अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:केजरीवाल सरकार ने निर्माण श्रमिकों के लिए ऐतिहासिक फैसला किया है। कंस्ट्रक्शन साइटों पर निर्माण श्रमिकों का स्वास्थ्य चेक-अप किया जाएगा। इसके अलावा बच्चों के लिए मोबाइल क्रेच की सुविधा शुरू होगी। उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि केजरीवाल सरकार निर्माण श्रमिकों के साथ है। ‘डॉक्टर ऑन व्हील योजना’ के तहत कंस्ट्रक्शन साईट पर श्रमिकों की स्वास्थ्य जांच होगी। निर्माण साइट पर काम करने वाले श्रमिकों के बच्चों के लिए मोबाइल क्रेच की शुरुआत होगी। आधुनिक सुविधाओं से लैस मोबाइल क्रेच होंगी। निर्माण साईट पर ही श्रमिकों के बच्चों को बेहतरीन डे-केयर मिलेगा। उन्होंने कहा कि कोरोना और प्रदूषण के दौरान थमे निर्माण कार्यों के बावजूद निर्माण श्रमिकों के साथ केजरीवाल सरकार खड़ी थी। 600 करोड़ से अधिक की सहायता राशि देकर आर्थिक मदद की। निर्माण श्रमिकों के लिए केजरीवाल सरकार 17 वेलफेयर स्कीम चला रही है। पिछले साल इन स्कीमों के तहत निर्माण श्रमिकों को 13 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता दी गई। दूसरी तरफ केजरीवाल सरकार से मिलने वाली सुविधाओं की निर्माण श्रमिकों के पास आसान पहुंच सुनिश्चित करने के लिए कंस्ट्रक्शन वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड अपनी वेबसाइट को अपग्रेड कर रहा है।
उपमुख्यमंत्री व श्रम मंत्री मनीष सिसोदिया की अध्यक्षता में सोमवार को दिल्ली कंस्ट्रक्शन वेलफेयर बोर्ड की 39वीं बोर्ड मीटिंग का आयोजन किया गया। बैठक में निर्माण श्रमिकों के लिए कई बेहतर स्कीम लाने पर चर्चा हुई। जिसमें निर्माण साइट पर ही निर्माण श्रमिकों के रूटीन मेडिकल चेकअप के लिए ‘डॉक्टर ऑन व्हील योजना’, निर्माण साइट पर ही श्रमिकों के बच्चों को डे-केयर सुविधाएं देने के लिए अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस मोबाइल क्रेच व श्रमिकों को सरकार से मिलने वाली सुविधाओं की हो बेहतर व आसान पहुँच हो, इसलिए कंस्ट्रक्शन वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड द्वारा अपने वेबसाइट को अपग्रेड करना भी शामिल है। इस मौके पर उपमुख्यमंत्री सिसोदिया ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि इन सभी नई योजनाओं को जल्द से जल्द शुरू किया जाए ताकि निर्माण श्रमिकों को इसका लाभ मिल सकें। सरकार निर्माण श्रमिकों के लिए डॉक्टर ऑन व्हील योजना की शुरुआत करने वाली है। इस योजना के तहत हर जिले में मेडिकल चेकअप कैंप के आयोजन के साथ-साथ हर जिले में मोबाइल वैन विभिन्न निर्माण स्थल पर जाकर निर्माण श्रमिकों का रूटीन चेकअप करेंगे।सरकार अपनी एक और महत्वपूर्ण योजना के तहत निर्माण साईट पर विभिन्न आधुनिक सुविधाओं से लैस मोबाइल क्रेच की शुरुआत करने वाली है। जहाँ निर्माण साइट पर ही श्रमिकों के बच्चों को बेहतरीन डे-केयर मिल सकेगा। बता दें कि सरकार द्वारा निर्माण श्रमिकों के लिए फ्री यात्रा स्कीम की भी शुरुआत की गई है। जहाँ निर्माण श्रमिकों को डीटीसी बसों में फ्री यात्रा करने के लिए पास उपलब्ध करवाया जाता है।
बैठक में अधिकारियों ने बताया कि वर्तमान में बोर्ड के पास लेबर कार्ड बनवाने के लिए 17 लाख से अधिक आवेदन आ चुके हैं। ऐसे में पात्र लोगों को ही इसका फायदा मिले ये सुनिश्चित करने के लिए श्रम मंत्री ने अधिकारियों को एक स्वतंत्र एजेंसी द्वारा सोशल ऑडिट करवाने का निर्देश दिया। इसके लिए 2 सदस्यीय कमिटी बनाई जाएगी जो ऑडिट के लिए बोर्ड को अपने प्रपोजल भेजेगी और उसके अनुसार ऑडिट करवाया जाएगा। पिछले दिनों श्रम मंत्री द्वारा अशोक विहार स्थित श्रम कार्यालय का औचक निरीक्षण किया गया था। श्रम मंत्री द्वारा यहां अनियमितता पाए जाने पर कई कर्मचारियों को बर्खास्त किया गया था। श्रमिकों को सरकार द्वारा बनाई गई विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का लाभ लेने में किसी भी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े इसे देखते हुए बोर्ड जल्द ही एक नई वेबसाइट की भी शुरुआत करने वाला है।केजरीवाल सरकार द्वारा निर्माण श्रमिकों की उपस्किलिंग के लिए दिल्ली स्किल एंड एंटरप्रेन्योरशिप यूनिवर्सिटी द्वारा ‘कुशल कर्मी ’ नाम से एक ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाया जा रहा है। जहाँ निर्माण श्रमिकों का निर्माण स्थल पर ही ट्रेनिंग दी जाती है। उपमुख्यमंत्री सिसोदिया द्वारा इस स्किल प्रोग्राम के प्रगति की समीक्षा की गई। जहां अधिकारियों ने बताया कि वर्तमान में ये प्रोग्राम 3 निर्माण स्थलों पर 200 निर्माण श्रमिकों के साथ पायलट फेज में चलाया जा रहा है और इसके अच्छे नतीजे देखने को मिल रहे है। पायलट फेज के अनुभवों के आधार पर इस स्किल प्रोग्राम के दायरे को बढ़ाते हुए पीडब्ल्यूडी , डीडीए, डीएमआरसी आदि द्वारा चल रहे विभिन्न कंस्ट्रक्शन साइट के माध्यम से 2 लाख निर्माण श्रमिकों की उपस्किलिंग की जाएगी। बता दें कि 120 घंटे की इस ट्रेनिंग को पूरा करने वाले निर्माण श्रमिकों को कोर्स का सर्टिफिकेट व टूल-किट उपलब्ध करवाया जाता है। कोरोना व प्रदूषण के कारण थम गया निर्माण कार्य पर केजरीवाल सरकार की मदद से निर्माण श्रमिकों के घर में चूल्हा नहीं बुझा। अधिकारियों ने बताया कि कोरोना के पहली लहर के दौरान बोर्ड के साथ रजिस्टर्ड 1.18 लाख निर्माण श्रमिकों को प्रति श्रमिक 10 हजार रुपये की सहायता राशि दी गई। इस दौरान सरकार ने श्रमिकों को कुल 118 करोड़ रुपये की सहायता राशि प्रदान की। कोरोना के दूसरी लहर में भी लॉकडाउन लगने के कारण जब निर्माण गतिविधियों पर रोक लगी, उस दौरान भी रजिस्टर्ड निर्माण श्रमिकों को 5-5 हजार रुपये की सहायता राशि देते हुए 3.17 लाख निर्माण श्रमिकों को 158 करोड़ रुपये की सहायता राशि दी गई। साथ ही सरकार द्वारा कोरोना पॉजिटिव होने वाले निर्माण श्रमिकों को भी आर्थिक मेडिकल असिस्टेंस के तहत 10 हजार रुपये की सहायता राशि दी गई। पिछले साल सर्दियों के दौरान प्रदूषण का स्तर बढ़ने के कारण भी कुछ समय के लिए निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी गई थी। इस दौरान 6.17 लाख निर्माण श्रमिकों के खाते में सरकार द्वारा 309 करोड़ रुपये की सहायता राशि प्रदान की गई।केजरीवाल सरकार अपनी इस योजना के तहत पहली से आठवीं तक के बच्चों को सालाना 6 हजार रुपये, नौवीं व दसवीं के बच्चों को सालाना 8400 रुपये व 11वीं एवं 12वीं के बच्चों को सालाना 12 हजार रुपये की स्कॉलरशिप देती है। अधिकारियों ने बताया कि इस स्कॉलरशिप के तहत छठी से आठवीं तक के 8062 बच्चों को 4.8 करोड़ रुपये, नौवीं व दसवीं में पढ़ रहे बच्चों 4,888 बच्चों को 4.1 करोड़ रुपये व 11वीं एवं 12वीं के 2841 बच्चों को 3.4 करोड़ रुपये की राशि वितरित की गई।दिल्ली सरकार ने निर्माण श्रमिकों की बेहतरी के लिए 17 स्कीमों की शुरुआत की है। बोर्ड से रजिस्टर्ड निर्माण श्रमिकों को इन योजनाओं का लाभ मिलता है। इन योजनाओं के तहत निर्माण श्रमिकों को घर निर्माण के लिए 3 लाख से 5 लाख रुपये,मातृत्व लाभ में 30 हजार रुपये, टूल खरीदने के लिए 20 हजार रुपये का लोन व 5 हजार रुपये की सहायता राशि, श्रमिकों के प्राकृतिक मृत्यु पर 1 लाख व दुर्घटना मृत्यु पर 2 लाख की सहायता राशि, अपंग हो जाने पर 1 लाख की सहायता राशि व 3 हजार रुपये प्रतिमाह पेंशन, बच्चों की स्कूली शिक्षा व उच्च शिक्षा के लिए 500 से 10 हजार रुपये प्रतिमाह, श्रमिकों व उनके बच्चों के विवाह के लिए 35 हजार से 51 हजार रुपये की सहायता राशि, पेंशन के रूप में 3 हजार रुपये प्रतिमाह की सहायता राशि दी जाती है। अधिकारियों ने बताया कि पिछले साल विभिन्न योजनाओं के क्लेम के तहत 2440 निर्माण श्रमिकों को लगभग 13 करोड़ रुपये की सहायता राशि दी गई।
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