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हरियाणा

देश की आज़ादी के लिए सिर्फ 18 साल की उम्र में फांसी के फंदे पर हंसते-हंसते झूल गए खुदीराम बोस-ज्ञानचंद गुप्ता

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
पंचकूला: हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने शहीद खुदीराम बोस के शहीदी दिवस पर सेक्टर 4 एमडीसी स्थित सामुदायिक केन्द्र का नामकरण शहीद खुदीराम बोस के नाम पर किया। शहीद खुदीराम बोस को पुष्पांजलि अर्पित करते हुए गुप्ता ने कहा कि यह पंचकूला का 12वां सामुदायिक केन्द्र है जिसका नामकरण एक शहीद के नाम पर किया गया है। इस अवसर पर नगर निगम के महापौर कुलभूषण गोयल और नगर निगम के आयुक्त धर्मवीर सिंह भी उपस्थित थे। गुप्ता ने रक्षाबंधन के पावन अवसर पर जिला वासियों और प्रदेशवासियों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी।

उन्होंने कहा कि सेक्टर 4 एमडीसी स्थित सामुदायिक केन्द्र में शहीद खुदीराम बोस के चित्र के साथ-साथ उनकी जीवनी भी दर्शाई गई है ताकि यहां आने वाले लोग उनके जीवन से प्रेरणा ले सकें। उन्होंने कहा कि खुदीराम बोस ने आज़ादी के लिए सिर्फ 18 साल की उम्र में हंसते-हंसते फांसी के फंदे को चूम लिया था। केवल 6 वर्ष की उम्र में ही उन्होंने अपने माता-पिता को खो दिया था। जब वे 9वीं कक्षा में थे तब उन्होंने वर्ष 1905 में अंग्रेजी सरकार के खिलाफ एक क्रांतिकारी संगठन युगांतर पार्टी में शामिल होने का निर्णय लिया और देश की आजादी के लिए अपनी पढाई भी बीच में ही छोड़ दी। उस समय अंग्रेजी सरकार ने बंगाल विभाजन का फैसला किया था और इस फैसले के विरोध में बड़े पैमाने पर आंदोलन चलाए जा रहे थे।

विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि इस आंदोलन के दौरान एक ब्रिटिश जज डग्लस किंग्सफोर्ड ने क्रांतिकारियों पर खूब अत्याचार किए और उन्हें कोड़े मरवाने से लेकर कई कठोर सजा सुनाई। इसके बाद क्रांतिकारियों ने डग्लस किंग्सफोर्ड की हत्या कर बदला लेने का फैसला किया। 30 अप्रैल को बिहार के मुजफ्फरपुर में खुदीराम बोस और क्रांतिकारी प्रफुल्ल कुमार चाकी ने किंग्सफोर्ड को मारने के मकसद से एक बग्गी पर बम फेंक कर हमला कर दिया लेकिन बाद में पता चला कि इस बग्गी में उनकी जगह एक बैरिस्टर की पत्नी और बेटी बैठी थी जिनकी इस हमले में मौत हो गई। इसके बाद खुदीराम बोस को गिरफतार कर लिया गया। 13 जून 1908 को जब इस मामले में खुदीराम बोस को फांसी की सजा सुनाई गई तब 18 साल के खुदीराम बोस के चेहरे पर एक शिकन तक नहीं थी।
 
गुप्ता ने कहा कि 11 अगस्त 1908 को ब्रिटिश हुकूमत द्वारा खुदीराम बोस को फांसी दे दी गई। उनकी शहादत के बाद बंगाल में कई दिनों तक स्कूल बंद रहे। वे लोगो में इतने लोकप्रिय हुए कि उस समय नौजवानों ने अपनी धोती और कमीज पर खुदीराम लिखवा लिया था।इस अवसर पर संबोधित करते हुए नगर निगम के महापौर  कुलभूषण गोयल ने कहा कि नगर निगम द्वारा पंचकूला के सभी सामुदायिक केन्द्रों का नामकरण शहीदों और क्रांतिकारियों के नाम से रखने का निर्णय लिया गया है और इसी कड़ी में आज सामुदायिक केन्द्र सेक्टर 4 एमडीसी का नाम शहीद खुदीराम बोस के नाम पर किया गया है। उन्होंने कहा कि इसी महीने दो और सामुदायिक केन्द्रों का नामकरण शहीदों के नाम पर किया जाएगा।

इस अवसर पर सेक्टर 4 एमडीसी के पार्षद सुरेश वर्मा ने विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता तथा महापौर कुलभूषण गोयल की उपस्थिति में रेजिडेंट वैलफेयर ऐसोसिएशन के प्रधान हर्ष अग्रवाल, रेलवे विहार के लिए एचसी गुप्ता तथा मनसा देवी मार्किट के लिए सुरेन्द्र मनचंदा तथा संजीव अग्रवाल को तिरंगे भेंट किए। कार्यक्रम में नगर निगम के अधीक्षक अभियंता विजय गोयल, कार्यकारी अभियंता सुमित मलिक,  पार्षद सुरेश वर्मा और सुनित सिंगला, रेजिडेंट वैलफेयर ऐसोसिएशन के प्रधान हर्ष अग्रवाल, सेवानिवृत जस्टिस आरसी गुप्ता, सेवानिवृत जस्टिस एलएन मित्तल, शहीद भगत सिंह जाग्रति मंच के प्रधान जगदीश भगत सिंह, एडवोकेट राजीव क्वात्रा, श्याम लाल सिंगला, विजय उप्पल, एएम साहनी, श्रमती भंडारी, एचसी गुप्ता, पंकज शर्मा, हरिओम, एनके पाॅल, संजीव शर्मा, संजीव अरोड़ा, सुरेन्द्र मनचंदा, पुनीत गिल, मनिंदर सिंह मक्खन, पंकज शुक्ला व अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।

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