अजीत सिन्हा / नई दिल्ली
पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव शुक्ला ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि आज जो उपचुनावों के नतीजे आए हैं, उस पर आपसे बातचीत करने के लिए हम आपके सामने आए हैं और मैं हिमाचल कांग्रेस का प्रभारी भी हूं। उस दृष्टि से हिमाचल प्रदेश का जो रिजल्ट है, वो बहुत ही कांग्रेस के लिए सकारात्मक रिजल्ट है, पॉजिटिव रिजल्ट है। हम चार के चारों उपचुनाव जीते हैं, जिसमें तीन विधानसभा और एक लोकसभा है। लोकसभा चुनाव में जीतने का मतलब खासतौर से बीजेपी का सिटिंग एमपी थी और मुख्यमंत्री का गृह जिला, गृह जनपद। वहाँ से जीतने का मतलब है कि केन्द्र सरकार के खिलाफ भी लोगों ने वोट दिया है और तीनों विधानसभा जो हैं, वो राज्य सरकार के खिलाफ वोट मैं मानता हूं और उसमें एक जगह तो बीजेपी की जमानत जब्त हुई है, बीजेपी के कैंडिडेट की। तो इस तरह से ये रिजल्ट बहुत ही उत्साहवर्धक है और मैं समझता हूं जनता का रुख बदल रहा है। हम राजस्थान में भी दोनों उपचुनाव जीते हैं और इसी तरह से कर्नाटक में जो मुख्यमंत्री का गृह जनपद है, होम डिस्कनेक्ट जिसे बोलते हैं, वहाँ भी कांग्रेस पार्टी जीती है। तो ये हमारे लिए बहुत सिग्निफिकेंट रिजल्ट है। बहुत मायने रखते हैं ये रिजल्ट और बहुत महत्वपूर्ण रिजल्ट है और इन सारी जगह इस तरह से भाजपा का हारना ये दर्शाता है कि लोगों में भाजपा की लोकप्रियता बहुत गिर गई है।
हिमाचल प्रदेश में अगर पिछले लोकसभा चुनाव के अगर हम निकालें नतीजे, तो 70 प्रतिशत वोट शेयर भाजपा को गया था। आज वो 70 प्रतिशत वोट शेयर तो कांग्रेस ने कवर किया ही और उसके ऊपर जीत दर्ज की। तो ये समझिए कि कितना लोगों का रुख भाजपा के खिलाफ हो गया है और हमारे जो वहाँ मुद्दे थे, उनको जनता ने सराहा और उसी आधार पर वोट दिया। चाहे मंहगाई का मुद्दा हो, पेट्रोल, डीजल और गैस की कीमतों का मुद्दा हो, चाहे खाने-पीने की चीजों की, महंगाई का मुद्दा हो, चाहे आम जनता की तकलीफें हों, चाहे बेरोजगारी हो, चाहे विकास का मुद्दा है, चाहे किसान और बागवान, वहाँ बागवान रहते हैं, उनका मुद्दा हो और मुझे लगता है कि पूरे देश में इस तरह का संदेश जा रहा है। अमूमन होता है कि उपचुनाव में जो सत्तारुढ पार्टी होती है, रुलिंग पार्टी होती है, उसका वर्चस्व रहता है, वही जीतती है, क्योंकि सारी ताकत लगा देती है, जन, धन, बल, सरकार, सत्ता सबको लगाव देती है और उसके बाद वो उस इलेक्शन को जीतती है। लेकिन यहाँ पर विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस ने जिस तरह से हिमाचल प्रदेश में जीत दर्ज कराई है। कर्नाटक में जीत दर्ज कराई है, ये निश्चित रुप से दिखाता है कि लोगों का रुख भाजपा के प्रति बदल रहा है। इसी प्रकार महाराष्ट्र और राजस्थान में भी कांग्रेस के सभी प्रत्याशी जीते हैं और भाजपा बुरी तरह हारी है। इस तरह स्पष्ट है कि भाजपा के विरुद्ध लोग हो रहे हैं, खिलाफ हो रहे हैं और कांग्रेस पार्टी के लिए उनकी पसंद बढ़ रही है और बाकी जगह भी देखिए आप, बंगाल में भी कहाँ भाजपा जीत पाई। तो ये सब चीजें दर्शाती है कि भाजपा के प्रति लोगों का विरोध लगातार बढ़ता जा रहा है और मुझे लगता है सतत् प्रक्रिया चलने वाली है और बहुत जल्दी है, हिमाचल में तो परिवर्तन होगा ही, क्योंकि अगले साल अक्टूबर-नवंबर में वहाँ पर जो हैं चुनाव हैं, आम चुनाव, विधानसभा के, हम निश्चित रुप से वहाँ जीत दर्ज करेंगे और हिमाचल कांग्रेस की सरकार बनाने का मन जनता ने बना लिया है। ये मेरा कहना है। बिहार और पश्चिम बंगाल के चुनावों को लेकर पूछे एक प्रश्न के उत्तर में श्री राजीव शुक्ला ने कहा कि बिहार में मिला-जुला रिजल्टा आया। एक आरजेडी के लिए और एक जेडीयू के लिए तो हमसे एक प्रश्न पूछा गया था कि क्या विपक्ष की एकता.. मैंने कहा कि ये तो बिल्कुल शाश्वत सूत्र है कि अगर विपक्ष एक रहता है, तो उसकी जीत तय है। इससे ज्यादा मैं कुछ इस पर बोलूँगा नहीं और बंगाल का जहाँ तक प्रश्न है, तो वहाँ ममता बनर्जी की लहर चल रही है, उसमें उन्होंने सारी सीटें प्रचंड बहुमत से जीती हैं। भाजपा वहाँ भी हारी है।
एक अन्य प्रश्न पर कि यूपी में क्या प्रभाव पड़ेगा? श्री शुक्ला ने कहा कि यूपी में इसका जबरदस्त प्रभाव पड़ेगा। आप देखिएगा और वहाँ पर प्रियंका गांधी जी की सक्रियता जो हुई है, उसमें लोगों का बहुत अच्छा रिस्पोंस मिल रहा है, उनकी लोकप्रियता बहुत बढ़ रही है। जहाँ भी जा रहे हैं, लोग हजारों की तादाद में उनकी सभाओं में आ रहे हैं, चाहे बनारस की रैली हो, बहुत सफल रही, गोरखपुर की रैली बहुत सफल रही और आगे भी रैली होंगी। तो लगातार उन्होंने कांग्रेस को एक रेकनिंन फोर्स बना दिया है कि कांग्रेस भी वहाँ पर हर तरफ नजर आ रही है। एक अन्य प्रश्न पर कि महंगाई को लेकर सरकार कह रही है कि कम हुई है? श्री शुक्ला ने कहा कि देखिए सरकार के पास आंकड़े अपने आपको बचाने के बचे ही नहीं हैं। चाहे जीडीपी का हो, पहले से जो अर्थशास्त्री थे, वो बोलते थे कि जीडीपी बहुत गिर गई है, इन्होंने फर्जी आंकड़े देने की कोशिश की, उसमें भी एक्सपोज हो गए। अब अर्थव्यवस्था की स्थिति इन्होंने इतनी खराब कर दी है कि इनके सामने कोई चारा ही नहीं है सिवाए जनता की जेब में डाका डालने के। पेट्रोल-डीजल के जरिए लोगों से पैसा उगाहने का जरुरत से ज्यादा। मैं तो देश का योजना मंत्री था, मैंने पहले भी कहा कि हमारे जमाने में 120-140 डॉलर प्रति बैरल तेल खरीदते थे, तब हम 67 रुपए में पेट्रोल देते थे और 60 रुपए, 57 रुपए डीजल और भी कम 50 रुपए के अल्ले-पल्ले और आप तो सिर्फ इनको 50, 60, 70 बैरल, आधे दामों में बाहर से मिल रहा है तेल, उसके बावजूद इतने महंगे दाम पर कि पता नहीं 150 रुपए लीटर में जाकर पेट्रोल रुकेगा। सवा सौ रुपए लीटर पर जाकर डीजल रुकेगा, उससे हर चीज की महंगाई बढ़ रही है। लोग त्राहि-त्राहि कर रहे हैं। गैस के दाम भी बढ़ते जा चले जा रहे हैं। उससे जनरल महंगाई, जो आम चीजें हैं, चाहे खाने-पीने की चीजें हैं, चाहे दूसरी चीजे हैं, क्य़ोंकि जब भाड़ा बढ़ता है, तो महंगाई बढ़ जाती है। तो लोगों की जेब पर डाला डाला जा रहा है और बची-खुची चीजें कहाँ से ले रहे हैं। तो जो जनता के बनाए हुए, जनता के पैसे से पिछले 70 साल में जो बड़े बने थे, सार्वजनिक उपक्रम, उद्योग धंधे उन सबको बेचने का काम हो रहा है। तो राष्ट्र की सारी संपत्तियां बेचकर पैसा इक्कट्ठा कर रहे हैं। फिर राष्ट्र के पास बचेगा क्या, सरकार के पास बचेगा क्या, किस चीज की सरकारें आगे होंगी, जब उनकी सब संपत्तियां ही चली जाएंगी, बेच देंगे और दूसरा जब जनता की जेब में डाला डालकर पेट्रोल-डीजल सबमें पैसे ले लेना। इससे ये अर्थव्यवस्था चला रहे हैं, इससे अर्थव्यवस्था नहीं चलती।