अजीत सिन्हा /नई दिल्ली
राहुल गांधी ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा- एक साल हुआ, जब सरकार को अपने द्वारा बनाए गए 3 काले कानूनों को रद्द करना पड़ा। प्रधानमंत्री जी, इन कानूनों को रद्द नहीं करना चाहते थे। प्रधानमंत्री जी चाहते थे कि ये तीन कानून हिंदुस्तान के 2-3 सबसे बड़े उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाए और जो किसानों का है, जो उनके खून-पसीने का, मेहनत का धन है, उसको किसानों से छीनने की कोशिश की थी।
एक तरफ हिंदुस्तान की सरकार, पुलिस, देश की ब्यूरोक्रेसी; दूसरी तरफ हिंदुस्तान के गरीब किसान। किसानों के पास हथियार नहीं थे, पुलिस के पास, सरकार के पास हथियार थे। किसानों के पास सिर्फ उनकी आवाज थी। वो किसानों की आवाज नहीं है, क्योंकि जब किसान कुछ बोलता है, तो वो देश की आवाज होती है, सिर्फ किसान की आवाज नहीं होती है और जब देश की आवाज ने अपना मन बना लिया, तो प्रधानमंत्री को कानून वापस लेने पड़े।
दुःख की बात है कि 733 किसान शहीद हो गए। 733 परिवारों ने अपने पिता, अपने भाई, अपनी माँ, अपने बेटे को खोया, इसकी कोई जरुरत नहीं थी। अगर प्रधानमंत्री किसानों की आवाज सुन लेते, तो एक किसान भी शहीद नहीं होता। आज हम दुःख में खड़े हैं। उनकी याद में खड़े हैं। मगर हमें खुशी भी है, क्योंकि किसानों की आवाज है, न्याय की लड़ाई लड़ी और जीते।
मैं चाहूँगा कि उन किसानों की याद में हम दो मिनट मौन रखें।
(स्टेज पर उपस्थित नेतागण और सभा में उपस्थित जनता ने किसान आंदोलन में शहीद हुए किसानों को कुछ समय का मौन धारण कर श्रद्धांजलि दी।)