अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने मंगलवार को दिल्ली सरकार के स्कूलों में प्रिंसिपलों की नियुक्ति पर उपराज्यपाल की टिप्पणी का खंडन करते हुए कहा कि उपराज्यपाल ने शिक्षा मंत्री को दरकिनार कर प्रिंसिपलों की नियुक्ति रोक दी है और सरकार की ओर से देरी का दावा कर झूठ बोल रहे है। एलजी ने ही शिक्षा विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे मंत्री को रिपोर्ट न करें। डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा कि उपराज्यपाल 126 पदों को पुनर्जीवित करने का गलत तरीके से श्रेय लेकर दिल्ली के लोगों को गुमराह कर रहे हैं, जबकि बाक़ी के 244 पदों को ठंडे बस्ते में डाल दिया हैं। एलजी को क्रेडिट लेना बंद करना चाहिए और उन्हें तुरंत 244 प्रिंसिपल्स की नियुक्ति को मंजूरी दे देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जो स्कूल वास्तविकता में मौजूद हैं, वहाँ बच्चे पढ़ रहे है, उसमे स्टडी से ये तय क्यों करना है कि स्कूल को प्रिंसिपल की जरूरत है या नहीं है?
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने मंगलवार को एक बयान जारी कर दिल्ली सरकार के स्कूलों में प्रिंसिपलों की नियुक्ति पर दिल्ली के एलजी द्वारा बार-बार किए जा रहे झूठे दावे का पर्दाफाश किया। हाल ही में, एलजी ने एक बयान जारी कर प्रिंसिपल के 126 पदों की मंजूरी देने की आड़ में 244 प्रधानाध्यापकों की नियुक्ति में देरी करने के अपने कदम के बारे में विरोधाभासी दावे किए थे। एलजी द्वारा जारी किया गया यह दूसरा ऐसा बयान है जो इस मामले के तथ्यों से पूरी तरह परे है। इस सप्ताह की शुरुआत में, 4 और 5 फरवरी को, डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने एलजी के दावों पर अपनी प्रतिक्रिया दी थी और एलजी से इस मुद्दे पर राजनीति नहीं करने की अपील करते हुए यह बताने को कहा था कि वह इतनी महत्वपूर्ण नियुक्तियों में देरी क्यों कर रहे हैं? डिप्टी सीएम ने कहा है कि उपराज्यपाल ने सरकारी स्कूलों में प्रिंसिपलों की नियुक्ति के संबंध में एक बार फिर झूठी और भ्रामक बयान जारी किया है।हालत यह है कि सरकारी स्कूलों में प्रिंसिपल के पद खाली पड़े हैं और स्कूल बिना प्रिंसिपल के चल रहे हैं। एलजी के निर्देश पर स्कूल प्रिंसिपलों की नियुक्ति संबंधी फाइलें शिक्षा मंत्री को नहीं दिखाई जाती हैं। प्रिंसिपलों की नियुक्ति नहीं होना एलजी के कामकाज की विफलता है। अगर एलजी सर्विस डिपार्टमेंट के इंचार्ज बन जाते हैं और शिक्षा मंत्री को दरकिनार कर सभी फैसले लेते हैं तो विफलता के लिए कौन जिम्मेदार है? इन 244 पदों को समय से क्यों नहीं भरा गया? 5 वर्ष से अधिक समय से स्कूल के प्रिंसिपलों के पद ख़ाली रहने की विफलता के लिए कौन जिम्मेदार है?
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