अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि आप समझ सकते हैं कि कल जो हमारी बेटियां, हमारे खिलाड़ी अपने मेडल लेकर हरिद्वार पहुंचे, उनके दिलों में, उनके मन में कितना दु:ख होगा, कितनी टीस होगी। ये मेडल किसी भी खिलाड़ी के लिए उसके प्राण के समान है, ये उसकी प्रतिभा, तप के प्रतीक हैं, उसके परिवार के त्याग के प्रतीक हैं, देश के गौरव का प्रतीक हैं। इन मेडल्स में उन खिलाड़ियों के अखाड़ों की मिट्टी की सुगंध आती है, उनकी पसीने की खुशबू इन मेडल्स में से आती है और इन मेडल्स को बहाना किसी भी खिलाड़ी के लिए अपने प्राण त्यागने से कम नहीं है।
ऐसा दुखद, कैसी सरकार होगी जिसने उनको मजबूर कर दिया ये सोचने पर, कितनी असंवेदनशील सरकार, निर्दयी सरकार, जुल्मी सरकार, जिस सरकार से उनको न्याय की उम्मीद तक नहीं थी और वहां पहुंच गए, मगर उससे बड़ा सवाल हम पूछना चाहते हैं माननीय प्रधानमंत्री जी से और सरकार से कि सरकार की तरफ से अपील तक नहीं की गई। जो मंत्री, प्रधानमंत्री से लेकर खेल मंत्री तक जो मेडल आते थे तो इनके साथ तस्वीर खिंचाने के लिए एक के बाद एक लाईन लगा देते थे, आज अपील तक नहीं की उन्होंने, दुनिया में क्या संदेश गया आप अंदाजा लगा सकते हैं, उन्होंने ये भी नहीं कहा कि आपके साथ न्याय होगा, हम निष्पक्ष जांच कराएंगे ऐसा मत करिए, यानि कि एक संदेश गया कि आपको तो खिलाड़ियों से ही नहीं, आपको तो इन मेडल्स से भी घृणा है। मैं पूछना चाहता हूं इस सरकार से आप यूनिफॉर्म सिविल कोड की बात करते हैं, क्या वो यूनिफॉर्म कोड भाजपा के सांसदों और नेताओं पर लागू नहीं होगा, क्या उनके लिए अलग कानून है देश में, बाकी लोगों के लिए अलग कानून है। क्या कारण है कि सरकार एक ऐसे आरोपी को जिस पर साथ-साथ हमारी बेटियों ने इस तरह के ऐसे गंभीर आरोप लगाए हो, पूरी सरकार, भारतीय जनता पार्टी ऐसे आरोपी को बचाने के लिए अपनी पूरी मशीनरी झोंक रही हो। क्या कारण है कि ये केवल पहला उदाहरण भी नहीं है, भाजपा की इस तरह की चाल, चरित्र, चेहरे को हमने पहले भी देखा, हरियाणा के खेल मंत्री संदीप सिंह, उन पर इस तरह के आरोप लगे हुए हैं, लेकिन वो आज भी कैबिनेट में बने हुए हैं और जब भी कभी कोई बात देश में इस तरह की आती है, हाथरस की बात हो, कठुआ की बात हो, हरियाणा में मंत्री संदीप सिंह पर लगे आरोपों की बात हो या अभी बृजभूषण सांसद पर बात हो, क्यों एक पार्टी ऐसे आरोपियों का बचाव करने के लिए एक राजनैतिक दल, नारा तो था इनका- बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, अब वो नारा खोखला सुनाई दे रहा है, पर वो नारा अब लगता है कि नारे की परिभाषा अब हो गई है कि बेटी भाजपा के नेताओं से बचाओ, क्योंकि यदि भाजपा के किसी नेता पर, पदाधिकारी पर गंभीर आरोप लगेंगे किसी बेटी के साथ कोई गलत हरकत करने के तो सरकार उन बेटियों को न्याय नहीं दिलवाएगी, सरकार उन बेटियों की नहीं सुनेगी। जहां हम प्रश्न पूछ रहे हैं कि प्रधानमंत्री ने अपील तक क्यों नहीं की? खेल मंत्री ने अपील तक क्यों नहीं की? सरकार ने अपील तक क्यों नहीं की? वहां दूसरा पहलू ये है कि जो आरोपी है बृजभूषण सांसद, भाजपा सांसद उनका एक बयान आया कि ये मेडल तो 15 रुपए में मिल जाते हैं, 15 रुपए में, अगर ऐसा है तो ये देश और कांग्रेस पार्टी जितने वो कहेंगे, हम उतने रुपए उनको दे देते हैं, तैयार हैं, वो मेडल खरीदकर दिखाएं, ओलंपिक के मेडल। आज आप बेटियों को न्याय दिलाने के प्रश्न को राजनीतिक, प्रादेशिक, धर्म, जाति की परिभाषा से, दृष्टि के आधार पर देख रहे हैं। ये देश, भारत देश वो देश है, हमारे देश की संस्कृति वो संस्कृति है यहां हर बेटी की इज्जत पूरे देश की इज्जत है, यहां पर अपने दुश्मन की बहन-बेटी को भी अपनी स्वंय की बहन-बेटी के रूप में देखा जाता है ये वो देश है और किसी बेटी की इज्जत को किसी प्रदेश की, धर्म की, जाति की, भाषा की या राजनीति की दृष्टि से नहीं देखा जा सकता और कोई बेटी अगर न्याय की गुहार करे, उसको न्याय दिलाना राजधर्म की परिभाषा है, ये वो महान देश है। यही वो देश है हम बीजेपी की सरकार को चेताना चाहते हैं जहां पर एक नारी के अपमान से महाभारत हुआ कुरुक्षेत्र में। जब एक ओर संसद भवन का उद्घाटन हो रहा था जिस तरीके से बेटियों को घसीट-घसीटकर दुनिया के सामने जो आपने दृश्य रखे, हम चेताना चाहते हैं आप देश के धैर्य की परीक्षा और न ले। दुखद है कि इस मामले को, जैसा मैंने कहा कि राजधर्म में बेटी की इज्जत सर्वोपरि है, लेकिन इस मामले को अलग-अलग दृष्टि से देखा जा रहा है, अगर हरियाणा की बात करते हैं, क्या हरियाणा की बेटियों की इज्जत और हरियाणा की बेटियों को न्याय इस देश में नहीं मिलेगा?आखिर क्यों खिलाड़ियों से, मेडलों से ये इतनी घृणा कर रहे हैं। बॉक्सिंग में मैं एक उदाहरण देना चाहता हूं। जैसे मैंने कहा कि 23 हमारे देश के इंडिविजुअल मेडल आए आज तक, जिसमें 11 हरियाणा के खिलाड़ी लेकर आए, हमें गर्व है इस बात पर, मगर वो हरियाणा के खिलाड़ी नहीं थे, देश का तिरंगा हाथ में लेकर, मेडल लेकर आए, जन गण मन की गूंज दुनिया के कोने-कोने में गई, बॉक्सिंग का पहला मेडल, हमारे साथ बैठे हैं, हमारे आइकन देश के, हमारे भाई विजेन्द्र लेकर आए। रेसलिंग, महिला रेसलिंग का पहला मेडल हमारी बहन साक्षी मलिक लेकर आई, बेडमिंटन का पहला मेडल हरियाणा से हमारी बहन साइना नेहवाल लेकर आई, जेवलिन का पहला मेडल हमारे भाई नीरज चोपड़ा लेकर आए, वेट लिफ्टिंग का पहला मेडल कर्णम मल्लेश्वरी यमुना नगर से हमारी बहन लेकर आई और हॉकी के भी जो मेडल हैं उसमें ज्यादातर बड़ी संख्या में हरियाणा के खिलाड़ी हर टीम में और मैं इनको भी बताना चाहता हूं ये जो खेलो इंडिया का ढोल पीट रहे हैं 2 ओलंपिक खेल हुए हैं इनके शासन काल में 2016 में और 2020 में 2 ओलंपिक खेलों में 8 इंडिविजुअल मेडल आए हैं, 8 में से 4 अकेले हरियाणा के खिलाड़ी लेकर आए हैं और जिसमें से 3 कुश्ती खेल से संबंधित हैं।अगर आप इनको कुछ मान ही नहीं रहे हो तो आपका तो खेलो इंडिया और जो आप मेडल्स के लिए ढोल बजा रहे हो, वो तो सारे नारे आज धरे के धरे रह गए। देश के दिल में बहुत दर्द है कि प्रधानमंत्री ने अपील तक करना ठीक नहीं समझा। ये कह सकते थे कि निष्पक्ष जांच होगी और न्याय मिलेगा, आप मेडल्स को यूं गंगा में विसर्जित करने के बारे में मत सोचिए, आप भी देश की बेटी हो, मगर इतने भी शब्द प्रधानमंत्री जी, खेल मंत्री जी या बीजेपी के किसी प्रवक्ता के मुंह से भी नहीं आए। ये अहंकार है, ये अहंकार की पराकाष्ठा है। मैं अब…. इसी विषय पर हमारे भाई विजेन्द्र जी, वो भी आपके बीच में अपनी बात रखें, उसके बाद आपके प्रश्न हम लेंगे।
विजेन्द्र सिंह ने कहा कि धन्यवाद आप सबका और काफी विस्तार से दीपेन्द्र ने बताया कि हरियाणा के जो लड़के-लड़कियां हैं, कितनी मेहनत से ओलंपिक में मेडल जीत कर लेकर आते हैं, लेकिन जैसे ही मैंने कल न्यूज़ देखी कि हमारी बहनें साक्षी और विनेश फोगाट अपने मेडल गंगा नदी में बहाने जा रही हैं तो मुझे एकदम मोहम्मद अली साहब की याद आ गई। मोहम्मद अली साहब एक मशहूर मुक्केबाज रहे हैं, जिनको कैसियस क्ले नाम से जाना जाता है। जब उनके ऊपर जब यूएस में गोरे-काले की नीति चल रही थी और उनको एक रेस्टोरेंट में दाखिल नहीं होने दिया जा रहा है, उन्होंने बताया कि मैं ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट हूं। तब उन्होंने उनको बाहर फेंक कर मारा बोला कि तेरे जैसे ओलंपिक मेडलिस्ट बहुत आते हैं। तो इस बात से आहत होकर उन्होंने अपना ओलंपिक मेडल ओहियो नदी में फेंक दिया था। उसके बाद जो क्रांति आई थी पूरे यूएस में और आप देख सकते हैं कि यूएस दुनिया का सबसे नंबर वन मुल्क है। तो ऐसे लोगों की वजह से वहाँ के लोगों ने उन लोगों का साथ दिया कि नहीं भैया रंग-भेद नहीं है, हमें नहीं रहने देंगे। लेकिन हमारे यहाँ उल्टा होता है। हमारे यहाँ जब हमारी बहनें ओलंपिक मेडल नदी में फेंकने जाती हैं, तो वहाँ सबसे पहले उनका मजहब पूछा जाता है, हिंदू या मुस्लिम हैं, चलो हिंदू हैं, फिर उनको कास्ट में बांट दिया जाता है। अच्छा तुम जाट हो, अच्छा ये वो है, ये वो है। तो बहुत सारी चीजें, फिर उनके बाद ये आईटी सेल हो जाती हैं। फिर बहुत सारे लोग आते हैं, मैंने ट्विटर पर देखा, जो आईटी सेल की टीमें होती हैं कि हम आपको यहाँ प्रवाहित नहीं करने देंगे। इससे हमारी गंगा नदी दूषित हो जाती है।तो ये देखकर बहुत दुख होता है। बहुत सारे लोगों को मालूम नहीं होता है कि ओलंपिक होता क्या है। आप लोगों को भी नहीं मालूम, बहुत सारे नेता लोग हैं, उनको भी नहीं मालूम कि ओलंपिक होता क्या है। पहले जहाँ आप ट्रेनिंग करते हैं, वहाँ जीतना पड़ता है। अखाड़े होते हैं, वहाँ जीतना पड़ता है, नंबर वन बनना पड़ता है उस वेट में। फिर जाकर आपका डिस्ट्रिक्ट में ट्रायल होता है कि भैया मैं भिवानी से हूं, तो मैं यहाँ पर ट्रायल दूंगा। वहाँ 4-5 एकेडमी और होती हैं, वहाँ जीतना पड़ता है। फिर जाकर स्टेट में जीतना पड़ता है, फिर जाकर नेशनल में जीतना पड़ता है, फिर जाकर एशिया में जीतना पड़ता है और फिर जाकर ओलंपिक में जीतना पड़ता है, तब जाकर ओलंपिक मेडल आता है।अभी लोग आगे बात तो कर देते हैं, ओलंपिक मेडल है, हमारे पैसे भी दो, वो दो। तो पहले भैया पहले भी हमने बात कही थी इस बात में कि भैया अगर सरकार चाहेगी कि हम कहते हैं कि पैसे भी दे देगी उनको, अगर ज्यादा दिक्कत है इस चीज से। लेकिन पहले ऐसा बनकर दिखाओ, ऐसा मेडल लाकर दिखाओ, उसके बाद आप बात कीजिएगा। तो बड़ा आसान होता है किसी के ऊपर उंगली उठाना। तो बहुत कहते हैं कि बहुत दुख होता है हमें, बहुत गुस्सा भी आता है इस चीज पर कि हमारी बहनों का ये हाल इस सरकार ने कर दिया।इससे पहले मैं कई बार ये सोचता हूं कि कांग्रेस के टाइम पर ये सब चीजें होती तो क्या होता। आपने सवाल पूछे क्या होता, सबसे पहला I think उस मिनिस्टर को हटाया जाता, जो भी उसका सदस्य है। जहाँ तक मेरी सोच है, क्योंकि मुझे राजनीति जहाँ तक समझ में आई है, तब तक मैंने बहुत देखा है, कांग्रेस को बहुत करीब से देखा है। अब मैं बीजेपी को देख रहा हूं तकरीबन 8-9 साल से। लेकिन बहुत चेंज है इन दोनों की राजनीति में। तो सबसे पहले I think कांग्रेस उसको निकालती, उसके बाद कहते कि सबसे पहले प्रधानमंत्री- स्पोर्ट्स मिनिस्टर हैं, उनसे बात करते, अपनी बहनों को बुलाते कि भईया दिक्कत क्या हुई, क्या परेशानी हुई है। बहुत सारे लोग कभी कुछ, कभी कुछ बोलते रहते हैं, लेकिन हम उनके साथ थे, आगे भी हैं और आगे भी रहेंगे।तो मैं चाहूंगा कि विनेश और साक्षी का आप लोग साथ दें, मीडिया बहुत जरुरी है। आप संविधान का चौथा स्तंभ माने जाते हैं। तो मैं चाहूंगा कि सही को सही दिखाएं, गलत को गलत दिखाएं और मैं हमेशा उनके साथ हूं एक खिलाड़ी होने के नाते, एक ओलंपिक मेडलिस्ट होने के नाते। ये सब चीजें, क्योंकि हरियाणा में हमने देखा है, हरियाणा में जब कांग्रेस की हुड्डा सरकार आई थी, तब ये शुरु हआ था, ये सब चीजें। उससे पहले कितने ओलंपिक मेडल आए थे, आपके आने से पहले कितने ओलंपिक मेडल आए थे, बहुत कम आ्ए थे। लेकिन जैसे वहाँ पर कांग्रेस की सरकार आई, हुड्डा की सरकार आई, तब वहाँ पर कैश प्राइज़ मिलने शुरु हुए थे, 31,000, 51,000, 1,00,000 रुपए और हमारे लिए बहुत अहम होता था वो 31,000, 21,000 और 15,000 की राशि बहुत अहम होती थी। लेकिन एक रेवोल्यूशन होता है, एक चेंज होने में बहुत टाइम लगता है और चेंज किया है, कांग्रेस ने किया है, हुड्डा साहब ने किया है और आप सब लोग कहते हैं कि हरियाणा से बिलोंग करता हूं तो मुंहबाय बाट देखण लाग रहे हैं, भैया कहाँ गई सरकार, कहाँ गई वो सरकार। तो भईया टाइम आता है, हर चीज का टाइम होता है, तो वो कहते हैं कि बड़े-बड़े लोग इस दुनिया में नहीं रहे, तो ये भी नहीं रहेंगे एक दिन। Just wait and watch.दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने पुन: कहा कि मैं इसमें एक आंकड़ा और देना चाहता हूं जो रह गया था। ये जो कह रहे थे अगर ये 2 मैंने इनके 2 ओलंपिक बताए हैं, अगर ये आप यूपीए के टाईम से, ये कह रहे हैं कि कांग्रेस के समय स्टार्ट हुआ… तब से लेकर और आज तक के ओलंपिक देखोगे 17 इंडिविजुअल मेडल आए हैं भारत के, 17 में से 10 हरियाणा के खिलाड़ी लेकर आए हैं भारत देश के लिए, 17 में से 10 जो इन्होंने कहा कि भाई हरियाणा की उस समय की जो सरकार थी और उसके बाद प्रोत्साहन का वातावरण बनाया, जिसको आज तहस-नहस किया जा रहा है।मैं बार-बार कहना चाहता हूं, अगर इनको आप मेडल की अगर सूचि में अगर आप नहीं गिनना चाहते तो आने वाले समय में कितना नुकसान होगा आप अंदाजा लगा सकते हैं। कौन अपनी बेटी को इस वातावरण में अभी विजेन्द्र जी मुझे बाहर कह रहे थे कि ऐसे में इस देश में अपनी बेटी को, अपनी बहन को कौन भेजेगा प्रैक्टिस के लिए, अगर न्याय नहीं होगा।
एक प्रश्न पर कि आप लोग लगातार बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी और कड़ी से कड़ी कार्रवाई होने की मांग कर रहे हैं, जो ओलंपिक खिलाड़ी थे वो गंगा में अपने मेडल्स भी बहाने चले गए, अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है, अब आप लोगों को क्या उम्मीद लगती है, आगे क्या होने वाला है? श्री दीपेन्द्र सिंह हुड्डा ने कहा कि देखिए आप अगर पूरे मामले को शुरू से देखेंगे आपको उत्तर मिल जाएंगे। खिलाड़ियों ने आज से चार, साढ़े चार महीने पहले वो बैठे जंतर-मंतर पर और ये कहा कि हम मांग करते हैं और हम सरकार पर विश्वास व्यक्त करते हैं कि सरकार हमारे साथ न्याय करेगी, किसी भी विपक्षी पार्टी को या राजनैतिक दल को उस धरने पर खिलाड़ियों ने आने से मना किया कि कोई नहीं आएगा, हमें सरकार पर विश्वास है, हम विश्वास व्यक्त करते हैं सरकार पर, सरकार राजधर्म निभाएगी, हम भी इस देश के नागरिक हैं। तब ये कहा गया कि नाम आगे आएं जो लड़कियां हैं, ये वो देश है कि कोई भी लड़की, ऐसा कोई भी बहन, कोई बेटी इस तरह के अगर आरोप अपनी खुद के सम्मान को दांव पर लगाकर ही इस तरह के आरोप लगाए बहुत साहस का काम है, आसान काम नहीं है।मगर खिलाड़ियों ने 3 महीनों तक सरकार पर विश्वास रखा, दर-दर ठोकरें खाई, हर सरकार के मंत्री के दरवाजे खटखटाए, लेकिन उनको न्याय नहीं मिला। ऐसी निर्दयी, अन्यायी सरकार… जब खिलाड़ियों को ये बात समझ में आई कि सरकार तो आरोपी का बचाने के लिए हर तरह के प्रयास कर रही है, तब खिलाड़ी दोबारा से जंतर-मंतर पर बैठी ये बेटियां और तब इन्होंने कहा कि देश में कोई भी हमें समर्थन दे, क्योंकि हम अकेले अब लड़ाई कब तक लड़ें और उसके बाद से लगातार अगर आप देखें किसी सरकार के सीनियर मंत्री ने कोई अभी तक सीरियस स्टेटमेंट तक नहीं दिए। मैंने आपको बताया 17 में से 10 मेडल लगभग एक खेल के, एक प्रदेश के इस 21वीं सदी के ओलंपिक के इंडिविजुअल मेडल्स और इनकी सरकार के, जो ये कह रहे हैं कि खेलो इंडिया, इतने मेडल आ गए… इनकी सरकार के समय के 8 में से 4 मेडल उनको कल बहाने के लिए जब पहुंच रहे थे खिलाड़ी आपने उनको रोकने की अपील तक नहीं की, ये भी नहीं कहा कि निष्पक्ष जांच की मैं जिम्मेदारी लेता हूं निष्पक्ष जांच होगी आपने, आपकी सरकार ने तो आप तो इन खिलाड़ियों से ही नहीं ये आपकी सरकार तो मेडल से भी घृणा कर रही है। तो आज नाउम्मीदी कहां तक पहुंच गई होगी खिलाड़ियों के दिलों में कि खिलाड़ी इस कदम के लिए मजबूर हुए, जैसा मैंने कहा कि ये मेडल उनके लिए उनके बच्चों के समान हैं, उनके प्राण समान हैं। 15-15 रुपए बताने वाले को जितना वो कहेंगे हम देने का तैयार हैं, वो मेडल खरीदकर दिखाएं ओलंपिक के और आगे क्या जवाब देंगे हम अगली पीढ़ी को।तो ये मैं समझता हूं आज नाउम्मीदी तो नि:संदेह इस स्तर तक पहुंची कि वो पहुंचे वहां, लेकिन आपने कहा कि आगे क्या होगा – आगे इस न्याय की लड़ाई में हम अपनी बेटियों के साथ हैं, देश उनके साथ है, कांग्रेस पार्टी भी साथ है और पार्टी से ऊपर उठकर देश अपनी बेटियों के साथ है जब तक न्याय नहीं मिलेगा, तब तक उनका हम साथ देंगे। हां हम अपील जरूर करना चाहते हैं कांग्रेस पार्टी की तरफ से भी कि ये मेडल किसी बृजभूषण की मेहरबानी से नहीं आए, ये इनकी मेहनत से आए, इनके तप से, तपस्या से, इनकी प्रतिभा की वजह से, इनके मां-बाप के त्याग की वजह से ये मेडल आए हैं। हम ये अपनी बेटियों से जरूर कहना चाहते हैं इस फैसले को जैसे 5 दिन जो टला है इस पर वो पुनर्विचार करें, मेडल्स नहीं बहाएं जाएं और इस बात के लिए हम कांग्रेस पार्टी की तरफ से उनसे अपील करते हैं कांग्रेस पार्टी न्याय मिलने तक उनकी लड़ाई में उनके साथ है।एक अन्य प्रश्न पर कि यूनाईटेड रैसलिंग फेडरेशन ने निंदा की है जो एक्शन खिलाड़ियों पर लिया गया है और थ्रेटन किया है कि अगर इस मामले में एक्शन नहीं लिया गया तो भारत की मेंबरशिप को कैंसिल किया जा सकता है। क्या ये इंटरनेशनल शर्मिंदगी का सबब है और खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने खिलाड़ियों पर तो बयान नहीं दिया, लेकिन श्री राहुल गांधी पर एक बयान दिया है कि उन्होंने बाहर जाकर देश का अपमान किया है, क्या कहेंगे इस पर? श्री हुड्डा ने कहा कि देखिए, 2 पार्ट है आपके, पहला तो है जो यूनाईटेड वर्ल्ड रैसलिंग और यूनाईटेड वर्ल्ड रैसलिंग के साथ-साथ इंटरनेशनल ओलंपिक कमेटी की भी जो प्रवक्ता हैं, इंडियन एक्सप्रेस में वो भी आपने पढ़ा होगा, उन्होंने भी चिंता, बहुत चिंता जताई है कि देश में क्या हो रहा है कि किसी दुनिया के देश में खिलाड़ियों के साथ ऐसा नहीं और खिलाड़ियों के साथ क्या ये तो बेटियों के साथ। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि अगर वो भाजपा सांसद नहीं होते तो क्या… और मैं ये भी कहना चाहता हूं, जो मैं सारी क्रोनोलॉजी बता रहा था… एक और बहुत महत्वपूर्ण बात है 3 महीने तक न इन्होंने एफआईआर की, न करने का इरादा था, हम तो संविधान निर्माताओं का धन्यवाद करते हैं कि एक स्वतंत्र न्याय पालिका इस देश में है और सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार इनको एफआईआर करनी पड़ी और क्या आपको लगता है कि कोई हमारी बेटी आज के बाद बीजेपी के कोई पदाधिकारी किसी बेटी को छेड़ता है कोई देश में, कोई गलत कार्रवाई करता है तो जब ये पता है कि ये एफआईआर तो सुप्रीम कोर्ट से करानी पड़ेगी इतनी लड़ाई लड़कर तो कौन जाएगा थाने में कंप्लेंट करने, ये क्या संदेश हैं मैं पूछना चाहता हूं देश में।
तो ये जो निश्चित तौर से जो इंटरनेशनल ओलंपिक कमेटी ने और यूनाईटेड वर्ल्ड रैसलिंग फेडरेशन ने जो ये संज्ञान लिया है इस बात का कहीं न कहीं विश्व स्तर पर अगर इस सरकार की इमेज खराब करने का काम कर रहा है तो ये खुद स्वंय सरकार कर रही है।दूसरा आपका प्रश्न है राहुल जी ने क्या कहा – राहुल जी ने हमेशा भारतवर्ष के लिए, उनके विचार और उनके कथन हमेशा भारतवर्ष के लिए उच्चतम रहे हैं, कोई पार्टी अपने आपको भारत देश मानने की गलतफहमी न करें, न कोई व्यक्ति अपने आपको भारत देश मानने की गलतफहमी करे। भारतवर्ष के लिए राहुल जी के विचार और वक्तव्य हमेश बहुत उच्चतम रहे हैं।एक अन्य प्रश्न पर कि पिछली बार आप रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया का चुनाव लड़े थे और अब जिस तरह का माहौल है क्या दीपेन्द्र हुड्डा देश की बेटियों के सम्मान के लिए दोबारा चुनाव लड़ेंगे? श्री हुड्डा ने कहा कि मैं पहले दिन से स्पष्ट कर चुका हूं रैसलिंग फेडरेशन की राजनीति में मेरी कोई न रुचि है, न ही मेरी कोई इच्छा है, मैं संपूर्णतया हरियाणा की राजनीति में समर्पित हूं, हरियाणा में परिवर्तन लाने के लिए दिन और रात वहां पर प्रयत्नशील हूं और इस विषय में रैसलिंग फेडरेशन की राजनीति का कोई विषय नहीं है, बेटियों के न्याय का विषय है और जहां तक मेरी बात है पहले दिन उन्होंने मेरा नाम लिया था, उसी दिन मैंने ये बात कह दी थी, मगर वो बार-बार मेरा नाम लेते हैं और मैं एक बात कहना चाहता हूं अगर मुझ पर ये आरोप हैं कि मैं इन बेटियों का साथ दे रहा हूं और बृजभूषण और सारे भाजपा की ट्रोल आर्मी मुझ पर ये आरोप लगा रही है कि मैं अपनी बेटियों का साथ दे रहा हूं तो मैं इस आरोप को स्वीकार करता हूं। मैं अपनी बेटियों के साथ था, हूं और रहूंगा जब तक अपनी बेटियों को न्याय नहीं मिलेगा, अगर वो सोचते हैं कि वो नाम लेने से मैं पीछे हट जाऊंगा अपनी बेटियों का साथ देने से तो उनको बहुत गलतफहमी है, अगर वो सोचते हैं कि नाम मेरा लेकर बेटियों को न्याय दिलाने के इस गंभीर मसले को वो कोई राजनैतिक या प्रादेशिक या जातीय, या धार्मिक दिशा में मोड़ने का वो कुप्रयास करेंगे तो ऐसे प्रयासों को भी हम सफल नहीं होने देंगे।
एक अन्य प्रश्न पर विजेन्द्र सिंह ने कहा कि जी पहले भी हम तो इनके साथ थे, हमने इनका साथ दिया था और अब भी हैं, आगे भी रहेंगे।
एक अन्य प्रश्न पर कि दिल्ली पुलिस को सोर्स ने मीडिया को जानकारी दी है कि अब तक की जांच में ऐसा कोई तथ्य नहीं आया है, ऐसी कोई जानकारी नहीं आई है जिसके कारण बृजभूषण की गिरफतारी जरूरी हो तो ये जो कहा जा रहा है दिल्ली पुलिस के सोर्सज के द्वारा इस पर आप क्या कहेंगे और जो नाबालिग के द्वारा जो आरोप लगाए गए हैं वो बताया जा रहा है पुलिस के सोर्सज के द्वारा वो नाबालिग नहीं थी कथित घटना के समय में…. हुड्डा ने कहा कि ये क्या सोर्सेज हैं और वो खुलकर सारी बात रखें देश के सामने। देखिए दिल्ली पुलिस तो इनकी एफआईआर भी नहीं कर रही थी 3 महीने तक तो इस मामले में दिल्ली पुलिस की आज तक की जो कार्रवाई दिल्ली पुलिस ने की है उससे दिल्ली पुलिस की साख वो बहुत ज्यादा अभी है नहीं, हां दिल्ली पुलिस सारे तथ्य देश के सामने रखे, ये सोर्सेज की क्या बात है। एक अन्य प्रश्न पर कि अनफोर्चुनेटली मीडिया का एक सेक्शन जो महिला पहलवान कल मेडल बहाने जा रहे थे उन्हें नसीहत देता हुआ नजर आया कि आप मेडल बहा रहे हैं तो आप नौकरी भी छोड़ दीजिए और पैसे भी लौटा दीजिए, आप भी एक ओलंपियन हैं, आप इस पोडियम से क्या उनकेा रिप्लाई करना चाहेंगे? श्री विजेन्द्र सिंह ने कहा कि मैंने बताया जब मैंने प्रेस कॉन्फ्रेंस शुरू की थी तब मोहम्मद अली साहब का भी एक जिक्र किया था और जब उन्होंने मेडल फेंका था तो उस दौरान अगर अमरीका के लोग भी यही बोलते कि भईया ये तो ठीक है, ये तो जायज हुआ है, तुम ये करो, वो करो, हमने पैसे खर्च किए हैं तो ये देश का दुर्भाग्य है कि जो मीडिया ऐसा सोचती है।मैं नहीं मानता कि सब लोग ऐसा सोचते हैं, मीडिया में अच्छे लोग भी हैं और बेहतर लोग भी हैं, अच्छा काम करना चाहते हैं, उनकी आवाज भी उठा रहे हैं, मैं नहीं कहता कि ये सब एक जैसे हैं नहीं, लेकिन इस तरह की सोच रखना, अगर वो चाहेंगे, अगर राष्ट्रपति जी या प्रधानमंत्री अगर लिखकर दे देंगे, रिटर्न में दे देंगे तो भईया उनको कैश प्राईस चाहिए, उनको नौकरी चाहिए तो मैं तो अपनी दे सकता हूं भईया, मैं अपना जायजा ले सकता हूं, रही बात उनकी तो अगर वो चाहते हैं, लिखित में देंगे तो लोग वो सब इकट्ठा होकर पैसे भी दे देंगे उनके।
एक अन्य प्रश्न पर कि वो ये भी कह रहे हैं कि गिरफ्तारी के लिए कोई सबूत दिल्ली पुलिस के पास नहीं है, इसलिए आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता? श्री दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि देखिए, पता नहीं वो क्या कह रहे हैं, इसलिए मैं पूरी बात देखकर फिर ही बात कह सकता हूं, मगर मैं वकील भी हूं, तो ये आपका कहना कि आरोपी केस के सबूत को ना नष्ट कर रहा है, ना कर सकता है। लॉ में ये चीज देखी जाती है कि क्या आरोपी नष्ट करने की पोजीशन में है सबूत और इसलिए अगर किसी पर आरोप लगता था, तो मांग होती थी इस्तीफा हो। चाहे वो एमजे अकबर की बात रही हो। उसमें इस्तीफे की मांग इसलिए नहीं की जाती थी कि वो पहले दिन दोषी करार हो गए। वो इसलिए अपने सारे पदों से इस्तीफा देने की बात की जाती थी कि वो उनके पास किसी जांच को प्रभावित करने की पावर ना रहे। इसलिए हरियाणा में कोच संदीप सिंह का हम इस्तीफा मांग रहे हैं, मुख्यमंत्री खट्टर साहब कह रहे हैं कि कैबिनेट में रहेंगे। कैबिनेट में मंत्री रहेंगे तो आपने क्लीन चिट दे दी। उसके बाद कौन सी जांच ऑफिसर उनके खिलाफ लिखेगा। ऐसे ही यहाँ पर अगर ये कोई भी ऐसा आरोपी अपने सारे पदों पर बरकरार रहता है, सत्तारुढ़ पार्टी में है, तो कितनी निष्पक्ष जांच हो पाएगी, प्रश्न चिन्ह उठते हैं? तो ये शुरु से ऐसा लग रहा है कि ये सरकार पूर्णत: इनको बचाने में लगी है। भाजपा की नीयत, सरकार की नीयत इसमें स्पष्ट रुप से जो सामने आई है, वो इनको बचाने की नीयत सामने आई है। ये पीड़ा हमारी देश की बेटियों के मन में है और देशवासियों के दिलों में है।
एक अन्य प्रश्न पर कि अगर पुलिस आरोपी को क्लीन चिट देती है, तब आपके पास क्या ऑप्शन रहेगा? दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि देखिए, ये तो जो हमारी बेटियां हैं, उनके जो वकील हैं, वो लोग सारी स्थिति के अनुसार आपने न्याय की लड़ाई को जिस रुप में भी कानूनी लड़ाई और नैतिक लड़ाई को जो भी अपना वो रुप देंगे, वो तो उनका रहेगा। हमारा स्टैंड अपनी बेटियों का साथ देने का है, समर्थन करने का है। बेटियों को इस लड़ाई में, न्याय की लड़ाई में कांग्रेस पार्टी अपनी बेटियों के साथ रहेगी। एक अन्य प्रश्न पर कि केन्द्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी जी को पहलवानों से संबंधित प्रश्न पूछने पर जवाब देने के बजाय भागते देखा है, एक वीडियो वायरल है, इस पर क्या कहेंगे? दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि इस पर हम क्या कहेंगे? कई बार आप लोग जब कमेंट पूछते हैं, तो कमेंट से ज्यादा भागना बहुत कुछ कह देता है, हम क्या कहेंगे? एक अन्य प्रश्न पर कि जिस नाबालिग लड़की को लेकर पॉक्सो लगाया है, उनके एक परिजन कह रहे हैं कि खिलाड़ियों ने राजनीति की है? दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि ये भी आपको बीजेपी का आईटी सेल, उसके एक चाचा ने ये कहा, लड़की के चाचा ने, जो आप कह रहे हैं। दुर्भाग्य की बात देखिए कि ये सारी लड़कियों की आईडेंटिटी वो अपनी अस्मिता के लिए उसको ये खिलाड़ी जो सामने आए थे, सीनियर खिलाड़ी सामने आए थे, लेकिन बाकी लड़कियों को ये रिवील अभी तक, मगर भाजपा के एक पूर्व मंत्री के साथ एक प्रेस वार्ता में लड़की का चाचा आया कि जी ये दबाव बनाकर आइडेंटिटी रिवील, उसके बाद उसके पिता आए कि ये चाचा से तो बहुत सालों से हमारा लेना-देना ही नहीं है तो उसके बारे में उन्होंने काफी कुछ बताया कि उनके बारे में क्या-क्या है, तो आप वो भी देखिए। हम तो कई वर्षों से मिले ही नहीं हैं और कई तरह के इस पर आपराधिक मामले हो गए थे, तब इनसे हमारा कोई लेना-देना नहीं है। अब आप बताइए कि क्या एक बेटी की आइडेंटिटी ऐसे रिवील होनी चाहिए और भाजपा के आईटी सेल द्वारा ऐसे व्यक्ति, आप उसके पिता से पूछिए, उसके पिता का भी आ गया, जो बेटी है इस प्रश्न में। तो बड़ा दुर्भाग्य है कि आजकल आइटी सेल, दुर्भाग्य ये है कि आईटी सेल वाले भी हमारी बेटियों की गरिमा का उनके मस्तिष्क में कोई ध्यान नहीं है। ये बड़ा दुखदायी है।एक अन्य प्रश्न पर कि बृजभूषण शरण ने संतों से समर्थन मांगा है, रैली में पॉक्सो एक्ट को खत्म करने की मांग वो करेंगे, क्या वो संत समाज के पीछे छुपने का काम कर रहे हैं? दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि मैं कहूंगा इसमें एक ऐसे आरोपी जिनके ऊपर कार्यवाही हो जानी चाहिए थी। अब वो अपने बचाव में किसका साथ मांगते हैं, कौन समर्थन देता है। मैं समझता हूं देश का सच्चा कोई भी संत, कोई भी देश का सच्चा संत वो यही कहेगा कि देश की किसी भी एक भी बेटी हो देश की, अगर उसके साथ अन्याय हुआ है, तो उसको न्याय मिले, बाकी अब वो क्या करते हैं।एक अन्य प्रश्न पर कि मेडल को गंगा में विसर्जित करने पर क्या कहेंगे? विजेन्द्र सिंह ने कहा कि
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