अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली : दिल्ली सरकार महिलाओं की तरह दिल्ली में पंजीकृत लाखों निर्माण श्रमिकों को भी डीटीसी की बसों में फ्री सफर का तोहफा दे सकती है। इस संबंध में सीएम अरविंद केजरीवाल ने श्रम विभाग को डीटीसी से बात कर इसकी संभावना तलाशने का निर्देश दिया है। अगर यह संभव होता है, तो दिल्ली सरकार बस पास के बदले डीटीसी को एक तय शुल्क का भुगतान करेगी ताकि उसको आर्थिक नुकसान न हो। इसके अलावा, वकीलों की तरह निर्माण श्रमिकों को भी ग्रुप लाइफ इंश्योरेंस की सुविधा मिल सकती है। मुख्यमंत्री ने विभाग को इसका आंकलन करने को कहा है। बुधवार को श्रम विभाग की विभिन्न योजनाओं की उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक के दौरान सीएम अरविंद केजरीवाल ने ये दिशा- निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि श्रम विभाग धनराशि का सकारात्मक और प्रभावी उपयोग करे ताकि पंजीकृत सभी श्रमिकों को लाभ मिल सके। बैठक में श्रम मंत्री राज कुमार आनंद और विभागों के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
समीक्षा बैठक में सीएम अरविंद केजरीवाल ने श्रम विभाग की चल रहीं विभिन्न योजनाओं और उनकी मौजूदा स्थिति पर विस्तार पूर्वक चर्चा की। इस दौरान उन्होंने विभाग द्वारा एकत्र किए जाने वाले टैक्स और संसाधनों के इस्तेमाल का ब्यौरा लिया और कुछ मुद्दों की पहचान कर उसका समाधान करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा एकत्र किए गए टैक्स के पैसे का सकारात्मक और प्रभावी उपयोग किया जाए। मुख्यमंत्री ने विभागीय अधिकारियों को एक सप्ताह के अंदर धनराशि का प्रभावी इस्तेमाल सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को दिल्ली बिल्डिंग एंड अन्य कंस्ट्रक्शन वर्कर्स एक्ट 1996 और इससे जुड़े नियमों के बारे में जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि दिल्ली बिल्डिंग एंड अन्य कंस्ट्रक्शन वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड से 13.4 लाख श्रमिक पंजीकृत हैं। अप्रैल महीने से इनका नवीनीकरण किया जाएगा। इनमें से लगभग 5.36 लाख कर्मचारी किसी भी समय राज्य में काम करने के लिए मौजूद हैं।इस पर सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि कंस्ट्रक्शन वर्कर की परिभाषा बहुत व्यापक है और प्लंबर, कारपेंटर और इलेक्ट्रिशियन आदि भी इसमें आ जाते हैं। उन्होंने कहा कि यदि योजनाओं का ठीक से प्रचार-प्रसार किया जाए तो लगभग 25-30 लाख श्रमिक दिल्ली बिल्डिंग एंड अन्य कंस्ट्रक्शन वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड से पंजीकृत हो सकते हैं।सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि करीब 23.5 लाख श्रमिक केंद्र के ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत हैं, लेकिन उन्हें वहां कोई लाभ नहीं मिलता है। हमने अपने श्रमिकों के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, लेकिन कई लोग इसका लाभ लेने के लिए आगे नहीं आते हैं। हमें श्रमिकों को अपनी योजनाओं के तहत पंजीकृत कराने का प्रयास तेज करने की आवश्यकता है, ताकि उन्हें अधिक से अधिक लाभ मिल सके। वहीं, जब श्रमिक अपना पंजीकरण कराते हैं, तो वे कभी-कभी नहीं आते हैं। कोई सत्यापन नहीं होने के कारण उनको लाभ नहीं मिल पाता है। श्रमिकों का समय पर और त्वरित सत्यापन बहुत जरूरी है। साथ ही अधिक से अधिक जागरूकता पैदा करने की भी आवश्यकता है।उन्होंने कहा कि आवेदन पर आधारित योजनाएं श्रमिकों के आवेदन करने पर निर्भर करती हैं। उन्होंने अधिकारियों से पूछा कि क्या हम कोई ऐसी ‘कार्पेट बॉम्बिंग’ योजना शुरू कर सकते हैं, जिससे सभी श्रमिक लाभान्वित हों? सीएम ने उदाहरण देते हुए कहा कि कोविड के दौरान किसी ने आवेदन किया हो या नहीं, लेकिन सभी श्रमिकों को लाभ हुआ था। इस तरह के उपाय हमारी योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ पहुंचाने में मदद करेंगे।इसके साथ ही सीएम केजरीवाल ने विभाग को 60 वर्ष से अधिक आयु के पेंशनरों का डेटा निकालने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि विभाग को 60 वर्ष या उससे अधिक आयु और निर्माण कार्य में लगे लोगों की पहचान करने की ज़रूरत है। ऐसे लाभार्थियों की पहचान की जाए और उपलब्ध योजनाओं का उनको लाभ दिया जाए। विभाग को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि पेंशन योजना से अधिक से अधिक लाभार्थी लाभान्वित हों और इसमें कोई दोहराव न हो। इस दौरान सीएम ने अधिकारियों को बोर्ड में पंजीकृत श्रमिकों को रियायती आवास उपलब्ध कराने की संभावना भी तलाशने का निर्देश दिया।
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