मानते हैं और ये दर्शाता है कि जो 15 साल कांग्रेस ने दिल्ली को दिए एक बेहतरीन शहर बनाने में, शीला जी के चेहरे पर जो व्यक्ति कालिख पोतता था, वो शीला दीक्षित आज हमारे बीच में नहीं हैं, क्या आप उनसे माफी मांगेंगे? 8 महीनों में आपने कदम खींच लिए, बेहतरीन विश्व की पॉलिसी जिसे आप कहा करते थे, उससे पीछे क्यों हुए, अपने आप में साबित हो जाता है। शीला जी की आबकारी नीति में जिस भगत सिंह जी का नाम लिया जाता है, उस दिन को ड्राई डे के रुप में हम सब लोग जानते थे, ये वो मुख्यमंत्री है, जिसने तमाम ड्राई डे को खत्म कर दिया और बात करते हैं, अपने बचाव में भगत सिंह की और महाराणा प्रताप की जो बात रागिनी नायक ने कही। जब उस पर आगे बढ़ते हैं, तो गुजरात चुनाव का कार्ड ले आते हैं, गुजरात चुनाव को आगे रखा जाता है। सब जानते हैं कि गुजरात से पहले गोवा और उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में जो आम आदमी पार्टी की हालत हुई है, तो स्वाभाविक है चुनावी उद्देश्य से गुजरात को भी मैदान में उतारा जाता है, फिर न्यूयार्क कार्ड खेला जाता है। अरे बात शराब नीति की हो रही है, आप लेकर आ रहे हैं, शिक्षा नीति, स्वास्थ्य नीति और वो स्वास्थ्य नीति, जिसमें सबसे ज्यादा कहीं मौत हुई तो हिंदुस्तान की राजधानी दिल्ली में मौतें हुई हैं। जिस शिक्षा नीति की बात कर रहे दिल्ली का दसवीं का सीबीएसई बोर्ड नतीजे में देखें पहले 10 बोर्ड की श्रेणी से बाहर है, तो आज सबसे निचले स्थान पर है और ये दिल्ली का शिक्षा का स्तर शीला जी के समय में टॉप-10 बोर्ड में हुआ करता था, तो ये शिक्षा का स्तर है, लेकिन विषय को मुद्दे को भटकाने के लिए बार-बार अरविंद ये कदम उठाते रहे हैं। विपक्ष पर सीबीआई और ईडी के दुरुपयोग की बात की गई, तो कहना चाहता हूँ, साथियों, ये जो आबकारी नीति की जो कंप्लेन है, ये जो शिकायत है, सबसे पहले इसकी यदि लड़ाई लड़ने वाली कोई पार्टी थी, तो कांग्रेस पार्टी थी और ये इसका पुख्ता सबूत है, मैं आपको दिखा रहा हूँ, बार-बार दिखाता हूं मैं। लगभग एक दर्जन से ज्यादा प्रेस वार्ताएं हमने की, मुख्यमंत्री के निवास का घेराव हमने किया, जन-जागरण पोल-खोल यात्राओं के माध्यम से हमने प्रश्न पूछा। हम पहले आगरा के मूड में जाकर इस सरकार को जगाना चाहते थे और जब नहीं जागे, तो यही कारण है कि पुलिस कमिश्नर के पास हम 3 जून, 2022 को जाकर लिखित रूप में शिकायत करते हैं, ये उसका प्रमाण है साथियों और ये कहते हैं कि ईडी और सीबीआई का दुरुपयोग। कई बार जब इतना दुरुपयोग बढ़ जाता है, तो स्वाभाविक है कि जब सही कार्रवाई होती है, तो वो भी संदेह की दृष्टि से देखी जाती है, लेकिन दिल्ली का भ्रष्टाचार का मसला, बिल्कुल क्लियर है कि भ्रष्टाचार इसमें हुआ है। फिर एक नया बयान, ऑपरेशन लोटस का है। अरे भाई, आप चाहते क्या हैं? पिछले 10-15 दिनों से जिस तरह की बात अरविंद केजरीवाल कर रहे है, बगैर किसी प्रमाणिकता के रागिनी जी ने उनसे साक्ष्य मांगे हैं। बताया जाए, कहा जाए, 62 विधायकों को तोड़ने की साजिश हो रही है। अरे पूरी तरह से साबित हो चुका है कि और ‘बी’ टीम के रूप में आप यहां काम कर रहे हैं, तो इसमें न तो कोई संभावना है, न इस पर कुछ कहा जा सकता है? जब इस पर भी आप घिरते नजर आते हैं, तो आप अपनी जाति और महापुरुषों के पीछे छिपने का काम करते हैं, शर्म आनी चाहिए अरविंद केजरीवाल और सिसोदिया को। महाराणा प्रताप, भगत सिंह की औलाद जैसे संवाद करते हैं।

आप देखिए, कट्टर ईमानदार पहले भगत सिंह का नाम लिया जाता था। जिस भगत सिंह ने 23 साल की उम्र में फंदे को चूम लिया हो, उस भगत सिंह ने कभी कल्पना नहीं की कि 21 साल की उम्र में दिल्ली के युवाओं को दारू पीने का अधिकार दिया जाएगा। आज भगत सिंह के परिवार के लोग यदि इस बयान को सुनें, तो मैं समझता हूँ, सबसे निंदनीय अगर कोई बयानबाजी अरविंद केजरीवाल की तरफ से रही है, तो ये भगत सिंह का अपमान करने वाली बयानबाजी है। भारत रत्न की बात कही, मैं कहना चाहता हूं, यदि वाकई भ्रष्टाचार में कोई श्रेणी शुरु हुई भविष्य में, जिसकी उम्मीद नहीं है, पर यदि कोई भ्रष्टाचार में किसी ने शुरुआत की तो मुझे लगता है कि अरविंद केजरीवाल और सिसोदिया को भ्रष्टाचार की श्रेणी में भारत रत्न जरुर मिलना चाहिए। उसकी अनुशंसा मैं भी करना चाहता हूँ। साथियों कांग्रेस लगातार इस विषय पर, जहाँ संघर्ष कर रही थी, जैसा मैंने कहा दर्जनों धरना हो, प्रदर्शन हो, प्रेस वार्ता हो, उसके माध्यम से संघर्ष कर रही थी, वहाँ भाजपा के कुछ शूरवीर मौन बनकर बैठे रहे। क्योंकि जो विषय मैं अब आपके सामने रखना चाहता हूँ, ये विषय भाजपा को भी आपके समक्ष उनकी कथनी औऱ करनी का जो फर्क है, वो रखना बहुत आवश्यक समझता हूँ। दिल्ली के द्वारा जब नशे की राजधानी सरकार के द्वार और अरविंद के द्वारा बनाई जा रही थी, एक नई पहचान दी जा रही थी, तो भाजपा भ्रष्टाचार में भागीदार बन चुप बैठे थे, इसलिए मैंने पिछली प्रेस वार्ता में भी कहा था कि 8 विधायक, 7 सांसद, 150 से ज्यादा पार्षद दिल्ली प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष, पूरा संगठन मौन बनकर चुप रहे। 18 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जो नॉन कन्फोर्मिंग एरिया थे, वहाँ लगभग 134 दुकानें खोली गईं। इस नॉन कन्फोर्मिंग एरिया को लेकर हम हरदीप पुरी साहब, जो भाजपा से ही मंत्री हैं, उनसे भी मिले, ये हमारा प्रयास है, जो दिखाता है कि इस दिल्ली के लिए हम कितने चिंतित थे।

लेकिन न भाजपा का विपक्ष का नेता मिला, न सांसद मिले, न विधायक मिले कि नॉन कन्फोर्मिंग एरिया में दारू की दुकानों के ठेके क्यों खोले जा रहे हैं? वहाँ पर दिल्ली के मेयर और भाजपा के लगभग 150 से ज्यादा पार्षद पैसा लेकर वहाँ एमसीडी से लाइसेंस दिलवाने का काम कर रहे थे, ये मैं कहना चाहता हूँ। तो साथियों, एमसीडी, डीडीए मिलकर 134 से ज्यादा दुकानें नॉन-कोन्फोर्मिंग एरिया में खोलती हैं, और जब बात खुलती है, पोल खुलती है, तो जांच की तरफ जब आगे चीजें बढ़ती हैं, तो उन पर जाकर रोक लगती है और मास्टर प्लान की जिस तरह से धज्जियाँ उड़ाई गई, वो सबने देखा है। इसकी शिकायत हम लोगों ने लिखित रुप में जाच एजेंसी को भी दी, जो मैंने आपको पूर्व में दिखाई। कांग्रेस पार्टी सड़कों पर आंदोलन कर रही थी। भाजपा के सांसद अपने गाने की रिकॉर्डिंग में बिजी थे। एक क्रिकेटर साहब क्रिकेट मैच के दौरान लाइव कॉमेन्ट्री और मध्य प्रदेश के अंदर जलेबी का लुत्फ ले रहे थे। एक जनाब हंसराज हंस साहब की चार लाइन हैं, दिल्ली में चोरी साडा हो गया, ओए की करिए, की करिए, दिल्ली नशे में टल्ली हो गया, गाना गुन-गुना रहे थे, साहब। कहाँ हैं वो सिंगर साहब? मुझे लगता है, वो भी उसी में बिजी हैं। बाकी के लोग आज तक लापता हैं। दिल्ली की एकमात्र महिला सांसद ने आज तक चुप्पी नहीं तोड़ी है कि दिल्ली के अंदर शराब माफिया, जब दिल्ली को कब्जा रहे थे, तो वो कहाँ थीं? जिनका नाम मीनाक्षी लेखी है।

मास्टर प्लान को लेकर मैंने बताया और भाजपा की कथनी-करनी का मैंने बताया, जन-जागरण का जिक्र मैंने किया। सवाल इस बात का है कि हम शिकायत लिखते हैं औऱ भाजपा के शूरवीर जो आजकल डिबेट में उतरे हुए हैं, लगातार बयानबाजी कर रहे है, पूरी तरह से सोए हुए थे, नींद में थे। तो कांग्रेस का जो सड़कों का संघर्ष रहा साथियों, जो शिकायत रही। हम लोग 3 जून, 2022 को शिकायत करते हैं, जब सड़क के संघर्ष से इनकी नींद नहीं टूटती है और ये लोग इस पर संज्ञान नहीं लेते, तानाशाही रवैया अपनाते हुए इस पूरा आबकारी नीति को थोपनो का काम करते हैं तो हम शिकायत लेकर दिल्ली के तत्कालीन पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना के कार्यालय जाते हैं। उसके बाद यदि आप देखें, 8-7-2022, यानि लगभग एक महीने बाद चीफ सेक्रेटरी साहब रिपोर्ट देते हैं। 20/07/2022 को एलजी साहब सीबीआई जाँच की अनुशंसा करते हैं, ये दर्शाता है, साथ ही इससे पहले यदि संघर्ष किसी ने किया था, तो कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने किया, कांग्रेस पार्टी ने किया। उन बहनों ने, जो आवाज हम तक पहुंचाई कि जिन चौक-चौराहों पर स्कूल की बसें रुकती है, वहाँ पर शऱाब की दुकानें खोली जा रही हैं, उनका विरोध हम करते हैं। विरोध के स्वरूप महिलाओं पर लाठी भांजी जाती हैं, बाउंसरों से पीटा जाता है, ये पूरी दिल्ली ने माहौल देखा है। अब जो बात करते हैं न्यूयार्क टाइम्स की, मैं सवाल पूछना चाहता हूँ, दिल्ली की सड़कों पर नित नए दिन, लंबी-लंबी सड़कें, लंबी-लंबी लाइनें लगी हुई हैं, शराब की, डिस्काउंट की। लोग अपने सिरों पर, कंधों पर दो-दो पेटियां ले जाते हुए नजर आते हैं, क्या ये कानून का उल्लंघन नहीं था? क्या दिल्ली के लोगों को मजबूर अपराधी बनाने की साजिश नहीं थी। जो घर में दो-चार लीटर से ज्यादा शराब नहीं रख सकता, उन लोगों को आपने दो-दो, तीन-तीन पेटियाँ अपने घर में रखने के लिए, कानून तोड़ने के लिए विवश कर दिया, क्या ये अपराध नहीं था?

साथियों, इसलिए आज मैं जो आपके सामने बात रख रहा हूँ, मैंने उस दिन भी कहा था, भ्रष्टाचार भाजपा की मनी ट्रेल का मैंने जिक्र किया। मध्य प्रदेश की एक सोम ग्रुप की जो कंपनी है, जिसके मालिक जेके अरोड़ा साहब हैं, उसका मैंने जिक्र किया, हालांकि दो दिन से भाजपा प्रवक्ता आजकल उसका नाम नहीं ले रहे हैं। जब उनको पता चला है कि भाजपा के खाते में व्हाइट का पैसा डाला है, लगभग दो करोड़ रुपए और ये उस वक्त डाला है, जब ये नीति यहाँ बन रही थी, वो प्रश्न मैं आज फिर दोहरा रहा हूँ। 28/07/2020 को एक करोड़ रुपए, 30/10/2020 को 50 लाख रुपए 21/12/2020 को फिर 50 लाख रुपए, ये भाजपा के सीधे अकाउंट में सोम ग्रुप ने पैसा दिया है, ये पक्के का पैसा है, इसलिए 72 घंटे बाद तक भाजपाई के जो शूरवीर है, अपना मुंह नहीं खोल रहे है, मुंह पर टेप लगा हुआ है, जवाब नहीं देते कि ये पैसा किसलिए आया, ये पैसे का लेनदेन जो हुआ? अब सवाल आज के उस मेन बिंदु का है, कल साथियों एक खबर लगी है, वो खबर मैं आपको दिखा रहा हूँ, ये इंडियन एक्सप्रेस की खबर है और जो मैंने आपके सामने बात रखी, कि ये एक कंप्लेन, ये शिकायत, ये लड़ाई कांग्रेस के कार्यकर्ता, दिल्ली की जनता की लड़ाई थी, जो हम लड़ रहे हैं। इस खबर के अनुसार कांग्रेस अध्यक्ष जो कि मेरा नाम इसमें मेंशन है, कांग्रेस की शिकायत पर ईओडब्ल्यू ने, जो कंप्लेन पर जांच करनी शुरु की थी, जिसके दस्तावेज दिल्ली सरकार से मांगे गए थे, आज ईओडब्ल्यू के इस जांच को बंद करने की एक सूचना इंडियन एक्सप्रेस में छपी है, और इसमें ये रिपोर्ट है, महेन्द्र सिंह मंदराल साहब की, ये खबर है। कई और समाचार पत्रों ने भी छापी लेकिन इसमें कांग्रेस का जिक्र है, कि ईओडब्ल्यू इस जांच को बंद करने जा रही है। सवाल ये है साथियों, ये ईओडब्ल्यू में जो कंप्लेन है, वो जिसके खिलाफ हुई है, वो भी एक भाजपा के तथाकथित मित्र, दीप मल्होत्रा और उनकी कंपनी ओएसिस ग्रुप, जिसको लेकर हम पहले एक कार्टेल जो तैयार हुआ, जिस तरह से महेंद्रू परिवार ने और बालाजी ग्रुप ने कार्टेल बनाकर दिल्ली शहर को खरीदने का काम किया, वही काम ओएसएस ग्रुप ने एक कार्टेल बनाकर दिल्ली को खरीदने का काम किया औऱ उसकी शिकायत हमने की थी, उस पर जांच चल रही है, लेकिन उस जांच को बंद करने की खबर आ रही है। सवाल ये उठता है क दीप मल्होत्रा कौन है? दीप मल्होत्रा अकाली दल का पूर्व विधायक है, दीप मल्होत्रा का जो ओएसएस ग्रुप है, ये शराब का उत्पादक भी है और विक्रेता भी है दिल्ली में। इसमें भी सेम कानून की धज्जियाँ उड़ाई गई हैं, हालांकि इस रिपोर्ट में पूरी तरह से क्लियर कहा गया है कि सेम एलीगेशन्स, सेम आरोप इस तरह की जो हम जांच कर रहे हैं, इसमें भी वही हैं, तो सीबीआई जांच कर रही है, तो इसको बंद कर दिया जा। अरे भाई, बंद क्यों कर दिया जाए? सीबीआई की कहीं किसी एफआईआर में दीप मल्होत्रा का नाम नहीं है। सीबीआई की एफआईआर में सोम ग्रुप का नाम नहीं है। क्यों नहीं है? ये जवाब भाजपा क्यों नहीं देती? क्या वाकई सीबीआई का अब दुरुपयोग करने की कोशिश तो नहीं की जा रही है? क्या भाजपा के मित्रों को बचाने की कोशिश तो नहीं की जा रही है? वरना सोम इंडस्ट्री, सोम डिस्टलरी, जो ये भी उत्पादक है, फुटकर विक्रेता दिल्ली में है, वही अपराध, वही कार्टेल ओएसएस ग्रुप के दीप मल्होत्रा, पंजाब के विधायक का भी रहा है, जिसका पंजाब चुनाव में आम आदमी पार्टी की फंडिंग को लेकर बड़ें संगीन आरोप हैं। तो जो व्यक्ति आम आदमी पार्टी औऱ भाजपा को चंदा देता हो, आज वो दोनो ग्रुप चंदा देने वाले ग्रुप कहें, या मनी ट्रेल कहें, या रिश्वत देने वाले कहें, वो दोनों ग्रुप सीबीआई की जांच से बाहर क्यों हैं, इस पर मैं समझता हूँ कि भाजपा को जवाब देना चाहिए और ये जो मेरा पुराना प्रश्न था, उसमें ये प्रश्न मैं फिर से जोड़ रहा हूँ कि ओएसिस ग्रुप की जो जांच चल रही है, ओएसिस ग्रुप की दो कंपनी है, नोवा गार्मेंट्स और ओरिजिन एप्लाइंसेस, ये शैल कंपनी हैं, जिनको यहाँ काम मिला। तो साथियों, मेरा दिल्ली पुलिस से ये आग्रह रहेगा, हालांकि इसको लेकर मैं दिल्ली पुलिस कमिश्नर साहब से मैं पुनः मिलूँगा कि इस जांच को बंद न किया जाए। यदि आवश्यक है तो इस जांच को ट्रांस्फर किया जाए, सीबीआई क सौंपा जाए। अब तक के जो दस्तावेज हैं, प्रथम दृष्टि में जो जांच हुई है, उसको बंद न करके सीबीआई को सौंपा जाए और ये दोनों कंपनियों के नाम भी इसमें सम्मलित किए जाएं, ये हमारी मांग रहेगी।

तो साथियों इस प्रेस वार्ता में जो मैंने आपको बताया। उस दिन भी मैंने आपसे बात कही थी कि भाजपा ने खुद माना है, ये भाजपा का खुद का दस्तावेज है, जिन्होंने इलेक्शन आयोग को सौंपा। हर पार्टी को सौंपना होता है, चंदा देने वालों की लिस्ट तो इसमें पूरी तरह से ये साबित है। मैंने पूर्व में भी आपको दिया था, आज फिर दूँगा किस तरह से एक करोड, पचास लाख और पचास लाख की रिश्वत कहिए डोनेशन कहिए या फिर इस महाभ्रष्टाचार के अंदर मनी ट्रेल का खुलासा कहिए, मैंने आपको सामने रखा है।

एक प्रश्न के उत्तर में श्री अनिल चौधरी ने कहा कि मैंने अभी विस्तार से बात रखी है। मैं पुनः आपको वो डॉक्यूमेंट दिखा रहा हूँ। ये वो लैटर है, ये वो शिकायत पत्र है (पत्र दिखाते हुए), जो हमने की, सबसे पहले। ये तो शिकायत, ये लड़ाई तो कांग्रेस ने ही लड़ी है। जब ये भ्रष्टाचार के मामले हमारे पास आए, जब इस योजना पर काम किया तो हमारे जो सूत्र थे, उन्होंने बताया कि इस तरह की योजना पर काम किया जा रहा है। जब कोविड में दिल्ली घिरी हुई है, तब से हम लोग सड़कों पर काम कर रहे हैं। मैंने मुख्यमंत्री के निवास का घेराव किया, उन्होंने अनसुना किया, तानाशाही अपनाई। एक साथ एक दिन लगभग 55 जगहों पर कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया। एक दर्जन से ज्यादा प्रेस वार्ताएं की। मैं आपको एक और सबूत दिखाता हूँ। (फोटो दिखाते हुए) ये सबूत है, जब हरदीप पुरी साहब से मैं मिला। मुझे भाजपा का कोई एक नेता दिखाए, जो हरदीप पुरी साहब से नॉन कन्फोर्मिंग एरिया के विषय पर मिला हो। ये क्या दर्शाता है, पूर्व हमारे अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा जी मेरे साथ हैं, कांग्रेस के शीर्ष नेता मेरे साथ हैं, ये दिखाता है कि कांग्रेस पार्टी इस विषय को मरने देना नहीं चाहती थी और ये कांग्रेस की शिकायत थी।

दूसरा मैं दिखाता हूँ, मैंने अन्ना हजारे जी को भी अनुरोध पत्र लिखा, क्योंकि अरविंद केजरीवाल जी उनके पुराने शिष्य हैं, ये वो चिट्ठी है (पत्र दिखाते हुए)। मैंने उनसे भी आग्रह किया कि अपने इस प्रिय शिष्य को समझाएं, दिल्ली को नशे की राजधानी न बनाए, बच्चों के लीवर से खिलवाड़ न करे। बच्चे, जो देश का भविष्य हैं, उनसे खिलवाड़ न करे। 21 साल में बच्चा ग्रेजुएट होता है, उसे रोजगार चाहिए, न कि उसे शराब पीने का अधिकार चाहिए। कुछ कीजिए, पर्दे में कुछ बच्चे इस तरह का शौक रखते होंगे, लेकिन हर बच्चे को कानूनन अधिकार, 21 साल में शराब पीने का दे रहे हैं और भगत सिंह का नाम ले रहे हैं। तो मैंने तीन दस्तावेज आपको दिखाए- अन्ना जी की चिट्ठी, हरदीप पुरी साहब का ये और कांग्रेस पार्टी का सबसे पहला, ये पत्र मै चैलेंज करता हूँ, भाजपा के 7 सासंद, 8 विधायक, 3 मेयर, 150 से ज्यादा पार्षद और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष को कि कोई 4 लाइन का शिकायत पत्र वो कोई दिखाते क्यों नहीं हैं? मेरे पास ये सूचना है, इस ईओडब्ल्यू कंप्लेन के बाद कई लोगों की छुट्टी हो गई है कि आखिर आपने कांग्रेस की ये शिकायत पर ईओडब्ल्यू में जांच शुरु क्यों कर दी। यही कारण है कि आज इनके जो मित्र हैं, दीप मल्होत्रा, सोम डिस्टलरी ओनर्स को इस सीबीआई की एफआईआर से दूर रखा गया। डॉ नायक ने जोड़ा कि आपके इस प्रश्न का एक बहुत ही सीधा सा जवाब ये है कि इस पूरे प्रकरण के ओरिजनल कंप्लेनेन्स, सबसे पहले शिकायतकर्ता हम, यानि कांग्रेस पार्टी है और जैसा कि अनिल चौधरी जी ने बताया आपको कि जब भाजपा के सारे, विधायक, सारे सांसद औऱ सारे निगम पार्षद इस इल्लीगल शराब नीति पर मुंह में दही जमाकर बैठे थे, तब दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और दिल्ली के तमाम वरिष्ठ कांग्रेस के नेता शिकायत लेकर पुलिस के पास, एलजी के पास और यहाँ तक कि अन्ना हजारे के पास भी चिट्ठी पहुंचाने का काम कर रहे थे। तो जो शराब नीति दिल्ली जड़ों को खोखला कर रही है, दिल्ली के भविष्य को अंधकार में ले जा रही है, उस शराब नीति का हम सहयोग करें! भ्रष्टाचार जो आपने किया, उसकी आड़ बनकर कांग्रेस पार्टी खड़ी हो! उनकी अपील है कि हम उनकी मदद करें, चाकुओं की पसलियों से गुजारिश तो देखिए, आप दिल्ली को खत्म करने का काम करें और हम आपकी मदद करें, पर इसमें एक समस्या और है, असल में देश की जांच एजेंसियों का दुरुपयोग इतना ज्यादा हो चुका है कि जब सही काम भी वो करती हैं, तो संदेह की दृष्टि में आ जाती हैं। वो आपने, शेर आया, शेर आया वाली कहानी तो सुनी होगी। अब सच में दिल्ली में जो भ्रष्टाचार हुआ है, जिसकी शिकायत कांग्रेस पार्टी ने की, उसके ऊपर अंततः सीबीआई जो जांच कर रही है, तो उसमें आम आदमी पार्टी कहती है कि हमारी मदद क्यों नहीं करते? हम भ्रष्टाचारियों की मदद नहीं करते। दिल्ली को बर्बाद करने वालों की हम मदद नहीं करेंगे। हम खड़े रहेंगे, सड़क से लेकर, सदन से लेकर संसद तक। जहाँ भी प्रतिनिधित्व कर सकते हैं, हम बोलेंगे, आवाज उठाएंगे और भ्रष्टाचारियों को, हम पुरजोर कोशिश करेंगे कि वो जेल के अंदर बंद हों और इसके साथ-साथ अगर देश में प्रतिशोध की ज्वाला में धधकते हुए मोदी जी जांच एजेंसियों को कठपुतली बनाकर इस्तेमाल करने की कोशिश करेंगे, तो उसके खिलाफ भी हम पूरी तरह से आवाज उठाएंगे, एकजुट होकर लड़ाई लड़ेंगे।

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