अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
झज्जर: सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने कल पंचकुला में पंचायतों के चुने हुए जनप्रतिनिधियों पर हुए लाठीचार्ज की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए कहा कि जनप्रतिनिधियों पर लाठियां बरसाना जनता का अपमान है। अपने लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए आवाज उठाने वाले पंच-सरपंचों पर BJP-JJP सरकार ने बर्बरता से कहर ढाया है। बार-बार लोकतंत्र को लहूलुहान करने वाली BJP-JJP को हरियाणा की जनता कभी माफ नहीं करेगी।
वक्त सबका हिसाब लेगा। उन्होंने सवाल किया कि सरकार को यदि पंचायतों को अधिकार नहीं देने थे तो चुनाव क्यों कराया था। प्रजातंत्र में सत्ता का जितना अधिक विकेंद्रीकरण होगा भ्रष्टाचार पर उतना ही अधिक अंकुश लगेगा। दीपेन्द्र हुड्डा ने ऐलान किया कि हरियाणा में कांग्रेस सरकार आने पर पंचायतों को सारे अधिकार वापस दिये जायेंगे, जिससे गांव का विकास सुचारू रूप से किया जा सके।
आज बेरी हलके में विधायक डॉ. रघुबीर कादयान द्वारा ‘हाथ से हाथ जोड़ो अभियान’ के तहत आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए सांसद दीपेन्द्र ने कहा कि हरियाणा में पहले दो साल तक पंचायतों के चुनाव न कराकर सरकार ने गाँवों में विकास के काम को रोके रखा, अब चुनाव हो गए तो अपनी जिद पर अड़ी BJP-JJP सरकार मनमाने फरमान लाकर गांवों में विकास को पूरी तरह ठप कर रही है। सरकार ई-टेंडरिंग के माध्यम से चुनी हुई पंचायतों के अधिकार छीनकर उन्हें अफसरशाही के हवाले करना चाहती है। बीजेपी-जेजेपी ने हर वर्ग के मान-सम्मान की पगड़ी को रौंदने का काम किया है।
ई-टेंडरिंग और राइट टू रिकॉल के विरोध में कल पंचकूला में सरपंचों के साथ जो हुआ वो शर्मनाक है। इस सरकार ने पंचों-सरपंचों की पगड़ी को भी उछालने का काम किया है। सरकार तानाशाही की सीमाओं को पार करती जा रही है। प्रदेश सरकार सत्ता के अहंकार में इस कदर मदमस्त हो चुकी है कि पहले किसानों, बेरोजगार युवाओं, पुरानी पेंशन स्कीम मांग रहे कर्मचारियों, आँगनबाड़ी, आशा वर्कर, मनरेगा मजदूर, गाँव के चौकीदार, सफाई कर्मचारियों को लाठियों से पीटने के बाद अब जनप्रतिनिधियों पर भी खुलेआम लाठियाँ बरसा रही है। लेकिन सरकार समझ ले कि प्रजातन्त्र में जनता की आवाज को लाठियों के जोर से दबाया नहीं जा सकता।
इस दौरान सर्व अनुबंध अनुदेशक संघ हरियाणा का एक प्रतिनिधिमंडल सांसद दीपेंद्र हुड्डा से मिला और उन्हें बताया कि अनुबंध के आधार पर लगे अनुदेशकों को नौकरी से निकालने के लिये सरकार 1 माह का नोटिस दे रही है। प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि आईटीआई विभाग में कुल स्वीकृत पद 5045 हैं जिसमें 1100 नियमित व 1366 अनुबंध के अधार पर कर्मचारी कार्यरत हैं। इसके अलावा 2629 पद खाली हैं व 2604 पदों पर भर्ती के लिये विज्ञापन दिया गया है। लेकिन अनुबंध पर पहले से काम कर रहे अनुदेशकों के पदों को भरा मानकर खाली पदों पर नवचयनित अनुदेशकों को कार्यभार ग्रहण करवा दिया जाए तो भी 400 से अधिक पद खाली रह जायेंगे। ऐसे में उनको नौकरी से निकालने का फैसला अन्यायपूर्ण व रोजी रोटी का संकट खड़ा कर देगा। सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने उनकी बात ध्यान से सुनी और हर स्तर पर उनकी आवाज़ को मजबूती से उठाने का भरोसा दिया। दीपेंद्र हुड्डा ने सरकार से मांग करी कि अनुबंध के आधार पर लगे अनुदेशकों को नौकरी से न निकाला जाए। सरकार बातचीत करके सकारात्मक समाधान निकाले।
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