अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:अखिल भारतीय किसान कांग्रेस के चैयरमेन सुखपाल सिंह खैरा ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि देश के किसानों एवम खेतिहर मजदूरों की विकट समस्याओं के प्रति केंद्र सरकार की उदासीनता एवम अनदेखी को देखते हुए अखिल भारतीय किसान कांग्रेस ने राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखपाल सिंह खैरा,विधायक के नेतृत्व में आगामी 9 दिसंबर 2022 को जंतर मंतर दिल्ली में राष्ट्रीय स्तर पर रैली करने का आयोजन किया जा रहा है । मैंने किसानों की समस्याओं के शीघ्र निराकरण हेतु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भी लिखा है। देशभर के किसानों, खेतिहर मजदूरों की दयनीय स्थिति एवम समस्याओं बारे केंद्र सरकार द्वारा की जा रही अनदेखी को खत्म करने के बारे में किसान पत्र लिखा गया है।
देश भर के किसानों द्वारा चलाए गए आंदोलन को खत्म हुए लगभग एक वर्ष हो चुका है।केंद्र सरकार ने उस वक्त देश के किसानों से तीनों किसान विरोधी कानूनों को वापस लेने सहित किसानों की अन्य समस्याओं बारे समाधान का आश्वासन दिया था लेकिन इस बारे केंद्र सरकार ने कोई भी कदम नहीं उठाया।किसानों के लिए जीने मरने का प्रश्न बन चुकी इन समस्याओं को लेकर एक बार फिर से सड़कों पर उतर कर विरोध प्रदर्शन करने के अलावा कोई चारा नहीं बचा है।यह दुर्भायपूर्ण है कि केंद्र सरकार ने किसानों के प्रति कोई भी ऐसा स्कारात्मक कदम नहीं उठाया जिसको लेकर किसानों में विश्वास पैदा हो,उनकी विकट समस्याओं के निराकरण की आस जगे।इन हालात को देखते हुए अखिल भारतीय किसान कांग्रेस 9 दिसंबर 2022 को दिल्ली के जंतर मंतर में विशाल धरना प्रदर्शन करने पर मजबूर है ।
मैं प्रधानमंत्री के ध्यानार्थ किसानों की मुख्य समस्याओं को लाना चाहता हूं और इनके शीघ्र समाधान करने का निवेदन करता हूं।
किसान अपने उत्पाद की कानूनन न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी चाहता है ।यह गारंटी स्वामीनाथन रिपोर्ट के आधार पर सभी फसलों के लिए C2+50 प्रतिशत फार्मूले पर होनी चाहिए।ज्ञात रहे इस उद्देश्य के लिए केंद्र द्वारा गठित कमेटी को किसान पहले ही नकार चुका है।किसानों की मांग है कि पुरानी कमेटी भंग की जाए और MSP को कानूनन अखिकार देने हेतु नई कमेटी पुनर्गठित की जाए जिसमें किसानों, किसान संगठनों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित बनाया जाए।
खेती की लागत बढ़ने और उत्पादन का सही मूल्य न मिलने के कारण देश का किसान कर्ज में डूबा है और आत्महत्या करने को मजबूर हो चुका है। हमारी मांग है कि देश के किसानों के कर्ज मुआफ किए जाएं ताकि किसानों को राहत प्राप्त हो सके।
महोदय, अगर केंद्र सरकार कारपोरेट सेक्टर को 10 लाख करोड़ के ऋण मुआफ़ करके राहत दे सकती है तो देश के अन्नदाता को भी ऐसी राहत का अधिकार है।
किसानों को ऋण में भी कम से कम 50 प्रतिशत की कटौती का प्रावधान किया जाए।
हमारी मांग है कि खेतिहर मजदूरों का ऋण पूर्णत मुआफ किया जाए।
9 दिसंबर, 2021 को केंद्र सरकार द्वारा किसान मोर्चा को लिखे एक पत्र में electricity ammendment bill 2022 को वापस लेने का लिखित वादा किया गया था लेकिन अब केंद्र सरकार ने वही बिल संसद में पेश कर दिया है।यह वापस लिया जाए।
लखीमपुर खीरी में हुए नृशंस किसान हत्याओं के लिए मुख्य षड्यंत्रकर्ता केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी को बर्खास्त किया जाए और कानून सम्मत कार्यवाही करे कठोर दंड दिया जाए तथा इसमें गिरफ्तार किए गए बेकसूर किसानों को रिहा किया जाए,किसानों पर दर्ज किए गए झूठे मुकदमें खारिज किए जाएं।केंद्र सरकार ने पीड़ित किसानों को मुआवज़ा देने का वादा किया था,उस वादे को पूरा किया जाए।
किसानों की फसल को सूखा, बाढ़,तूफान,अधिक बारिश आदि प्राकृतिक आपदानों से राहत देने हेतु सभी तरह की फसलों की कारगर बीमा योजना शुरू की जाए।
सभी छोटे, लघु, माध्यम,किसानों,खेतिहर मजदूरों के लिए 5000 रुपए प्रतिमाह की किसान पेंशन योजना आरंभ की जाए।
सभी राज्यों में किसान आंदोलनों के दौरान किसानों पर दर्ज किए गए मुकदमें रद्द किए जाएं।
किसान आंदोलनों में शहीद हुए किसानों के परिवारों को उचित मुआवज़े के साथ साथ नौकरी का प्रावधान सुनिश्चित बनाया जाए।
सिंधु मोर्चा स्थल पर शहीद किसानों के सम्मान के लिए किसान शहीद स्मारक स्थापित किया जाए।
किसानों के खेत में काम कर रहे मजदूरों को भी मनरेगा स्कीम के अंतर्गत लाया जाए इससे न केवल अधिक मजदूरों को रोजगार की गारंटी प्राप्त होगी बल्कि किसानों को भी कम लागत पर खेती करने का लाभ मिलेगा।
देश में निजी क्षेत्र में किए जा रहे साइलो भंडारण नीति का हम कड़ा विरोध करते हैं इसकी जगह किसानों की cooperative societies गठित करने भंडारण किया जाना चाहिए ताकि किसानों को रोजगार प्राप्त हो सके।