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कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने उतरौला, बलरामपुर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए क्या कहा, सुने इस वीडियो में

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: कांग्रेस प्रवक्ता श्रीमती प्रियंका गांधी ने विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए कहा- नसीमुद्दीन सिद्दीकी जी, धीरेन्द्र प्रताप सिंह जी, श्रीमती बबिता आर्य जी,रोहित चौधरी जी, श्रीमती सरिता सिंह जी,अभिषेक पटेल जी, चंद्रशेखर मिश्रा जी, आप सबका और पार्टी के अन्य नेताओं, पदाधिकारियों, सबका इस सभा में बहुत-बहुत स्वागत। मेरी बहनों, प्यारे भाई, आपका भी बहुत-बहुत स्वागत। मैं जानती हूं कुछ समय से धूप में इंतजार कर रहे हैं, इसके लिए मैं सबसे पहले आपसे माफी भी चाहती हूं।

मैं चुनाव के संदर्भ में आपसे कुछ बातें करने आई हूं। लेकिन उन बातों को शुरु करने से पहले मैं आपसे पूछना चाहती हूं कि आज आपकी सबसे बड़ी समस्या क्या है? बेरोजगारी, महंगाई, किसानों की समस्या, छुट्टा जानवर और खाद मिलती है? नहीं। उपज का दाम मिलता है– नहीं। जो बेरोजगार हैं, वो जब भर्ती की परीक्षा देते हैं, तो क्या होता है, नियुक्ति होती है? नहीं। ठीक है, तो महंगाई, बेरोजगारी, किसानों की जो समस्याएं हैं, जो छोटे दुकानदार हैं, छोटे व्यापारी हैं, उनकी जो समस्याएं हैं; मेरी बहनें आपकी जो समस्याएं हैं, ये आज सबसे बड़ी समस्याएं हैं। सही बात है? सही है। तो मैं आपसे पूछना चाहती हूं, जब महंगाई आपके घर आती है, तो क्या दरवाजा खटखटा कर पूछती है कि आपका धर्म क्या है? नहीं। जब बेरोजगारी आती है आपके घर, तो क्या चुन-चुनकर आती है, क्या कहती है कि अरे इस घर में नहीं जाऊंगी, क्योंकि इधर तो कुछ एक धर्म के लोग रहते हैं, चलो उस घर में घुस जाते हैं, किसी और के घर में चलते हैं या इस जाति के लोग हैं, इनको छोड़ ही देते हैं, वहाँ चलते हैं, ऐसा होता है? नहीं। जब छुट्टा जानवर आपका खेत चरता है, तो क्या चेक करके चरता है कि भाई ये किसका खेत है, ये क्या हिंदू का खेत है या मुसलमान का खेत है या किसी ब्राह्मण का खेत है, पूछता है छुट्टा जानवर या चरे जाता है? नहीं पूछता ना। तो कभी आपने सोचा है कि ये जो राजनैतिक दल हैं, बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी, इसके नेता बार-बार धर्म और जाति की बात क्यों करते हैं, कभी पूछा है आपने अपने आपसे? आखिर नेता का क्या काम होता है – सेवा करना, विकास लाना, तो क्या जब विकास लाएंगे, जब बिजली का तार डलेगा, तो क्या ये बिजली चुन-चुनकर जाएगी लोगों के घरों में, क्या ये बिजली किसी धर्म के घर में आकर टिक जाएगी या सबके घरों में जाएगी? क्या ये सड़क जो इनको बनानी है, क्या ये कुछ ही लोगों के लिए सड़क बनाएंगे या सब चलेंगे इस सड़क पर? जब आपके घर में पानी की टोंटी लगानी हो या विकास करना हो या यहाँ बड़ा उद्योग लगाना हो, तो क्या उसका फायदा कुछ धर्म के लोग या कुछ जाति के लोग लेंगे या सबका फायदा होगा? फायदा तो सबका होगा। विकास आप चुन-चुनकर कर नहीं कर सकते हैं, देना है, करना है, तो सबके लिए करना होगा, तो ये क्या सनक है इन लोगों की कि ये धर्म की बात, जाति की बात बार-बार करते हैं। ये आपके सामने चुनाव के समय मंच पर आते हैं, कोई बुल्डोजर की बात करेगा, कोई आतंकवाद की बात करेगा, कोई पाकिस्तान को ले आएगा यहाँ, कोई धर्म पर बार-बार चर्चा करेगा, कोई आपकी जाति पर, आपके जज्बातों को उभार कर वोट मांगेगा, क्यों कर रहे हैं ऐसे ये? कभी सोचा है, इस बात को गहराई से समझा है?किसने डाली है ये आदत इनकी, क्या ये खुद इनके दिमागों में आ गया कि पिछले 3 सालों से आपके प्रदेशों में जो राजनीति चल रही है, जिसे माफ कीजिए, आप ही ने चलाया है। जिसको आपने प्रोत्साहन दिया, जिस पर आप बार-बार अपना वोट डालते रहे, वह यही जाति और धर्म की राजनीति रही है। तो इससे क्या हुआ – ये सारे नेता समझ गए, काम करने की जरुरत ही नहीं। रोजगार ना दें तो क्या हुआ, विकास ना कराएं तो क्या हुआ, बिजली नहीं आई तो क्या हुआ, किसी ने पूछना तो है नहीं, हमसे। हम पांच साल बाद आएंगे, धर्म की बात करेंगे, ध्रुवीकरण करेंगे, धर्म के आधार पर हमें वोट मिल जाएगा, जाति के आधार पर हमें वोट मिल जाएगा, हम आगे बढ़ेंगे। फिर से सत्ता में आएंगे, राज करेंगे, अपने-अपने बड़े-बड़े उद्योगपति मित्रों को और रईस बनाएंगे, गरीब को गरीब छोड़ देते हैं, कौन पूछेगा हमसे। ये इनके दिमाग में बात बैठ गई है। वरना ये क्या बात हुई कि सरकार इनकी पांच सालों के लिए। पांच साल बाद आपके सामने आते हैं, पांच साल पहले क्या-क्या वचन दिए थे, इन्होंने, कैसे-कैसे वायदे किए थे – 70 लाख रोजगार देंगे, आज इन्हीं के नेता आज कह रहे हैं कि भाई, 4 लाख रोजगार दिए हैं, हमने। आपने तो 70 लाख कहा था, आपकी तो हिम्मत भी नहीं होनी चाहिए कि मंच पर खड़े होकर आप कह रहे हैं कि 4 लाख किए, बाकी 66 लाख को क्या हुआ? कोई पूछ ही नहीं रहा है। आज मंच पर खड़े होकर कहते हैं, यहाँ के प्रधानमंत्री, अरे देश के प्रधानमंत्री, जिनको लोग अंतर्यामी बोलते हैं, सर्वज्ञानी बोलते हैं, लोग तो डरते हैं कि कहीं अपने कमरे में किसी ने उनकी खिलाफत कर दी, उनके खिलाफ कुछ कर दिया, तो उनको पता चल जाएगा किसी तरह से। उनको तो हर चीज की जानकारी होती है। लेकिन पिछले हफ्ते आपके सामने आए यूपी में, बहुत दिनों बाद आए, वो अलग बात है। पांच सालों में आने का कष्ट नहीं किया, ठीक है, वो अलग बात है। लेकिन आए चुनाव के लिए पिछले हफ्ते और आकर क्या कहा कि मेरे संज्ञान में नहीं था कि उत्तर प्रदेश के किसानों को छुट्टे जानवरों की समस्या है। अब मेरे संज्ञान में आ गया है, अब मैं इसको सुलझा दूंगा। अब मुझे बताइए कि आपको सबको कुछ मालूम है, वहाँ अमेरिका में क्या हो रहा है, रुस क्या कर रहा है, किसी और देश में कौन क्या कर रहा है, कौन सा राष्ट्रपति बीमार पड़ गया है, किसी को खांसी आ गई, आपको पता चल जाता है, आप चिट्ठी भी लिख देते हो। आपके बड़े-बड़े उद्योगपतियों के साथ क्या हो रहा है, कौन सी समस्याएं हैं, वो तो आप सुलझा देते हैं, उनके बड़े-बड़े कर्ज हैं, आप माफ कर देते हैं और आपको किसी ने नहीं बताया पांच सालों में कि किसान को इतनी बड़ी समस्या है। किसान आपके दरवाजे पर आंदोलन कर रहा था, क्योंकि आप ऐसे कानून ला रहे थे, जिससे किसान करे मेहनत, किसान का खून-पसीना और फायदा उठाए आपके उद्योगपति दोस्त और आपको पता ही नहीं था कि किसानों की क्या समस्याएं हैं और देखिए हिम्मत, कैसी हिम्मत दे दी है आप सबने उनको कि आपके सामने खड़े होकर कह भी कह रहे हैं कि मैं इस देश का प्रधानमंत्री हूं, सालों से छुट्टा जानवर तुम्हारे खेत को चरे जा रहा है, तुम कमा नहीं पा रहे हो। तुम्हारी बहनें, तुम्हारी बीवियाँ जाकर खेत में बैठकर चौकीदारी कर रही हैं, मुझे तो मालूम ही नहीं था। ये हिम्मत दे दी है आपने इनको। आपने इतनी बड़ी हिम्मत दे दी कि प्रधानमंत्री जी ने कहा कि मैंने एक वीडियो देखा- उस वीडियो में एक बूढ़ी अम्मा कह रही है कि मैं तो मोदी जी को ही वोट दूंगी, तो पत्रकार ने उससे पूछा कि क्यों? उन्होंने कहा कि मुझे तो मोदी जी राशन देते हैं, मैंने तो मोदी जी का नमक खाया है। मैं उनके साथ गद्दारी नहीं करुंगी और दो-तीन बार बोला उन्होंने। मैं आपसे पूछना चाहती हूं कि जब नेता की ये मानसिकता हो जाती है कि जनता उसका नमक खा रही है, तो क्या होता है देश-प्रदेश को? नेता जनता का नमक खाते हैं। उधार में देते हैं, आप सत्ता नेताओं को। आप चाहें तो हम सबको उतार दीजिए इस मंच से, ये आपकी सत्ता है। ये लोकतंत्र हैं बहनों और भाइयों, कोई तानाशाही नहीं है, ये कोई शहंशाह नहीं बैठे हैं गद्दी पर। आपने इनको भगवान बना दिया है। ये बोलते हैं तो आपको लगता है कि भगवान की वाणी है। अरे जाग जाइए। आपको गुमराह किया जा रहा है। हर पांच साल बाद आकर धर्म की बात, जाति की बात कर-करके, कर करके सत्ता में रह रहे हैं और आपको खाई में डाल रहे हैं। यहाँ एक इंसान नहीं है, मैं दावे के साथ कह सकती हूं आपमें से एक जना मुझे खड़ा होकर बताए कि पिछला पांच सालों में आपके जीवन में तरक्की आई है, बताइए, कोई है ऐसा?दुकानों में जाती हूं, दुकानदार कहते हैं कि हमारी कमाई नहीं हो रही है, दीदी। नोटबंदी, जीएसटी, कोरोना के लॉकडाउन से उनकी कमाई खत्म हो गई, कोई राहत नहीं आई। किसानों की इतनी बड़ी समस्याएं हैं, छुट्टे जानवर की समस्या है। धान,गेहूं, गन्ने का पैसा नहीं मिलता, खाद नहीं मिलती। मैं ललितपुर गई, वहाँ खाद की लाइन में खड़े-खड़े एक किसान की मौत हो गई, उसके परिवार ने मुझे बताया कि बहुत समय बाद बारिश आई थी, उसने सोचा कि खेती अच्छी होगी। दौड़ा-दौड़ा गया खाद के वितरण केंद्र में। सरकारी वितरण केंद्र बंद था। प्राइवेट में गया, लाइन में खड़े हो गया। उसने सोचा कि लाइन छोडूंगा, तो हो सकता है खाद नहीं मिलेगी। तो-तीन लाख का कर्ज था, हटा नहीं लाइन से। तीन दिन खड़ा रहा, तीसरे दिन उसकी मौत हो गई। ये समस्या है किसानों की। मेही बहनें बैठी हैं, अत्याचार पर अत्याचार हो रहा है, इनपर। इनकी कोई सुनवाई नहीं है, कोई सशक्त करने की बात नहीं करता। आज सरसों के तेल की एक बोतल 250 रुपए की मिल रही है। क्या करके आगे बढ़ाएंगी अपने घर को? मेहनत करती हैं, दिन-रात काम कर रही हैं, घर में सारा काम कर रही हैं, लेकिन महंगाई का सामना नहीं कर पा रही हैं। नौजवान भाई-बहन हैं, मेरे, बेरोजगार बैठे हैं। सरकार ने 12 लाख पद खाली छोड़े हुए हैं, भर नहीं रहे हैं। भर्ती की परीक्षा देते हैं, नियुक्तियां नहीं होती। ये परिस्थितियाँ हैं आपकी और इन नेताओं की ये हिम्मत कि आपके सामने आकर ऐसी बातें करें और ये सभी एक बिसात पर खेलने वाले हैं, भाइयों और बहनों। पहचान लो इनको। आपके घर में जब आपको अपने बेटे या बेटी की शादी करानी पड़ती है, मान लो आपको बेटी की शादी करानी है। कोई परिवार आता है आपसे बात करने, लड़का देखते हैं, सबसे पहले उसमें क्या देखते हैं – उसकी नीयत देखते हैं कि नहीं? सुंदर हो सकता है, पैसे वाला भी हो सकता है, हो सकता है उसकी बड़ी अच्छी नौकरी भी हो, लेकिन अगर उसकी नीयत ठीक नहीं हो तो आप कभी अपनी बेटी की शादी उससे नहीं करने देंगे।तो नीयत पहचानना जानते हो, तो नेताओं की और राजनीतिक दलों की नीयत क्यों नहीं पहचान रहे? बहुजन समाज पार्टी के नेता अपने घर से पिछले पांच सालों में निकले ही नहीं। हमने सोचा चुनाव में निकलेंगे, चुनाव में भी नहीं निकल रहे हैं। अखिलेश यादव जी, जो बहुत बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, वो कहाँ थे जब महिलाओं पर अत्याचार हुआ, गए वो उन परिवारों से मिलने? किया उन्होंने कुछ? आंदोलन किया, जिससे अपराधियों के खिलाफ एफआईआर डलवाई जा सकती थी, क्या किया उन्होंने? सीएए-एनआरसी हुआ, मुझे याद है मैं बिजनौर गई थी, एक 19 साल का लड़का, जो दूध बेचता था, अपने घर में था सुबह-सुबह, उसने कुछ हलचल सुनी, बाहर चला गया देखने के लिए कि कहाँ से आवाज आ रही है। पुलिस ने गोली मार दी, 19 साल का लड़का। उसके पिता ने मुझसे कहा कि वह पंजाब में टेलर मास्टरी का काम करते थे और बेटा घर को संभालता था। वो 19 साल का बच्चा दूध बेचकर अपनी मां और अपनी बहन की मदद करता था और बेटा ही नहीं रहा। वो आँसू पोंछे, अखिलेश यादव जी आए बाहर, उनकी समाजवादी पार्टी ने आंदोलन किया, संघर्ष किया आपके लिए? नहीं किया और मैं आपको बता देती हूं, ना करेंगे। जब किसानों पर अत्याचार हुआ, 6 किसानों को जीप के नीचे एक मंत्री के बेटे ने कुचला, तो कहाँ थे ये लोग, घर में बैठे थे। घर से बयान दे दिया। बाहर नहीं निकले, निकलेंगे भी नहीं, क्योंकि ये तीनों पार्टियां एक ही बिसात पर खेल रही हैं। इन्हें आपसे कोई मतलब नहीं है, आपकी समस्याओं को सुलझाने का काम नहीं है इनका। ये नहीं समझते कि ये इनकी जिम्मेदारी है। आपके जज्बातों को धर्म और जाति के नाम पर उभारकर आपसे वोट लेने का काम है, बस और कोई नहीं है। अगर होता, अगर कोई जिम्मेदारी का एहसास होता, तो आते और मैं आपको ये भी बता देती हूं कि सबसे समझौता करेंगे एक-दूसरे के साथ, चाहे सरकार में हो, चाहे विपक्ष में हों, एक ही पार्टी है, इस प्रदेश में और सब बाकी नेता पहचानते हैं, भाजपा के नेता पहचानते हैं, एक ही पार्टी है, जो इनसे कभी समझौता नहीं करेगी। एक ही पार्टी के नेता हैं, जो मर जाएंगे, लेकिन भाजपा से समझौता नहीं करेंगे और वो कांग्रेस पार्टी है। पहचान लीजिए, आपके सामने क्या है, पहचानिए, कौन आपकी बात करता है, आपके हित की बात, कौन यहाँ मंच पर आकर आपकी समस्याओं को समझ कर उनको सुलझाने की बात करता है। आज मेरे नौजवान साथी परेशान हैं, त्रस्त हैं, क्या आपको मालूम है कि उत्तर प्रदेश में देश के सबसे ज्यादा नौजवान हैं। यहाँ से पलायन होता है ना, बड़े-बड़े शहरों में जाकर नौकरी ढूंढते हो, क्या यूपी में हुनर नहीं है? है ना! सबसे ज्यादा हुनर यहाँ है, देश के सबसे ज्यादा नौजवान यहाँ इस प्रदेश में हैं, वो बाहर क्यों जा रहे हैं रोजगार ढूंढने के लिए, क्यों जाना पड़ता है, क्योंकि आपकी सरकारों ने कुछ किया नहीं। 12 लाख सरकारी पद खाली पड़े हैं। मोदी जी और योगी जी उनको दिख नहीं रहा है कि तमाम नौजवान बेरोजगार पड़े हैं, उनको पूछ लीजिए, लगा दीजिए ना नौकरी में, क्यों नहीं लगाए, कभी सोचा है? नौकरियाँ कहाँ से आती हैं, रोजगार कहाँ से आते हैं- बड़ी-बड़ी संस्थाएं – बीएचईएल, एनटीपीसी, आईटीआई, ये सब। सबसे पहले तो यहाँ से नौकरियाँ आती हैं। कांग्रेस की सरकार ने इनको बनाया था ताकि रोजगार बने। ये पब्लिक की संस्थाएं थी, किसी की जागीर नहीं थी। इन्होंने सारी की सारी बेची हैं। सब अपने दोस्तों को बेच दी। दो-तीन दोस्त हैं इनके बड़े-बड़े उद्योगपति, मैं नाम नहीं लूंगी, क्योंकि नाम आप जानते हैं। सब उनको बेच डाला इस पूरे देश की संपत्ति उनको बेच डाली, तो रोजगार कहाँ से बनाएंगे?
खेती से रोजगार होते थे, किसानी से मिलते थे, छोटे दुकानदार, छोटे व्यापारी, जो छोटे मैन्युफैक्चरिंग के यूनिट चलाते थे, उनसे रोजगार मिलता था, उनको आपने खत्म कर दिया। ऐसी नीतियाँ लाए कि सबकी कमर तोड़ दी। यहाँ से भी रोजगार नहीं बन रहा। सरकारी पद भी नहीं दे रहे हैं, तो कैसे बातें कर रहे हैं कि रोजगार देंगे? सब खोखली बातें हैं जी। कोई रोजगार नहीं देने वाला और ये भी उनकी नीति है। जब तक आप अशिक्षित रहेंगे, आप बेरोजगार रहेंगे, तब तक आपके अंदर गुस्सा होगा, तब तक आपके अंदर निराशा होगी, तब तक आपकी उम्मीदें कम होंगी, तब तक आपके जज्बातों का इस्तेमाल करना बहुत आसान होगा। कोई भी मां-बाप बता दे, जिसके 25-30 साल के बच्चे हों, कोई भी बता दे कि अगर वो बच्चा व्यस्त रहता है, पढ़ाई कर रहा होता है, कमाता है, तो सही होता है। जैसे ही वो निकम्मा बनता है, आलसी बनता है, कमाता नहीं है, इधर-उधर भटकता है, तो उससे गलत काम करवाना बहुत आसान होता है। सही बात है कि नहीं? ये समझ गए हैं सारे नेता, ये आपको गरीब जानबूझ कर रख रहे हैं। जब तक आप गरीब रहेंगे और इनके अमीर उद्योगपति मित्र अमीर होते चले जाएंगे, तब तक ये आपका इस्तेमाल करते रहेंगे। जिस दिन आप सशक्त बन जाएंगे ना, आप खड़े हो जाएंगे अपने पैरों पर, सक्षम हो जाएंगे, कमाएंगे, अपने आप पर गर्व होगा, तो देखिए किसकी हिम्मत होती है यहाँ आकर आपके सामने झूठ बोलने की? तो आप इनसे जवाब मांगोगे, आप इनको जवाबदेह बनाओगे। आप इनसे कहोगे कि विकास क्यों नहीं किया, शौच क्यों नहीं बनाई, बिजली क्यों नहीं दी, पानी क्यों नहीं दिया, आप इनसे पूछोंगे कि हमारे शिक्षा के संस्थान क्यों नहीं बनाए, आपने उद्योग क्यों नहीं खोला, हमारे क्षेत्र में? ये सब अच्छी तरह से जान रहे हैं, अब आपको समझने की कसर है। आप समझ लीजिए कि 30 सालों में ये प्रदेश जो सबसे बड़ा प्रदेश है, जिसमें सबसे ज्यादा हुनर है, जिसमें खेती उपजाऊ है, जमीन उपजाऊ है, ये प्रदेश पीछे चला गया है। ये प्रदेश तो सबसे विकसित होना चाहिए था। सारे रोजगार के लिए किसानों को यहाँ आना चाहिए था। ये तो जान बूझकर किया गया है।अब कांग्रेस पार्टी कह रही है कि हम समझ रहे हैं कि आपकी परिस्थितियाँ क्या हैं। हम समझ रहे हैं कि 30 सालों से आपने जाति और धर्म के नाम पर वोट दे देकर अपने प्रदेश को बर्बाद किया है और आपका फायदा उठाया गया है। राजनीतिक दलों ने, नेताओं ने सिर्फ आपका फायदा उठाया है। हम कह रहे हैं कि नौजवानों, आपको हम सशक्त करना चाहते हैं। आपके लिए हम 20 लाख रोजगार दिलवाएंगे, जो 12 लाख पद खाली हैं, उनको भरेंगे। 8 लाख रोजगार हम पैदा करेंगे, छोटे दुकानदारों को, छोटे व्यापारियों को मजबूत बनाकर। अगर आप नौजवान हैं, आपमें हुनर है, आप एक बिजनेस शुरु करना चाहते हैं, तो खासतौर से आप पिछड़े वर्ग, अति पिछड़े वर्ग या दलित वर्ग के हो तो आपको 5 लाख रुपए सरकार देगी और आप 1 प्रतिशत ब्याज पर उसको वापस दे सकते हैं, जब आपका बिजनेस बने तब।हम कह रहे हैं कि आज भर्ती में इतना घोटाला है, इसको हम पारदर्शी बनाएंगे। जिस दिन आप परीक्षा देंगे, उससे 6 महीनों के अंदर-अंदर आपकी नियुक्ति होगी, कानून लाएंगे, एक जॉब कैलेंडर बनाएंगे, उसमें परीक्षा का दिन, रिजल्ट का दिन, नियुक्ति का दिन लिखा होगा, कोई इधर-उधर करेगा, उसमें भ्रष्टाचार करेगा तो उसमें कानून लाएंगे कि उस पर कार्यवाही हो।हम अपनी बहनों से कह रहे हैं कि आपकी सेहत, आपकी शिक्षा के लिए पूरी योजना बनाई है हमने। छात्राओं को मुफ्त मोबाइल, मुफ्त स्कूटी, आपको तीन-तीन गैस सिलेंडर, ये तो ठीक है, ये तो आपका हक है। लेकिन इससे बढ़कर हम आपको सशक्त बनाने का काम करेंगे। 40 प्रतिशत जितने भी सरकारी रोजगार हैं, आपको मिलेंगे, पहले के आरक्षणों के तहत। आप पर अगर अत्याचार होगा और एफआईआर दर्ज नहीं करेगा कोई अधिकारी, 10 दिन के अंदर-अंदर, तो उसका सस्पेंशन का कानून लाएंगे। किसान बहनों और भाइयों, आपके कर्ज माफ करेंगे, क्योंकि हम जानते हैं कि आप पर कितना बोझ है। पहले करके दिखाया, फिर से करेंगे। सबके बिजली के बिल आधे करेंगे और जिनका बिजली का बकाया…, कोरोना की वजह से जिनको बहुत दुख हुआ है और समस्याएं आई, उनका बिजली का बकाया हम साफ करेंगे। ये सब योजनाएं हैं हमारी और इससे भी ज्यादा हैं, किसानों का गेहूं और धान 2,500 रुपए क्विंटल पर बिकेगा। छुट्टे जानवर की समस्या, छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार ने सही नीयत से सुलझा दी है। क्या किया – वहाँ के मुख्यमंत्री जी ने एक योजना बनाई कि अगर पब्लिक छुट्टे जानवर की देखभाल करे अपने घर में तो उसका गोबर दो रुपए किलो में सरकार खरीदेगी। गोबर की गोबर गैस बनाई, खाद बनाई और उससे ये समस्या सुलझ गई। उसका समाधान हो गया। कैसे – पब्लिक की कमाई हो गई, छुट्टे जानवर को रखने से। तो अपने घर रखने लगे, उसकी देखभाल करने लगे। गोबर दो रुपए किलो में सरकार को बेचते हैं। सरकार ने उस गोबर का इस्तेमाल ऐसे किया कि और भी सुविधाएं हो गई और समाधान हो गया और यहाँ आपकी सरकार, जो कहते हैं कि हम योगी हैं, हम ये हैं, हम धार्मिक हैं, आपने वीडियो देखे होंगे। गाय को जेसीबी मशीन से उठाकर जिंदा डाल रहे हैं, उसके ऊपर मिट्टी डाल रहे हैं। गाय को जंगली कुत्ता खा रहा है, उसके घाव को नोंच रहा है। पानी नहीं डाला, चारा नहीं डाला, छत नहीं गौशाला में और आप कहते हैं कि आप धार्मिक हैं।तो देखिए आपकी कसर ये है कि आपकी आंखों के सामने क्या हो रहा है, ये जो आँखों पर पट्टी लगा रखी है, खोल दो इसको। विकास किसी एक धर्म का, किसी एक जाति का नहीं होगा, सबका होगा। चुन-चुनकर नहीं आएगा, समस्याएं चुन-चुनकर नहीं आएंगी। आपके घर आएंगी, जब तक उन समस्याओं को सुलझाने की राजनीति इस प्रदेश में नहीं आएगी, तब तक 30 सालों की तरह और पांच साल आप खाई में रहेंगे, कोई आपकी सुनवाई नहीं करेगा, क्योंकि सबकी आदत बिगड़ी हुई है, बिगाड़ डाला है आपने। जिस तरह से मां-बाप एक बच्चे को घर पर रखते हैं, बच्चा बड़ा हो रहा है, पढ़ नहीं रहा है, बैठा हुआ है घर पर, आप उसको खिला रहे हैं, अच्छे-अच्छे कपड़े खरीद रहे हैं उसके लिए। उसको मोबाइल चाहिए, मोबाइल ले लो, अच्छा मोटर साइकिल चाहिए, कहीं ना कहीं से जुगाड़ करके वो भी दे देते हैं, बच्चा बनता है निकम्मा। आपने ही पाला है इनको और आपने ही निकम्मा बना दिया। अब इनकी आदत छुड़वाओ। एक नई राजनीति को शुरु करो यहाँ से। एक ऐसी राजनीति जिसके हित में आप हैं, जो आपके लिए काम करे, जिसके नेता यहाँ खड़े होकर ये नहीं कहें कि आपने उनका नमक खाया है। जिसके नेता जानते हों कि आपने बनाया है और आपके लिए संघर्ष करना उनका कर्तव्य है, उनका धर्म है। यही होता है नेता का धर्म।
ये धीरु जी हैं, एक ऐसे नेता है, जो मेहनत करते हैं और अपनी जिम्मेदारी समझते हैं। इनको आगे बढ़ाइए, कांग्रेस पार्टी के घोषणा पत्र पढ़िए, समझिए कि कांग्रेस पार्टी की नीतियाँ अलग क्यों हैं। कांग्रेस पार्टी क्या करना चाहती है और समझने के बाद ये अपना ये वोट डालिए। मैं दावे के साथ कह सकती हूं कि उत्तर प्रदेश में कोई और ऐसी पार्टी नहीं है, जो सिर्फ आपके लिए नीतियां बनाएं, जो आपको आगे बढ़ाने के लिए, आपके विकास के लिए काम करेगी। हमें मौका दीजिए

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