अजीत सिन्हा / नई दिल्ली
कांग्रेस प्रवक्ता श्रीमती सुप्रिया श्रीनेत ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि आप सब लोगों को सादर प्रणाम। अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव, श्रीमती प्रियंका गांधी जी, सीएलपी की लीडर मोना मिश्रा जी, अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष, नेटा डिसूजा जी, नसीमुद्दीन सिद्दीकी जी और यहाँ पर सभी वरिष्ठ कांग्रेसजनों के साथ मैं आप सबका तहे दिल से स्वागत करती हूं। मेरा अपना मानना है कि जो पहल प्रियंका जी ने 40 प्रतिशत टिकटों में देकर महिलाओं को की थी, वह बहुत बड़ी पहल है और आज उसी का आप अगला प्रारुप देखेंगे। इससे पहले कि हम आपको आज के मेनिफेस्टो के बारे में बताएं, एक एंथेम, जो ‘लड़की हूं, लड़ सकती हूं’, एक बहुत सशक्त नारा, जो नारा आज इस प्रदेश की ही नहीं, देश की बहुत सारी लड़कियां बोल रही हैं, लड़ने की शिद्दत रखती हैं, उनके लिए हमने एक एंथम बनाया है और वो एंथम हम चाहते हैं कि पहले आप देखें, सुनें और ये दुर्गा स्तुति पर आधारित एक एंथम है, तो इसको जरुर देखिए और उसके बाद हम मेनिफेस्टो पर जरुर बात करेंगे।
(एंथम दिखाया एवं सुनाया गया।)
श्रीमती सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि मुझे लगता है इससे ज्यादा सशक्त नारा आज तक लड़कियों के लिए इससे पहले किसी ने नहीं दिया था। भारतीय राजनीति के अपने बहुत सारे पड़ाव रहे हैं। उन पड़ावों ने बड़ी क्रांतिकारी बदलाव देखे हैं, चाहे वो श्वेत क्रांति हो, हरित क्रांति हो, पंचायती राज में 33 प्रतिशत महिलाओं के आरक्षण की क्रांति हो, आईटी और दूर संचार की क्रांति हो और हर क्रांति जब हम इतिहास पलट कर देखते हैं, तो कहीं लगता है कि वहाँ से राजनीति ने एक नया मोड़ लिया। मेरा अपना मानना है कि 40 प्रतिशत महिलाओं का टिकट एक वो बड़ा पड़ाव था और आज उसी को आगे ले जाने के लिए, उसको वास्तविकता बनाने के लिए, उसको असलियत बनाने के लिए ये शक्ति विधान महिला मेनिफेस्टो के साथ हम आपके पास आए हैं। महिलाओं की भागीदारी सामाजिक रुप से और राजनीतिक रुप से ये सशक्त करेगी और सुनिश्चित करेगी। मैं आग्रह करती हूं, हमारी महासचिव, आदरणीय प्रियंका जी से कि वो इस मेनिफेस्टो के बारे में आपसे बात करें। ये हिंदुस्तान की राजनीति के इतिहास में में ये पहला वुमेन मेनिफेस्टो हैं, तो जरुर आगे भी इस बात को पहुंचाइए।
श्रीमती प्रियंका गांधी ने कहा कि मेरी आशा है कि ये पहला नहीं होगा और इससे दूसरे राजनीतिक दलों पर भी दबाव होगा कि महिलाओं को और राजनीति में महिला की भागीदारी को एकदम सिरियसली लिया जाए।
देखिए, दृढ़ निश्चयता, सक्षमता, शक्ति, ये महिला के सहज गुण होते हैं। इसके साथ-साथ करुणा, दया, आशा, साहस, ये सब महिलाएं, उनका गुण होता है। हम चाहते हैं कि ये गुण राजनीति में भी प्रकट हों। इसके बारे में आपको हमने पहले बताया कि हमने 40 प्रतिशत भागीदारी महिलाओं को इसलिए दी ताकि उनकी जो सशक्तिकरण की बात है, वो सिर्फ कागज पर ना रहे। आज तक जो महिलाओं की सशक्तिकरण की बात होती है, वो ज्यादातर पब्लिसिटी और कागजों में और चुनाव के समय, इलेक्शन के समय ऊपर आती है, उभरती है। जब महिला राजनीति में पूरी तरह से भागीदार बनेगी, तब महिला सशक्तिकरण का ट्रांसलेशन सिर्फ पब्लिसिटी, सिर्फ कागजी बातों, सिर्फ एलानों से जाकर एक्चुअली जमीन पर होगा। पंचायती राज में कांग्रेस पार्टी द्वारा जो 33 प्रतिशत आरक्षण से इसकी शुरुआत हुई। कांग्रेस पार्टी ने देश को पहली महिला प्रधानमंत्री दी। उत्तर प्रदेश में सुचेता कृपलानी जी यहाँ की पहली महिला मुख्यमंत्री भी रही, वह भी कांग्रेस पार्टी की थी। हमारे देश में महिला प्रधानमंत्री तब बनी, जब दूसरे, विदेश में और पूरी दुनियाभर में बहुत कम महिलाओं की राजनीति में उस स्तर पर भागीदारी होती थी। अब जाकर, एक साल पहले अमेरिका में एक महिला वाइस प्रेजिडेंट पहली बार बनी है और हमारे देश में एक महिला प्रधानमंत्री बहुत समय पहले बनी थी। ये कांग्रेस पार्टी की सोच थी, इसी सोच को आगे लेते हुए, आगे बढ़ाते हुए हमने ये एक महिला घोषणा पत्र बनाया है। जिसमें हम ये कहना चाहते हैं कि हम महिलाओं को सचमुच सशक्त बनाना चाहते हैं। महिलाओं को सचमुच सशक्त बनाने के लिए हम एक ऐसा वातावरण बनाना पड़ेगा, जहाँ पर महिलाओं की अभिव्यक्ति के बंधनों को तोड़ सके। जो एकदम महिलाओं को अपना पूरा फ्रीडम ऑफ चॉइस मिले, राजनीति में पूरी भागीदारी मिले, समाज में इस तरह की भागीदारी मिले, जिससे उनका अत्याचार बंद हो, उनका शोषण बंद हो।
जहाँ-जहाँ मैं जाती हूं, खासतौर से उत्तर प्रदेश में मैंने देखा है कि बहुत शोषण होता है महिलाओं का और वह लड़ रही हैं। ये बात नहीं है, ये महिलाओं की लड़ने की बात ये पहली बार हम नहीं कर रहे हैं। ये आपसे ही उभरी है और यहाँ पर जो हमने दो सालों से जो काम मैंने यहाँ किया और मैंने देखा कि जहाँ-जहाँ मैं गई, वहाँ पर महिलाएं अपने हकों के लिए लड़ रही हैं। खासतौर से जो नौजवान महिला हैं, वो सहना नहीं चाहती है। वो सहने में कोई उसका ग्लोरिफिकेशन नहीं होना चाहिए। वह अपने हक के लिए आज लड़ने को तैयार है और लड़ेंगी। उस भावना से हमने ये घोषणा पत्र बनाया है, ताकि लड़ने में हम मदद करें, समर्थन दें और महिलाओं को हम पूरी तरह से सशक्त बनाएं।
इसको हमने 6 हिस्सों में बांटा है – स्वाभिमान, स्वालंबन, शिक्षा, सम्मान, सुरक्षा और सेहत।
देखिए स्वाभिमान की सबसे बड़ी बात ये है कि राजनीति में जो 40 प्रतिशत हम हिस्सेदारी से शुरु कर रहे हैं टिकटों में, हम चाहते हैं कि इसको हम आगे बढ़ाकर एक दिन ये 50 प्रतिशत बनें। ये जो हिस्सेदारी है, इससे राजनीति में जो महिलाओं का इम्बैलेंस है, उसको हम ठीक करने की कोशिश करना चाहते हैं। संसद और विधानसभाओं में महिलाओं की प्रतिनिधित्व आज 14 प्रतिशत से कम है। जब 40 प्रतिशत महिलाएं टिकट लेंगे और चुनाव लड़ेंगी, आशा है कि ये बढ़ेगा। विधानसभा में बढ़ेगा और उसके बाद जब लोकसभा का चुनाव आएगा, तो आशा है कि और भी बढ़ेगा।