अजीत सिन्हा /नई दिल्ली
राहुल गांधी ने विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि आज भगवान बिरसामुंडा जी की जयंती है और आपने मुझे भाषण देने का मौका दिया। ऐसे दिन पर आपने मुझे बोलने का मौका दिया, इसके लिए मैं आप सबका बहुत आभारी हूं और दिल से धन्यवाद करना चाहता हूं। ये कोई मामूली दिन नहीं है। बिरसामुंडा जी अंग्रेजों से लड़े और 24 साल की आयु में अंग्रेजों ने उनकी हत्या की। जो भी उन्होंने करना था, वो उन्होंने 24 साल में कर डाला। लोग लंबी जिंदगी जीते हैं, 60-70- 80 साल जीते हैं, तब भी जो इन्होंने 24 साल में कर डाला, वो नहीं कर पाते हैं। आज भगवान बिरसामुंडा जी की सोच पर आक्रमण हो रहा है। स्टेज से आपने भाषण सुने, एक तरफ से नहीं हो रहा है, चारों तरफ से उनकी सोच पर, उनकी यादगार पर, आरएसएस और बीजेपी आक्रमण कर रहे हैं। दो-तीन उदाहरण आपको देना चाहता हूं –
जब मैंने भाषण शुरु किया, मैंने आपको आदिवासी भाई-बहन कहा, कहा नहीं कहा? कहा ना? आदिवासी का मतलब क्या है, आपमें से कोई बता सकता है। (जनसभा से पूछते हुए राहुल गांधी ने कहा), जो सबसे पहले था, सही बात है? जो हिंदुस्तान में सबसे पहले था। इसका मतलब है कि हिंदुस्तान का जो ओरिजिनल ऑनर है,बात समझ आई, ओरिजिनल मालिक जो है, वो आदिवासी है। इस शब्द का ये मतलब है। इसका मतलब अगर ये जमीन आपकी थी, मैं सिर्फ महाराष्ट्र की बात नहीं कर रहा हूं। जिसको हम भारत माता कहते हैं, ये पूरा का पूरा देश, इस देश में सबसे पहले आप आए थे। मतलब सबसे पहले आपका हक बनता है।
अब देखिए, ये क्या चालाकी कर रहे हैं। ये कहते हैं आप आदिवासी नहीं हैं। आप सबसे पहले नहीं थे। नाम बदला है, मगर ये मामूली चीज नहीं की, ये बहुत गहरी चीज की है इन्होंने और भगवान बिरसामुंडा जिस चीज के लिए लड़े, उसी चीज पर वो आक्रमण कर रहे हैं। भगवान बिरसामुंडा जी ने कहा ये हमारी जमीन है, हम ओरिजिनल मालिक हैं। इसलिए 24 साल की आयु में वो शहीद हुए। अब बीजेपी के लोग कहते हैं, नहीं भईया, आप आदिवासी नहीं हो, आप वनवासी हो। वनवासी का मतलब, नहीं, आप गांव में नहीं रह सकते, आप शहरों में नहीं रह सकते, आप कॉलेज- यूनिवर्सिटी में नहीं जा सकते, आप हवाई जहाज में नहीं उड़ सकते, आपको तो बस जंगल में रहना है। अभी ठहरिए ताली मत बजाइए (जनता के द्वारा ताली बजाने पर कहा)।
अब देखिए, अगर आप हिंदुस्तान हजार साल पहले आते, तीन हजार साल पहले आते, तो पूरा हिंदुस्तान जंगल था। 50 साल पहले आप हिंदुस्तान को देखते, काफी जंगल थे और आज आप हिंदुस्तान को देखते हैं, जंगल कम होता जा रहा है। सही बात, गलत बात – सही है और आज से 20, 30, 40 साल बाद आपको जंगल दिखेगा नहीं,गायब हो जाएगा। तो आपसे ये कह रहे हैं कि आपको कोई हक नहीं मिलना चाहिए। जब जंगल गायब हो जाएगा, तो वनवासी का कोई हक नहीं बचेगा। ये है इनका मतलब। ये आपसे कह रहे हैं कि ये जमीन आपकी नहीं है और आपकी कभी नहीं रही और आपकी कभी नहीं होगी। आप तो जंगल के हैं, हम कह रहे हैं कि आप तो ओरिजिनल मालिक हो, ये पूरा देश आपका था और आपसे ये देश लिया गया। तो अगर आपसे ये देश लिया गया, तो आपको कुछ देना भी है। क्या देना है- आपके हक देने हैं, शिक्षा देनी है, स्वास्थय देना है और जो आपका धन है, उसका भाग आपको देना है। सही बोला ना? तो पहली बात ये है, फिर आदिवासियों की, दलितों की, पिछड़ों की, अल्पसंख्यकों की कैसे मदद होती है, कैसे रक्षा होती है हिंदुस्तान में, यहाँ पर युवा हैं, बताओ? सबसे बड़ी आपकी रक्षा कौन सी चीज करती है? (जनता ने कहा- संविधान) ये देखो, संविधान। सब जानते हैं। संविधान किसने बनाया – बाबा साहेब अंबेडकर जी ने बनाया। कांग्रेस पार्टी ने उनके साथ मिलकर बनाया। उस समय बीजेपी के नेताओं ने क्या कहा – संविधान बेकार चीज है और ये हर रोज संविधान पर आक्रमण करते हैं, 24 घंटे, क्योंकि ये इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं हैं कि इस देश में दलितों को, आदिवासियों को, पिछड़ों को, गरीबों को हक मिलना चाहिए। मानने को तैयार नहीं हैं, ये। तो आपसे शिक्षा छीनेगें, स्वास्थ्य छीनेंगे, जो पब्लिक सेक्टर होता था, उसको बंद करेंगे। मुझे आप बताओ, आपके जो बच्चे हैं, प्राईवेट स्कूल में पैसा दे सकते हैं क्या – नहीं दे सकते हैं ना? तो अगर सरकारी सब स्कूल बंद कर दिए जाएं, तो आपके बच्चों का क्या होगा – पढ़ नहीं पाएंगे, अनपढ़ रहेंगे। फायदा किसका – बीजेपी का। तो वो शिक्षा के सिस्टम पर आक्रमण करते हैं। अच्छा, जो प्राईवेट अस्पताल होता है, किसी को दिल का दौरा पड़ता है, कैंसर हो जाता है, सबको बीमारी होती है। आपके लोग उसमें जा सकते हैं क्या? नहीं जा सकते, तो अगर सरकारी अस्पताल सब बंद कर दिए और पूरा का पूरा प्राईवेट कर दिया, तो नुकसान किसका- गरीबों का, आदिवासियों का, दलितों का, पिछड़ों का। जहाँ भी ये राज करते हैं, आप देख लीजिए। शिक्षा के सिस्टम को प्राईवेट हाथों में दे देते हैं, अस्पतालों को प्राईवेटाइज कर देते हैं। अच्छा, तीसरा रास्ता, जिसको हम पब्लिक सेक्टर कहते हैं। पब्लिक सेक्टर में आपके लोग जा सकते हैं। सारी की सारी पब्लिक सेक्टर की कंपनियां ये प्राईवेटाइज कर रहे हैं, अपने ही दो-तीन मित्रों को दे रहे हैं। तो रोजगार का रास्ता बंद, शिक्षा का रास्ता बंद, बीमार हुए तो अस्पताल बंद, फिर आपसे कहते हैं कि हिंदुस्तान की बात मत करो, आप लोग वनवासी हो। बात करनी है तो जंगल की करो। जंगल में हक किसने दिया – कांग्रेस पार्टी ने दिया। फॉरेस्ट राइट एक्ट और पेसा कौन लाए, कांग्रेस पार्टी लाई और बीजेपी क्या कर रही है – कहती है आप तो वनवासी हो और फिर जो आपका हक बनता है, वो भी छीन लेती है। ये सिर्फ आप पर आक्रमण नहीं है, देश पर है, मगर ये जो बिरसामुंडा जी है, इन पर ये आक्रमण कर रहे हैं, इनका अपमान हो रहा है। तो सबसे जरुरी बात संविधान की रक्षा, आदिवासियों को शिक्षा, उनके हक, उनकी जमीन, इसके बिना आपका काम नहीं होने वाला है और ये लड़ाई सिर्फ कांगेस पार्टी लड़ती है और मैं ये भी कह देता हूं, स्टेज से कह देता हूं, कांग्रेस पार्टी लड़ती है, मगर और मजबूती से लड़नी चाहिए। ये मैं आपसे कहना चाह रहा था।
आखिरी बात, देखिए भगवान बिरसा मुंडा जी 24 साल की आयु में शहीद हो गए। अंग्रेजों ने उन्हें जमीन देने की कोशिश की, धन देने की कोशिश की, उनको खरीदने की कोशिश की। भगवान बिरसा मुंडा जी ने कहा- नहीं, मुझे तुम्हारा धन नहीं चाहिए, मुझे जमीन नहीं चाहिए, मुझे खरीदा नहीं जा सकता, मुझे अपने लोगों को हक दिलवाना है। मतलब, अंग्रेज उस टाइम के सुपर पावर थे, दुनिया में सबसे बड़ी शक्ति थे और 24 साल के बिरसा मुंडा जी ने उनका मुकाबला किया और एक इंच पीछे नहीं हटे और उनकी हत्या कर दी, उनको शहीद कर दिया गया। ये आपके चिन्ह हैं, ये आपको रास्ता दिखाते हैं।अब देखिए, बीजेपी के चिन्ह को देखिए, आरएसएस के चिन्ह को देखिए। सावरकर जी, 2-3 साल उनको अंडमान में बंद कर दिया। उन्होंने चिट्ठी लिखनी शुरु कर दी। हमें माफ कर दो, जो भी हमसे चाहते हो ले लो, बस मुझे जेल से निकाल दो। सावरकर जी में और भगवान बिरसा मुंडा जी में फर्क देखिए। 24 साल में ये शहीद हो गए, आदिवासियों के लिए और सिर्फ आदिवासियों के लिए नहीं, हिंदुस्तान के लिए, अंग्रेजों के खिलाफ खड़े हो गए और दूसरी तरफ सावरकर जी, जिनको वीर कहते हैं। कोई मुझे बता रहा था कि उन्होंने अपने बारे में एक किताब लिखी, लोगों ने बताया नहीं कि उन्होंने लिखी है, एक किताब लिखी, दूसरे नाम से लिखी कि सावरकर कितने वीर हैं और अंग्रेजों से पेंशन लेते थे। अंग्रेजों से पेंशन लेते थे, अंग्रेजों के लिए काम करते थे, कांग्रेस के खिलाफ अंग्रेजों के साथ काम करते थे और 2-3 साल, 5 साल में जेल के बाद, सच्चे सावरकर जी पूरे देश को दिखे। चिट्ठियाँ लिखीं और अंग्रेजों ने कहा- आ जाओ, हिंदुस्तान के खिलाफ हमारे साथ काम करो। सावरकर जी ने कहा, हां जी, मैं हाजिर हूँ, जो भी आप मुझसे चाहते हो मैं करूँगा। ये है आपके भगवान में, आपके नेता और उनके नेता में फर्क। मैं हर आदिवासी युवा से कहना चाहता हूँ, ये देखिए, ये आपको रास्ता दिखाते हैं (भगवान बिरसा मुंडा की तस्वीर की तरफ इशारा करते हुए कहा), इनका रास्ता आपको कभी नहीं छोड़ना है। दूसरी बात, आप वनवासी नहीं हो, आप आदिवासी हो और आप ओरिजिनल मालिक हो इस देश के।