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वीडियो सुने: जीएसटी बढ़ाकर मोदी जी मारेंगे अब जनता को झापड़- कांग्रेस सांसद डा. अभिषेक मनु सिंघवी

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: राज्य सभा सांसद डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि नमस्कार साथियों, धन्यवाद। आज हम आपसे संक्षिप्त में बात करना चाहते हैं उसी श्रृंखला में, जिसमें पहले भी आपसे बात कर रहे हैं, लेकिन आज नया मुद्दा है, जीएसटी के विषय में जो प्रस्ताव आया है और उसका सीधा संपर्क है पिछले कई हफ्तों, कल, परसों, बाकी हफ्तों की आपसे वार्तालाप से। तो मैं कहना चाहूंगा शुरुआत में दोस्तों कि –

जीएसटी बढ़ाकर मोदी जी मारेंगे अब जनता को झापड़,

अब आम आदमी ना खा पाएगा गुड़, ना खा पाएगा पापड़।

ये सीधा संपर्क रखता है उस प्रस्ताव से जिसमें गुड़ और पापड़ 143 आइटम के साथ मिश्रित है, प्रस्तावित रेट इंक्रीज के लिए।

क्या पहले ही भाजपा ने जीएसटी से कम था लूटा,

अब तो हम ना खरीद पाएंगे चश्मा और ना जूता।

ये दो और आइटम हैं, जो प्रस्तावित बढ़ोतरी के लिए सूचित हैं।

दोस्तों, जीएसटी इनडायरेक्ट टैक्स का सबसे बड़ा प्रमुख टैक्स है और आप जानते हैं कि इनडायरेक्ट टैक्स सबको और विशेष रुप से मध्यम वर्ग और निचले वर्ग को सबसे ज्यादा पीड़ित करता है। वो प्रोपोर्शन में नहीं होता, वो सब पर बराबर में पड़ता है और जो मध्य़म वर्ग और निचला वर्ग है, उसको सबसे ज्यादा पेट पर लात मारता है। अब इस बार जो प्रस्तावित है, मुझे लगता है कि ये कुछ लुप्त-सुप्त सरकार कर रही है या सरकार के सीधे दांय हाथ को मालूम नहीं कि बांया हाथ क्या कर रहा है। बड़ा एक रहस्यमयी और विचित्र सा प्रस्ताव है। ये मानते हैं कि प्रस्ताव है, लेकिन ये प्रस्ताव केन्द्र सरकार का है और तुरंत कार्यांवित होने की कगार पर है। ये क्यों है विचित्र, क्यों है रहस्यमयी –

प्रस्ताव है 143 आइटम, जिनकी सूची दी गई है, प्रस्तावित बढ़ाने के लिए। उसमें ऐसे अजीबो-गरीब आइटम हैं, पापड़, गुड़, घड़ियां, सूटकेस, हैंडबैग, कलर टीवी सेट 32 इंच से कम, 32 इंच से कम बड़ा रोचक है, छोटे टीवी सेट, च्विंगम, अखरोट, कस्टर्ड पाउडर, मेरे पास पूरी लिस्ट है, पढ़ नहीं रहा हूं। इसमें से 92 प्रतिशत, ये बहुत महत्वपूर्ण वाक्य और फैक्ट है; 92 प्रतिशत प्रस्तावित है, 18 प्रतिशत से 28 प्रतिशत। सब नहीं, लेकिन 143 में 92 प्रतिशत। 18 बहुत ऊंचा होता है। आप बात कर रहे हैं 28 की, सबसे ऊंचा स्तर। ये वो आइटम आपको लगे जो मध्यम वर्ग इस्तेमाल नहीं करता है, ये आपको वो लगे जो निचला वर्ग इस्तेमाल नहीं करता है, पापड़, गुड़, ये अपने कलर टीवी सेट, less than 32 inches. वॉच, सूटकेस, हैंडबैग। ये लग्जरी आइटम सबको कह सकते हैं, आप। आप विचित्र, दांया हाथ, बांया हाथ का सिंड्रोम देखिए कि इनमें से कई ऐसे आइटम हैं जिनको दिसंबर, 2018 में सूची द्वारा कम किया गया था, तीन-चार साल पहले। उनमें है – ये टीवी वाले 32 इंच से कम, डिजिटल वीडियो कैमरा रिकॉर्डिंग, पावर बैंक, अभी तीन-चार साल पहले कम किया इनको और गुड़ और पापड़, जो जीरो में है, उसमें क्या औचित्य हो सकता है, 5 प्रतिशत यद्यपि 18, 28 नहीं है लेकिन 5 प्रतिशत क्यों लगाते हैं गुड़ और पापड़ में। गुड़ और पापड़ क्या एक बड़ा क्राइम कर रहा है मध्यम वर्ग और निचले वर्ग पर?

गुवाहटी में बड़ी रोचक मीटिंग हुई थी 2017 में जीएसटी के विषय में और गुवाहटी के 2017 की मीटिंग में 75 प्रतिशत आइटम को सबसे बड़े स्लैब 28 से कम करके, सबसे बड़े स्लैब में करीब-करीब सिर्फ 50 आइटम रखने थे और 178 आइटम को उस 28 प्रतिशत स्लैब से नीचे ले आए थे। अब देखिए ये क्या हो रहा है – हर साल, हर महीने, हर छह महीने जिग-जैग और अब उनको आप 28 में डाल रहे हैं। य़े आप आइसोलेशन में एक अनूठी कैटेगरी में रखकर नहीं देख सकते। ये आप तब कर रहे हैं जीएसटी, जब आपका होल सेल इंडेक्स 14 और 15 प्रतिशत के बीच में है, जिसके विषय में यहाँ से आपने कल बात की थी और रिटेल है साढ़े सात के लगभग, कभी सात हो जाता है, कभी आठ हो जाता है, कभी पौने सात हो जाता है। इनका सीधा संपर्क है, इनको अलग-अलग नहीं देखिए और सबसे बड़ी लात पेट पर इसके लगती है जीएसटी से क्योंकि इनडायरेक्ट टैक्स है। इसका जिसको अंग्रेजी में कहते हैं कैस्केडिंग इफेक्ट होता है। इसका परोक्ष, दुष्प्रभाव ज्यादा होता है, क्योंकि ये एक चीज पर लगता है, यहाँ तो सीधा पेट पर लात लगती है, लेकिन और कई चीजों पर इसका असर पड़ता है।

रोचक बात एक और देखिए दांए और बांए हाथ के सिंड्रोम के विषय में। 2021 सितंबर में लखनऊ में मीटिंग होती है जीएसटी काउंसिल की 45वीं मीटिंग। उसमें माननीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जी कहती हैं कि रेवेन्यू न्यूट्रल रेट, ये बहुत महत्वपूर्ण बात है, अब 11.5 प्रतिशत हो गई है, पहले रेवेन्यू न्यूट्रल रेट 15.5 थी। रेवेन्यू न्यूट्रल रेट का मतलब क्या होता है कि अगर आप सब चीजों में 15.5 प्रतिशत लगाएं, तो भी काम चल सकता है, उससे आपके रेवेन्यू कम नहीं होगा। ये रेट 15.5 प्रतिशत से लेकर सिर्फ 11.5 प्रतिशत हो गई है। ये कह रही हैं माननीय वित्त मंत्री, 2021 सितंबर में और आज आप 92 प्रतिशत आइटम 143 में से, रेवेन्यू न्यूट्रल रेट जब 11.5 प्रतिशत है, उसको 28 प्रतिशत में मूव कर रहे हैं।

I hope, I am clear, ये एक पक्षपात है, ये एक आडंबर है, ये एक मजाक है, ये एक क्रूरता है।

सितंबर, 2019 में आरबीआई ने भी यही कहा था। उन्होंने कहा था कि इफेक्टिव वेटेड एवरेज जीएसटी रेट जो एक प्रकार से रेवेन्यू न्यूट्रल रेट की ही चीज होती है, वो उस वक्त 11.5 प्रतिशत के आस-पास है और 14.5 की आवश्यकता नहीं है। आज हम बात कर रहे हैं यद्यपि सिर्फ 90 प्रतिशत आइटम की, हम 28 प्रतिशत में बढ़ोतरी की बात कर रहे हैं और अंतिम पहलू, ये कब हो रहा है, ये किस संदर्भ में हो रहा है – जैसा मैंने कहा संदर्भ नंबर एक सबसे महत्वपूर्ण है होलसेल प्राइस इंडेक्स 14.5, रिटेल प्राइस इंडेक्स 7.5, उतना ही महत्वपूर्ण संदर्भ है कि आपके जीएसटी कलेक्शन, आपके खुद के प्रकाशित फिगर में, जिसमें आप डींग मारते हैं, आप अपने आपको थप्पी देते हैं पीठ में, प्रकाशित किए हैं मार्च, 2022 में, सबसे आगे उसको कहा है, लिखकर कहा है सरकार ने ऑल टाइम हाई। 1.42 करोड़ रुपए मार्च, 2022 का फिगर है। ये 30 प्रतिशत ज्यादा है एवरेज monthly कलेक्शन के। जो औसतन मासिक होता है फिगर उससे 30 प्रतिशत अधिक है, उस वक्त आप ऐसी लात मार रहे हैं मध्यम वर्ग उतना ही महत्वपूर्ण है इसमें, निचला वर्ग तो खैर पिस ही रहा है। बल्कि मजाक की बात ये है कि रिवाइज्ड बजट टारगेट था 5.7 लाख करोड़ मार्च, 31, 2022 वाला साल जो अंत हुआ है, यानी 2021-22 का साल जो मार्च, 31 को अंत हुआ है, उसमें टारगेट था 5.70 जीएसटी का लाख करोड, वो एक्सिड हो गया है, उसको पार कर लिया है आपने और आप 90 प्रतिशत, 92 प्रतिशत 143 आइटम में से बढ़ा रहे हैं।

अंतिम बात, ये वही नरेन्द्र मोदी सरकार है, जिन्होंने अपने प्रधानमंत्री के अवतार के पहले मुख्यमंत्री के अवतार में कड़ी निंदा की थी, कहा था – जीएसटी फिसकल फेडरेलिज्म के टेनेट्स के रेट्रोग्रेड हैं। ये कोट कर रहा हूं, मेरे शब्द नहीं है, माननीय मोदी जी के शब्द हैं 2011-12 के, “It is retrograde in nature and completely against tenets of fiscal federalism”. ये उसी सरकार की बात हो रही है, जिसने उस वक्त गुजरात से कहा था पूरे देश को कि कॉन्स्टिट्यूशन अमेंडमेंट बिल, संविधान संशोधन बिल 115 वां का विरोध किया जाए पुरजोर तरीके से। आज आप दूसरी तरह से कार्यान्वित कर रहे हैं इसे क्रूरता से, बेरहमी से और संदर्भ के बाहर और ये सब अंतिम बात, सबसे महत्वपूर्ण बात कोविड के वक्त कर रहे हैं। कोविड कम हुआ है, जा रहा है, भगवान करे कि पूरा चला जाए, लेकिन हम कोविड को भुला नहीं सकते अभी। हम कोविड से निकल रहे हैं। उस वक्त आप ऐसा प्रस्ताव रख रहे हैं जो आपको खुद के 2017, 2019 और 2021 के प्रस्तावों के विपरीतार्थक हैं और इसलिए हमने कहा था कि ये महंगाई और घोटाला जो महंगाई के विषय में किया है, अब जीएसटी का ऊपर उसमें एक और तीर कसा है, सरकार ने।

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