अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
गुरुग्राम:हरियाणा सरकार ने घोषित किया है कि गुड़गांव के बाहर जितने भी गैर मुमकिन पहाड़ है उन्हें “अरावली” नहीं घोषित किया जाएगा। इस संशोधन से गुड़गांव -फरीदाबाद के आसपास 8000 हेक्टेयर अरावली की जमीन को बिल्डरों के लिए खोल देना चाहती है खट्टर सरकार हरियाणा सरकार ने फरवरी 2019 में पंजाब लैंड प्रिजर्वेशन एक्ट संशोधन करके अरावली पर्वत माला पर अवैध निर्माण को कानूनी बनाने की कोशिश की थी पर सुप्रीम कोर्ट ने इस संशोधन पर मार्च- 2019 मैं रोक लगा दिया था।
डॉ.सारिका वर्मा ने कहा कि हमारा सरकार से अनुरोध है कि विकास के नाम पर हमारे बच्चों की सांसों को नीलाम मत करिए। विकसित देशों में हरियाली, साफ हवा, प्रदूषण का नियंत्रण, पब्लिक ट्रांसपोर्ट, सड़कों की धूल की सफाई को इतना ज्यादा महत्व दिया जाता है। हमारे यहां केवल बिल्डिंग खड़ा करना और एक्सप्रेसवे बनाने को ही विकास मानती है सरकार। चाहे ऐसी कंस्ट्रक्शन से लोगों की स्वास्थ्य पर जो असर पड़ता है उसका बिल्कुल ध्यान नहीं रखा जाता। इसलिए आज भी गुड़गांव विश्व के सबसे प्रदूषित शहरों की गिनती में आता है। हरियाणा भारत का सबसे कम वन क्षेत्र वाला राज्य है। यहां केवल 3.59% वन क्षेत्र है जबकि राष्ट्रीय औसत 21% है, पिछले 10 साल में हरियाणा का वन क्षेत्र 5.8% से गिरकर 3.59% हो गया है। इस तरह पेड़, जंगल, अरावली पर्वतमाला खत्म करने से हरियाणा के शहरों में प्रदूषण बढ़ता जा रहा है, हवा जहरीली होती जा रही है। अब यह हाल है की प्रदूषित हवा नागरिकों के फेफड़े कमजोर कर रही है, एलर्जी,अस्थमा और ब्रोंकाइटिस बढ़ रहे हैं, चौथे घर में नेबुलाइजर की जरूरत पड़ती है। सरकार के रवैया से ऐसा मालूम होता है की साफ हवा सिर्फ कुछ लोगों की जरूरत है पूरी मानवता की नहीं। खट्टर सरकार से निवेदन करते हैं कि हरियाणा का वन क्षेत्र 10% बढ़ाने के प्लान बनाइए ताकि आने वाली पीढ़ियां स्वच्छ वातावरण में सांस ले सकें। अरावली पर्वतमाला विश्व की सबसे प्राचीन पर्वतमाला है, लेकिन पिछले कई वर्षों से पहाड़ काट -काट कर वन क्षेत्र कम होता जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट में कुछ साल पहले याचिका भी दर्ज हुई थी की 31 अरावली के पहाड़ गायब हो चुके हैं। दक्षिण हरियाणा रेगिस्तान ना बने उसके लिए अरावली पर्वतमाला को बचा के रखना बहुत ज्यादा जरूरी है। अरावली के जरिए ग्राउंड वाटर रिचार्ज होता है और पशु पक्षी जीव जंतु को भी जंगलों की जरूरत है। पीएम मोदी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर घोषणा की थी कि पोरबंदर से पानीपत तक एक हरा कॉरिडोर बनाया जाएगा। नया कॉरिडोर तो बना नहीं, कम से कम जो वन क्षेत्र उपस्थित है उसे तो बरकरार रखा जाए। ऐसी योजनाएं हमारे बच्चों के भविष्य को अंधेरे में धकेल रही हैं।
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