अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: केजरीवाल सरकार राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में लोगों को स्वच्छ और बेहतर गुणवत्ता वाले पानी की 24 घंटे आपूर्ति सुनिश्चित करने, जल प्रदूषण को कम करने और 2025 तक यमुना नदी की सफाई के लिए लगातार काम कर रही है। इसी कड़ी में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निर्देश पर, दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) के उपाध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने पल्ला फ्लड प्लेन परियोजना का स्थलीय निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने अधिकारियों को गुणवत्तापूर्ण कार्य के साथ परियोजना को पूरा करने के निर्देश दिए। बता दें, इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य बाढ़ का संचित पानी बाढ़ खत्म होने के बाद वापस जमीन में लौटाना है, जिससे भूजल का स्तर न सिर्फ रिचार्ज होगा बल्कि बेहतर होकर पानी का स्तर और ऊपर आ जाएगा। इसके अलावा दिल्ली के घरों में 24 घंटे साफ पानी की आपूर्ति सुनिश्चित होगी।
पल्ला फ्लड प्लेन परियोजना का जायजा लेने पहुंचे सौरभ भारद्वाज ने बताया कि राजधानी से गुजरने वाली यमुना नदी में मानसून के दौरान लगभग हर साल बाढ़ आती है। बाढ़ का प्रकोप ज्यादा हो तो उसका नुकसान दिल्ली को झेलना पड़ता है। ऐसे में केजरीवाल सरकार ने तीन साल पहले मानसून के मौसम में नदी से बाढ़ के अतिरिक्त पानी को इकट्ठा करने के लिए यमुना बाढ़ के मैदान में पर्यावरण के अनुकूल पल्ला प्रोजेक्ट शुरू किया था। इसके तहत 26 एकड़ का एक तालाब बनाया गया, जहां बाढ़ के पानी का संचय होता है, जिसका उपयोग राष्ट्रीय राजधानी में भूजल को बढ़ाने के लिए किया जा रहा है। भूजल स्तर में बढ़ोतरी की मात्रा का पता लगाने के लिए 33 पीजोमीटर भी लगाए गए हैं।
सौरभ भारद्वाज ने बताया कि पल्ला फ्लड प्लेन केजरीवाल सरकार की प्रमुख परियोजनाओं में से एक है।
इसका उद्देश्य दिल्ली में स्वच्छ पानी की आपूर्ति को बढ़ावा देना है। पल्ला से वजीराबाद के बीच करीब 20-25 किमी लंबे इस स्ट्रेच पर प्राकृतिक तौर पर गड्ढे (जलभृत) बनाए गए हैं। मानसून या बाढ़ आने पर पानी इसमें भर जाता है। नदी का पानी जब उतरता है, तो गड्ढ़ों में पानी बचा रहता है। इससे भूजल स्तर में सुधार हुआ है। जहां पहले लाखों गैलन पानी नदी में बह जाता था, अब वो व्यर्थ नहीं बहेगा।
पल्ला फ्लड प्लेन परियोजना के कार्यान्वयन के तत्काल परिणाम में बेहतर रिजल्ट सामने आए थे। 2020 और 2021 में क्रमश: 2.9 मिलियन क्यूबिक मीटर और 4.6 मिलियन क्यूबिक मीटर अंडरग्राउंड वाटर बड़े पैमाने पर रिचार्ज किया गया। वहीं, इसके बाद भी यह देखा गया कि पल्ला परियोजना क्षेत्र में पिछले वर्ष का भूजल स्तर, अनुमान से निकाले गए 3.6 मिलियन क्यूबिक मीटर भूजल से अधिक था। इस परियोजना ने न केवल पानी की मांग और आपूर्ति के बीच के अंतर को कम किया है, बल्कि गड्ढ़ो (जलभृतों) में पानी की बढ़ोतरी भी हुई है। परियोजना क्षेत्र में पीजोमीटर में भूजल-स्तर में 0.5 मीटर से 2.5 मीटर की औसत वृद्धि देखी गई। इसके अलावा साल 2020 और 2021 में प्री-मॉनसून और पोस्ट-मॉनसून सीज़न के लिए तैयार की गई रुपरेखा में यमुना नदी से शहर की ओर ग्राउंडवाटर का फ्लो दिखाया गया।
बता दें, कुछ साल पहले करीब 8000 हेक्टेयर यमुना फ्लड प्लेन पर अतिक्रमण हुआ करता था। ऐसे में दुर्भाग्य से बाढ़ के पानी को रिसने और रिचार्ज करने के लिए कोई महत्वपूर्ण स्थान नहीं था। पल्ला फ्लड प्लेन परियोजना के काम शुरू होने के बाद भूजल स्तर में लगातार वृद्धि हुई है। यहां तक कि बाढ़ के मैदानों के साथ बोरवेल के माध्यम से डीजेबी द्वारा 20 एमजीडी पानी की नियमित निकासी के बाद भी भूजल स्तर में बढ़ोतरी देखी गई।सौरभ भारद्वाज ने अधिकारियों को पल्ला फ्लड प्लेन परियोजना के कार्य को शीघ्र पूरा करने के निर्देश दिए गए है, ताकि दिल्ली में रहने वाले नागरिकों के लिए पीने योग्य पानी की उपलब्धता बढ़ाई जा सके। उन्होंने बताया कि दिल्ली सरकार दिल्ली में गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचा बनाने व समाज के हर तबके को बेहतर सुविधाएं देने की दिशा में विभिन्न परियजनाओं पर काम कर रही है। इन परियोजनाओं का उद्देश्य जल संरक्षण, जल प्रदूषण नियंत्रण, अंडरग्राउंड वाटर को रिचार्ज करना, दुर्गंध में कमी, दिल्ली के घरों में साफ पानी की आपूर्ति, यमुना की सफाई, प्राकृतिक कार्बन सिंक में वृद्धि कर इकोलॉजिकल सिस्टम को बनाए रखना है। पल्ला फ्लड प्लेन परियोजना का कार्य पूरा होते ही, यह परियोजना सिर्फ दिल्ली ही नहीं बल्कि पूरे देश के सूखाग्रस्त और पानी की किल्लत झेल रहे राज्यों के लिए एक बेहतरीन उदाहरण साबित होगी।
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