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लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी ने आज संसद भवन पर मीडिया को संबोधित किया -क्या कहा -जरूर पढ़े

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
नई दिल्ली: कांग्रेस पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि आप लोगों को शायद ये जानकारी हो चुकी है कि आज लोकसभा स्थगित हो गई है, सिने डाई (Adjournment sine die), अनिश्चितकाल तक। पहले ये कहा गया था कि सदन 13 तारीख तक चलेगी, लेकिन आज अचानक सरकार ने ये फैसला ले लिया कि सदन चलाने की जरुरत नहीं है और सदन अचानक बंद हो गया। सरकार की तरफ से, सत्तारुढ़ पार्टी की तरफ से हमारे खिलाफ शिकायत दर्ज कराने की कोई कमी दर्ज नहीं होगी, क्योंकि उनका एक ही मकसद है कि विपक्ष को छोटा दिखाना और सच को गुमराह करना। जिस दिन से ये सदन का कामकाज शुरु हुआ, उसी दिन से सारे विपक्षी दल एक साथ जुटकर ऑल पार्टी मीटिंग में विपक्षी दलों ने सारी मांगे रखीं। हम सबने मिलकर सरकार का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि कोविड के मुद्दे पर चर्चा की जाए।

जो बेतहाशा महंगाई सारे देश के आम लोगों को झेलनी पड़ रही है, इस विषय पर चर्चा की जाए। तेल के दामों में जो लगातार वृद्धि हो रही है, इस विषय पर हम सबने सरकार के सामने मांग रखी। इसके साथ-साथ पिछले एक साल से, क्योंकि 8-9 महीने बीत चुके हैं, किसानों के मुद्दे को सुलझाने के लिए सरकार प्रयास करे। हमारी मांग थी कि तीनों काले कानूनों को रद्द किया जाए। जब पेगासस का मुद्दा सामने आया, तो हमने सरकार को ये बार-बार समझाने की कोशिश की कि ये पेगासस कोई साधारण मुद्दा नहीं है। पेगासस के मसले ने सारे देश की सुरक्षा पर एक बड़ा सवालिया निशान लगा दिया है, तो सरकार को इस पेगासस के मुद्दे पर बताना चाहिए कि क्या-क्या कदम उठाए हैं, इस पर चर्चा होनी चाहिए, क्योंकि यह सारे हिंदुस्तान के, हमारे लोकतंत्र, हमारी प्रतिष्ठा, हमारी सुरक्षा से जुड़ा हुआ मुद्दा है। लेकिन सरकार ने बार-बार हमारे गुहार लगाने के बावजूद इन विषयों पर सदन में चर्चा होने का मौका नहीं दिया। परहेज करते रहे और अंतिम दिन तक पेगासस के मुद्दे पर सदन में चर्चा नहीं हुई, आप सभी ने देखा। जब इस पेगासस के मुद्दे को लेकर इजराइल की सरकार खुद तफ्तीश कर रही है। जब फ्रांस की सरकार खुद पेगासस के मुद्दे पर जांच पड़ताल और तफ्तीश कर रही है। जब हंगरी, जर्मनी, सारी दुनिया भर में पेगासस के मुद्दे को लेकर हलचल मची हुई है और जहाँ हिदुस्तान के विपक्षी नेताओं, एक्टिविस्टस, न्याय पालिका को लेकर, समाज के हर वर्गों के लोगों के खिलाफ जिस तरह से इस पेगासस का इस्तेमाल हुआ है। यह पेगासस कांड सारे हिंदुस्तान के आम लोगों में चिंता का विषय है। इस मुद्दे को लेकर हमने सदन में चर्चा मांगी थी, क्योंकि हमारी ये मांग जायज मांग थी। इसमें कोई नाजायज चीज नहीं थी, क्योंकि सरकार खुद पेगासस के मुद्दे पर राज्यसभा में एक बयान देती है और लोकसभा में एक बयान देती है। पेगासस के मुद्दे पर मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस एक बयान देती है, मिनिस्ट्री ऑफ एक्सटर्नल अफेयर दूसरा बयान देती हैं। मिनिस्ट्री ऑफ इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी तीसरा बयान देती है। तो लोगों को समझ नहीं आ रहा कि ये पेगासस जासूसी कांड क्या है। सरकार को हमारी मांग को पूरा करना चाहिए था, क्योंकि ये कहा जाता है कि सदन विपक्षी पार्टी और देश की जनता के लिए चलता है। सही रुप से, सुचारु रुप से सदन को चलाना सरकार की जिम्मेदारी होती है।

विपक्ष की जिम्मेदारी क्या होती है – हमारी जिम्मेदारी ये होती है कि आम लोगों के जो मुद्दे हैं, देश के जो मुद्दे हैं, जिसमें आम लोगों की परेशानियां हैं, जिनसे आम लोग पीड़ित हैं, दुखी हैं, उन सारे मुद्दों को सदन में रखा जाए। सरकार का ध्यान आकर्षित किया जाए। ये हमारा कर्तव्य होता है। तो हमारी तरफ से ये कर्तव्य निभाने की हम संभव कोशिश की है, आप लोगों ने खुद देखा है। हमने बार-बार ये गुहार लगाई कि हम कृषि कानून रद्द करने के लिए चर्चा चाहते हैं। हम महंगाई पर चर्चा चाहते हैं। तेल की बेतहाशा इजाफे के खिलाफ चर्चा चाहते हैं। किसानों के मुद्दे पर, महंगाई के मुद्दे पर और साथ-साथ टीकाकरण, कोविड का मामला, हिंदुस्तान में 4 लाख से ज्यादा मौतें कोविड से हो चुकी हैं। अभी तक टीकाकरण जिस ढंग से होना चाहिए था, वो नहीं हो पा रहा है। सरकार की ओर से दिसंबर तक सारे हिंदुस्तान के सभी एडल्ट लोगों का टीकाकरण करने का दावा किया जा रहा है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि वर्तमान गति से ये करना मुश्किल है। सरकार कुछ कहती है, जमीनी हकीकत कुछ अलग कहती है। इन सारी चीजों को सामने रखकर हमने चर्चा की मांग की थी। दोबारा हम ये जिक्र करना चाहते हैं कि शुरु के दिनों से महंगाई, तेल के दामों में वृद्धि, कोविड का मसला और काले कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए बार-बार गुहार लगाते आए थे। लेकिन हमारी मांग थी कि पेगासस जासूसी का जो कांड हुआ है, सारे सदन में शुरुआत इस मसले से की जाए। कल आप लोगों ने देखा है कि सरकार ने हमारी मांग तो नहीं मानी, फिर भी जब ओबीसी का मसला आया, सारे हिंदुस्तान का, पिछ़डे वर्ग के लोगों का जो मसला आया, जहाँ सारे प्रदेशों के अधिकारों का जो मसला आया, उस समय सरकार को विपक्ष ने कल पूरी मदद की। आप लोगों ने खुद देखा है। सरकार को पूरी मदद की, बिना चाहे, सरकार को हमने पूरी मदद की, इसलिए क्योंकि कांग्रेस पार्टी और विपक्षी दल अपनी जिम्मेदारी जानते हैं। कैसे अपनी जिम्मेदारी का अनुपालन करना है, निर्वहन करना है, हम जानते हैं। इसलिए हम लोगों ने कल, आपने देखा होगा कि सुचारु रुप से सदन चला, कोई दिक्कत नहीं हुई, क्योंकि ओबीसी का मसला, ओबीसी रिजर्वेशन और प्रदेशों का जो अधिकार का मामला था, उसको सुरक्षित रखना, ये हमारा कर्तव्य बनता है। लेकिन हम क्या करें, हमारी भी कुछ मांगें होती हैं। हम भी तो देश के चुने हुए नुमाइंदे हैं। हम लोग यहाँ हवा खाने नहीं आते हैं, आम लोगों की बात रखना, ये हमारा कर्तव्य है। इस कर्तव्य को निभाने का मौका सरकार को हमें देना चाहिए, क्योंकि सरकार की जिम्मेदारी होती है सदन को चलाना। विपक्ष अपना काम करेगा, सरकार अपना काम करेगी। आज तक ये पेगासस के मसले को सुलझाने के लिए सरकार की तरफ से कोई पहल नहीं की गई कि कम से कम विपक्षी दलों से एक बात की जाए, आमने-सामने बैठकर चर्चा की जाए। विपक्षी दलों को बुलाया जाए। आज पहली बार सदन के अंदर प्रधानमंत्री जी को देखा है, जब सारे काम खत्म हो चुके हैं, प्रधानमंत्री जी सदन में पधारे थे। तो इसका मतलब ये है कि इस सरकार की दिलचस्पी पार्लियामेंट के कामकाज को चलाने में कभी नहीं रही। सरकार की दिलचस्पी है – उनके मनमाने तरीके से जितने बिल, जितने लेजिस्लेशन है, सभी को धड़ल्ले से पारित कराना। धड़ल्ले से सरकार ने सारे विधेयकों को एक के बाद एक पारित किया और सदन में कोई चर्चा नहीं हुई। ओबोसी मसले को छोड़कर कोई चर्चा नहीं हुई। हम लोगों ने देखा है कि 7 से 8 मिनटों के बीच एक-एक बिल पारित होते रहे। मतलब इतने बिल पारित हो चुके हैं, समय एक-एक विधेयक को पास करने में ज्यादा से ज्यादा 7 से 8 मिनट लगाए। ये भी इस सरकार ने एक रिकोर्ड बना दिया है। लोकसभा टीवी में हमारी बात रखने का मौका नहीं दिया जाता। हमें दिखाने पर पाबंदी लगा दी है। देखिए सदन में लोकसभा टीवी हम सबका है। हम सब लोकसभा टीवी के एक-एक स्टेक होल्डर हैं। लोकसभा टीवी और पार्लियामेंट किसी एक पार्टी के नहीं होते, चाहे बीजेपी हो या कांग्रेस। लोकसभा, लोकसभा की होती है। हम बार-बार कहते हैं कि हम जो प्रोटेस्ट कर रहे हैं, हम जो बात रख रहे हैं, ये देशवासियों को दिखाया जाए। अगर सरकार खुद फैसला करेगी कि कौन सा जायज है, नाजायज है, तो बड़ा मुश्किल होगा। ये देखना सरकार की जिम्मेदारी नहीं है। अगर हम, मतलब विपक्षी दल अगर कुछ गलत करें, तो हिंदुस्तान की आम जनता हमें शिकस्त करेगी, हमारी आलोचना करेगी, लेकिन ये नहीं चलता है यहाँ। यहाँ सरकार खुद तय करती है कि कौन सा भाषण जायज है, कौन सी मांग जायज है या कौन सी मांग नाजाय़ज है। इस तरह की मनमानी की सरकार हमारे देश के लिए, आज हम सबके और खासकर हमारे लोकतंत्र के लिए खतरा बनती जा रही है। एक प्रश्न पर की सरकार ने बार-बार ये कहा है कि आपने कोविड पर चर्चा मांगी थी, जब प्रधानमंत्री बैठे और कोविड पर प्रेजेंटेशन हुआ, तो कांग्रेस ने उस कार्यक्रम का बॉयकोट किया? श्री अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि सदन में जिस दिन बिल पारित होते हैं, सदन में बिल पारित करने की बजाए प्रधानमंत्री बाहर कहीं हॉल में बुलाकर हमें समझा दें, तो सदन में आने की हमें जरुरत नहीं होगी? सदन में आने की हमारी ईच्छा भी नहीं होगी? सदन को चलाने के लिए सरकार की भी कोई जिम्मेदारी नहीं रहेगी। जहाँ-जहाँ बिल पारित होगा, बिल पारित होने के एक दिन पहले प्रधानमंत्री बुलाएंगे, सारे विशेषज्ञों को वहाँ तैनात करेंगे और हम सबको समझा देंगे, बस हो गया? जब पार्लियामेंट चलता है और पार्लियामेंट सेशन जब चलता है, सदन के बाहर इस तरीके से हमें समझाने की कोई जरुरत नहीं है। जो समझाना चाहिए, वो सदन के अंदर समझाने की जरुरत है, क्योंकि अगर प्रधानमंत्री जी कोई कदम उठाते हैं, तो सारे देशवासियों को इसके बारे में पता होना चाहिए। जब सदन चलता है, तो सारे देशवासियों को पता चलता है कि सदन के अंदर क्या कामकाज हो रहा है।       

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