अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: कांग्रेस सांसद व पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए कहा- भूपेश बघेल जी, साहू जी, चरण दास महंत जी, स्टेज पर कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता, भाइयों और बहनों, प्रेस के हमारे मित्रों, आप सबका यहाँ बहुत-बहुत स्वागत, नमस्कार। पांच साल पहले ऐसी ही मीटिंग में बघेल जी ने, मैंने, कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने छत्तीसगढ़ की जनता से तीन-चार वायदे किए थे। सबसे बड़ा वायदा कि छत्तीसगढ़ में किसानों का कर्जा माफ होगा और एक ऐसी सरकार आएगी, जो किसानों की रक्षा करेगी, जो किसानों की, मजदूरों की आवाज सुनेगी और उनको सुनकर सरकार चलाई जाएगी। हमने ये भी कहा था कि धान के लिए छत्तीसगढ़ के किसानों को 2,500 रुपए प्रति क्विंटल मिलेगा।
अब मैं आपसे पूछना चाहता हूं – क्या हमने आपको सच बोला था या झूठ बोला था ( गांधी ने विशाल जनसभा से पूछा) (जनसभा ने कहा – सच बोला था) हमने 15-20 बातें नहीं की थी, हमने चार-पांच बातें बोली थी। मगर जो हमने स्टेज से बोला, वो हमने करके दिखाया। एक और बात, हमने वायदा किया था कि छत्तीसगढ़ में किसानों को 2,500 रुपए प्रति क्विंटल मिलेगा, किया था? आज क्या रेट है? आज 2,500 रुपए है या 2,640 है – 2,640 है। तो जो हमने वायदा किया था, उससे हम आगे निकल गए हैं। वहाँ हम रुके नहीं, हम आपको ये कह सकते थे कि देखिए, हमने तो 2,500 की बात की थी, हमने 2,600- 2,700- 2,800 की बात तो नहीं की थी, मगर नहीं, हमने उसको 2,640 कर दिया और आप बोलो भी ना, हम इसको आने वाले समय में 3,000 तक ले जाएंगे। क्यों, आपको बोलने की जरुरत नहीं है, क्योंकि हम किसान के दिल में जो है, उसको हम समझ जाते हैं और उसकी आवाज, उसके जो दिल की आवाज होती है, वो हम सुन लेते हैं।आज सुबह किसानों के साथ, मजदूरों के साथ बघेल जी और मैंने थोड़ा काम किया, बातचीत की और सारे के सारे किसान, सबने हमें कहा कि जो सरकार ने उनके लिए पिछले पांच साल में किया है, उससे पहले किसी सरकार ने ऐसा काम नहीं किया है। 2,500 रुपए प्रति क्विंटल, कर्जा माफ, बिजली बिल हाफ, किसान न्याय योजना में 23 हजार करोड़ रुपए 26 लाख किसानों को। मजदूरों को 7,000 रुपए हर साल। पांच लाख मजदूरों को फायदा मिला। अब देखिए, कांग्रेस पार्टी का तरीका देखिए, आज सुबह किसानों से बात हुई, मजदूरों से बात हुई, मजदूरों ने हमें कहा बघेल जी को, साहू जी को, टीएस जी को, मुझे कि 7,000 रुपए थोड़ा कम हैं। मैंने बघेल जी से गाड़ी में बात की और हमने निर्णय ले लिया कि 7,000 नहीं, अब 10,000 रुपए हो जाएगा और छत्तीसगढ़ के किसान, सारे किसानों को मैं कहना चाहता हूं पिछली बार हमने कर्जा माफी का वायदा किया था, वो वायदा हमने पूरा किया और इस बार भी हम कर्जा माफी का वायदा कर रहे हैं और हम आपका कर्जा माफ कर देंगे।सुबह हमने किसानों से पूछा, उनकी जमीन के बारे में पूछा और मैंने उनसे पूछा भाई, आज जमीन का रेट क्या है? सीधा मुझे जवाब देते हैं, राहुल जी यहाँ पर जमीन कोई बेचना नहीं चाहता। हमें अब जमीन बेचने की कोई जरुरत ही नहीं है, कोई कर्जा नहीं है। बैंक अकाउंट में पैसा है, हम जमीन बेचने की सोच ही नहीं रहे हैं। तो ये ऐतिहासिक बदलाव आया है और बहुत गहरा बदलाव आया है और हम चाहते हैं कि किसान, मजदूर, छोटे व्यापारी और मजबूत हों।देखिए, दो तरीके की सरकार होती है। मैंने कल अपने भाषण में कहा – एक सरकार होती है, जो गरीबों के लिए काम करती है, किसानों के लिए, मजदूरों के लिए, बेरोजगार युवाओं के लिए, उनकी मदद करती है और पूरी की पूरी अपनी शक्ति उनकी मदद करने में लगा देती है। दूसरी तरीके की सरकार होती है, वो अरबपतियों को देखती है और जो देश में सबसे अमीर लोग होते हैं, अरबपति जो होते हैं, उनके लिए सरकार काम करती है। बघेल जी ने कहा – 14 लाख करोड़ रुपए नरेंद्र मोदी जी की सरकार ने अडानी जी जैसे लोगों का कर्जा माफ किया है, 14 लाख करोड़ रुपए। आप मुझे बताइए, बीजेपी ने कौन सी स्टेट में, हिंदुस्तान में अलग-अलग स्टेट में उनकी सरकार है, कौन सी स्टेट में कर्जा माफ करके दिखाया है किसानों का, ये मुझे बता दो? आपको एक स्टेट नहीं मिलेगा और सेंट्रल सरकार को तो छोड़ दो, उनका तो सीधा अडानी जी के साथ रिश्ता है, 24 घंटे अडानी-अडानी-अडानी चलता रहता है। खादानें दे दी, एयरपोर्ट दे दिया, पोर्ट दे दिए, किसान के कानून बना दिए उनके लिए। मोदी जी किसानों से कहते हैं- नहीं, मैं तो आपके लिए फायदा करना चाहता हूं, मैं किसान बिल लाया हूं। सोचते हैं, किसान को कोई समझ नहीं है। आप किसानों की जेब में से पैसा छीनने के लिए कानून लाए थे, आप अडानी जी को पैसा देने के लिए कानून लाए थे और आप 24 घंटे अडानी जी की मदद करते रहते हैं और बीजेपी जो चीफ मिनिस्टर हैं, वो भी अडानी जी जैसे लोगों के लिए ही काम करते हैं। हम किसानों के लिए, मजदूरों के लिए, छोटे व्यापारियों के लिए, युवाओं के लिए काम करते हैं, ये फर्क है।अब देखिए, दूसरी बात, जहाँ भी बीजेपी के नेता जाते हैं, वो गरीब लोगों से कहते हैं कि देखो, हिंदी पढ़ो, छत्तीसगढ़ी और अंग्रेजी की कोई जरुरत नहीं है, हिंदी की जरुरत है। हमारी सोच दूसरी है, हम कहते हैं हिंदी जरुरी है, छत्तीसगढ़ी जरुरी है और अंग्रेजी भी जरुरी है। क्यों, अगर आपमें से किसी को छत्तीसगढ़ में किसी से बात करनी है, तो छत्तीसगढ़ी का प्रयोग होगा। अगर आप यूपी जाएंगे, बिहार जाएंगे, बाकी हिंदुस्तान में जाएंगे, तो हिंदी का प्रयोग होगा और अगर आप विदेश में जाना चाहते हैं, कॉल सेंटर में काम करना चाहते हैं, बड़ी-बड़ी कंपनी में काम करना चाहते हैं तो आपको अंग्रेजी का प्रयोग करना पड़ेगा, सही बात। सही बात। अब आप एक काम कीजिए, ये जो बीजेपी के नेता आते हैं, 24 घंटे हिंदी-हिंदी बोलते रहते हैं। आप इनसे एक सवाल पूछिए, आप इनसे ये पूछिए भैया, आप कहते हैं कि अंग्रेजी नहीं पढ़नी चाहिए, आप कहते हैं कि छत्तीसगढ़ी नहीं पढ़नी चाहिए, आप कहते हैं कि हिंदी होनी चाहिए। आप हमें एक बात बताओ, आपके जो बच्चे हैं, वो क्या हिंदी मीडियम स्कूल में पढ़ रहे हैं या अंग्रेजी सीखते हैं और ये सारे के सारे आपको बताएंगे कि नहीं भैया, हमारे बच्चे तो इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ाई करते हैं। ये लोग चाहते हैं कि हिंदुस्तान के गरीब लोग कोई भी सपना ना देखें। ये चाहते हैं कि आपके बच्चे मजदूरी करें और उनके बच्चे अंग्रेजी में बात करें, विदेश जाएं, बड़ी-बड़ी कंपनियां चलाएं, कॉल सेंटर में काम करें, इंजीनियर बनें, डॉक्टर बनें। हम चाहते हैं कि छत्तीसगढ़ का गरीब से गरीब युवा बड़े से बड़ा सपना देखे। अगर उसे इंजीनियर बनना है, अमेरिका में जाकर काम करना है, कॉल सेंटर में काम करना है, लॉयर बनना है, डॉक्टर बनना है., उसके पास सारे के सारे हथियार हों। अगर उसे छत्तीसगढ़ी की जरुरत हो, तो छत्तीसगढ़ी, अगर उसे अंग्रेजी की जरुरत हो, अंग्रेजी, अगर उसे हिंदी की जरुरत हो, तो हिंदी। ये हमारी सोच है और इसलिए पूरे छत्तीसगढ़ में हमने तकरीबन 400 स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल खोले हैं और इसको हमने ये जो जाल फैलाया है, इसको हम और फैलाएंगे और इसको हम और गहरा करेंगे।33 नई यूनिवर्सिटीज़ एस्टेब्लिश की हैं और कल हमने एक नया अनाउंसमेंट किया – केजी टू पीजी, इसका मतलब समझे आप? समझे केजी टू पीजी का मतलब, क्या है इसका मतलब? केजी से लेकर पीजी तक छत्तीसगढ़ की सरकार मुफ्त में शिक्षा देने जा रही है। ये लोग, बीजेपी वाले लोग स्कूल को, कॉलेज को, अस्पताल को प्राइवेटाइज कर रहे हैं। जैसे कि अभी बघेल जी ने कहा, बचाने वाली सरकार या बेचने वाली सरकार। ये लोग अस्पतालों को, स्कूलों को, कॉलेजों को बेचते हैं, हम बचाते हैं। इसलिए छत्तीसगढ़ में सरकारी स्कूल, सरकारी कॉलेज, सरकारी यूनिवर्सिटी में छत्तीसगढ़ के किसी भी युवा को एक रुपया नहीं देना पड़ेगा, मुफ्त में आपकी शिक्षा होगी।पिछले चुनाव में आदिवासियों से हमने तेंदू पत्ता का वायदा किया था, कहा था कि 4,000 रुपए में एक बैग तेंदूपत्ता का खरीदा जाएगा। इस बार हम कह रहे हैं 4,000 रुपए साल के, ऑटोमैटिक हम आपके बैंक अकाउंट में डाल देंगे और जो आपके जंगल में जो चीजें उगती है, तेंदूपत्ता, इमली, इनके लिए हम 10 रुपए एक्स्ट्रा एमएसपी में डाल देंगे। भाइयों और बहनों, एक और बहुत बड़ा मुद्दा है और शायद वो हिंदुस्तान की राजनीति के लिए, हिंदुस्तान की प्रगति के लिए सबसे बड़ा मुद्दा है, उसको हम जाति जनगणना कहते हैं, कास्ट सेंसस। सवाल ये है कि इस देश में हम जाति की बात करते हैं, मगर किसी को नहीं मालूम कि कौन सी जाति की कितनी आबादी है, कोई नहीं जानता। अगर मैं आपसे पूंछू भाई हिन्दुस्तान में ओबीसी वर्ग के कितने लोग हैं, यहां पर हजारों लोग हैं आप जवाब नहीं दे पाओगे। चलो पूछता हूं, हिन्दुस्तान में ओबीसी वर्ग के लोग कितने हैं? कोई बता सकता है, देखिए सन्नाटा छा गया, कोई नहीं जानता। मोदी जी 24 घंटा ओबीसी, ओबीसी, ओबीसी करते रहते हैं, मगर इस देश को ये नहीं मालूम कि ओबीसी कितने हैं, आदिवासी कितने हैं, दलित कितने हैं और आदिवासी के अंदर, दलित के अंदर अलग-अलग कितनी जाति हैं और उनकी आबादी कितनी है।अब आप पूछोगे- भईया, इसकी क्या जरूरत है? बीजेपी के लोग कहते हैं- भईया, क्या जरूरत है? देश को क्यों पता लगे ओबीसी कितने हैं? मैं आपको बताता हूं। अगर हम भागीदारी की बात करते हैं, अगर हम देश की हिस्सेदारी की बात करते हैं, तो हमें पता लगाना पड़ेगा कि अलग-अलग जाति में कितने लोग हैं। मैं उदाहरण देता हूं आपको – हिन्दुस्तान की सरकार को एमपी नहीं चलाते, लोग सोचते हैं कि भाई लोकसभा और राज्यसभा के मेंबर ऑफ पार्लियामेंट हिन्दुस्तान की सरकार को चलाते हैं, मगर जो सच्चाई जानता है वो आपको एक मिनट में कह देगा कि हिन्दुस्तान की सरकार को 90 आईएएस के ऑफिसर चलाते हैं। मतलब 90 लोग हैं जो इस देश की सरकार को चलाते हैं, उनको हम सेक्रेटरी टू गवर्नमेंट ऑफ इंडिया कहते हैं। सबसे बड़ा अफसर होता है कैबिनेट सेक्रेटरी और उसके नीचे 90 अफसर होते हैं सेक्रेटरी टू गवर्नमेंट ऑफ इंडिया, ये लोग हिन्दुस्तान की सरकार चलाते हैं, कैसे चलाते हैं – मनरेगा में कितना पैसा जाता है ये निर्णय लेते हैं, मनरेगा कैसे बनेगा, मजदूरों को कैसे पैसा दिया जाएगा, कॉन्ट्रेक्टर को कैसे पैसा दिया जाएगा, सड़क कहां बनेगी, कैसे बनेगी, अंत में ये लोग निर्णय लेते हैं।तो सवाल ये है कि अगर सचमुच में ओबीसी की भागीदारी है या दलितों की भागीदारी है या आदिवासियों की भागीदारी है, तो इन अफसरों में भी ओबीसी, दलित, आदिवासी अफसर होने चाहिए और कम से कम अगर देश में मान लो 50 परसेंट ओबीसी हैं, तो 90 में से 50 परसेंट ओबीसी होने चाहिए, तब हम कह सकते हैं- हां भईया, ओबीसी की भागीदारी है और 90 में से मान लो दलितों की 15 परसेंट आबादी है तो 15 परसेंट दलित होने चाहिए और मान लो हिन्दुस्तान में 15 परसेंट आदिवासी हैं तो 15 परसेंट उसमें आदिवासी होनी चाहिए, तो फिर हम कह सकते हैं हां भईया आदिवासी भी शामिल हैं, दलित भी शामिल हैं, ओबीसी भी शामिल हैं और जब हिन्दुस्तान का बजट बांटा जाता है, लाखों-करोड़ रुपए बांटे जाते हैं तो उसमें ओबीसी की भी आवाज है, दलित की भी आवाज है, आदिवासी की भी आवाज है, जनरल की भी आवाज है। अब सच्चाई सुनिए – 90 अफसर हैं, 90 में से केवल तीन अफसर ओबीसी से आते हैं, आदिवासियों की बात करते हैं 90 में से 3 आदिवासी हैं, तीन ओबीसी हैं और मजा वहां नहीं खत्म होता। अगला सवाल ये है कि ठीक है ये जो ओबीसी अफसर हैं, ये जो तीन हैं ये बजट में कितने पैसे का निर्णय लेते हैं? यहां जो ओबीसी युवा हैं आप हिल जाओगे, आपको गुस्सा आएगा। भाईयों और बहनों, हिन्दुस्तान के बजट में ओबीसी अफसर सिर्फ पांच परसेंट का निर्णय लेते हैं। क्या हिन्दुस्तान में ओबीसी की आबादी पांच परसेंट है? कम से कम 50 परसेंट है। तो ओबीसी युवाओं को नरेन्द्र मोदी से ये सवाल पूछना चाहिए कि हमारी आबादी 50 परसेंट, आप 24 घंटे कहते हो ओबीसी सरकार, ओबीसी सरकार, ओबीसी सरकार और हमारा हक पांच परसेंट, ये किसका बेवकूफ बना रहे हो आप। ये सवाल हिन्दुस्तान के हर ओबीसी युवा को नरेन्द्र मोदी से पूछना चाहिए। चलिए, अब आदिवासियों की बात करते हैं, यहां आदिवासी हैं। भाईयों और बहनों ओबीसी पांच परसेंट निर्णय लेते हैं, आदिवासी कितना लेते हैं? आदिवासी युवा आप अच्छी तरह सुनों – अगर हिन्दुस्तान की सरकार 100 रूपए खर्च करती है, तो हिन्दुस्तान के आदिवासी अफसर 100 में से 10 पैसे का निर्णय लेते हैं, ओबीसी पांच परसेंट और आदिवासी 0.1 परसेंट निर्णय लेते हैं और सुनना है तो दलित एक परसेंट निर्णय लेते हैं। इसीलिए जाति जनगणना की जरूरत है, हम जानना चाहते हैं कि इस देश में ओबीसी पांच परसेंट निर्णय ले रहे हैं, उनकी आबादी क्या पांच परसेंट है या 50 परसेंट और अगर 50 परसेंट है तो नरेन्द्र मोदी जी की सरकार में जो हो रहा है, वो सरासर अन्याय है।इसीलिए कांग्रेस पार्टी अपनी मीटिंग में कह रही है, मैं कह रहा हूं, बघेल जी कह रहे हैं, खरगे जी कह रहे हैं कि कांग्रेस पार्टी ने जो जाति जनगणना की थी, आंकड़े आपके पास हैं मोदी जी, उनको आप पब्लिक कर दीजिए। देश के आदिवासियों को, दलितों को, पिछड़ों को आप बता दीजिए कि उनकी आबादी कितनी है? डरने की क्या जरूरत है। नरेन्द्र मोदी जी यहां आते हैं, लंबे-लंबे भाषण देते हैं, कहते हैं मैं ओबीसी हूं, मगर ये नहीं कह सकते कि भईया मैं ओबीसी हूं, मैं जानना चाहता हूं कि इस देश में मेरे जैसे ओबीसी कितने हैं, ये नरेन्द्र मोदी नहीं कहते, क्यों नहीं कहते, क्योंकि ओबीसी के लिए काम ही नहीं करते, वो अडानी जी के लिए काम करते हैं और अगर उन्होंने कह दिया, गलती से भी कह दिया कि भईया जाति जनगणना होनी चाहिए, तो जो वो अडानी जी की जेब में डाल रहे हैं, वो नहीं डाल पाएंगे, तो हमने तो निर्णय ले लिया है कि जैसे ही हमारी सरकार दिल्ली में आएगी हम उसी दिन जाति जनगणना का काम शुरू कर देंगे और यहां पर छत्तीसगढ़ में हमारी सरकार आएगी तो जाति का सेंसस उसी दिन छत्तीसगढ़ में शुरू हो जाएगा, कर्नाटका में शुरू हो गया है, राजस्थान में शुरू हो गया है, यहां पर भी हम काम शुरू देंगे, ये मैं आपसे कहना चाहता था और जाति जनगणना के बाद पिछड़ों का, दलितों का, आदिवासियों का एक नया चैप्टर लिखा जाएगा। उनकी प्रगति के लिए, उनके विकास के लिए ऐतिहासिक काम शुरू हो पाएगा।
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