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दिल्ली नई दिल्ली राजनीतिक राष्ट्रीय वीडियो

वरिष्ठ कांग्रेसी नेता पवन खेड़ा ने आज आयोजित प्रेस कांग्रेस में क्या कहा, सुने उन्हीं के जुबानी इस वीडियो में।


अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: वरिष्ठ कांग्रेसी नेता पवन खेड़ा ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि नतीजे आ गए, हमारी किस्मत ऐसी है कि हम जीत जाएं, तो उसका विश्लेषण हम करते हैं और वो हार जाएं तो उसका विश्लेषण आप नहीं करते हैं। आप सिर्फ हमारी हार का विश्लेषण करते हैं और उनकी सिर्फ जीत का विश्लेषण करते हैं। तो चुनाव से पहले पूरी तरह से हम दो राज्यों में सरकार में थे, चुनाव के बाद हम तीन राज्यों में सरकार में हैं। लेकिन मैजिक किसी और का ही चला, दिखाते हैं आप। तो विश्लेषण हमारी जीत का भी कर रहे हैं और हार का भी कर रहे हैं।

पिछले कुछ महीनों में हम लोग, हमारी पार्टी का प्रतिनिधिमंडल लगातार चुनाव आयोग में जाता रहा, अलग-अलग मुद्दे उठाता रहा- प्रचार से संबंधित, मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट की अवहेलना से संबंधित, एनसीपीसीआर से संबंधित, जहाँ एक बच्ची का इस्तेमाल किया जा रहा था, मोदी जी के प्रचार में। ना न्याय हो रहा है, ना न्याय होता हुआ दिख रहा है, इसलिए आपके समक्ष हम हैं। बड़ा महत्वपूर्ण और गंभीर एक मुद्दा है, गुजरात चुनाव को लेकर। आप लोगों ने मीडिया में कुछ रिपोर्ट देखी होंगी, डरते-डरते जो छपी हैं कि आखिरी एक घंटे में 16 लाख वोट गुजरात के दूसरे चरण के चुनाव में पड़े। अपने कैंडिडेट्स से लगातार हम संपर्क में हैं, फॉर्म 17 सी, जो कि रिटर्निंग ऑफिसर देता है, साइन करके कि इस मतदान केन्द्र पर 5 बजे तक या 6 बजे तक इतने वोट गिरे।, वो मिलान (Tallying) चल रहा है, लेकिन बरोड़ा और अहमदाबाद रीजन में, क्षेत्रों में; खासतौर पर सूरत में भी कुछ हुआ, राजकोट संभाग में भी कुछ हुआ, लेकिन इन दो संभागों के काफी आंकड़े हम लोग इकट्ठे कर रहे हैं।

हैरानी की बात है कि एक वोट डालने में जहाँ 60 सेकेंड लगते हैं, अगर आप औसत निकालेंगे 5 बजे से 6 बजे के दौरान, तो एक वोट डालने में 45 सेकेंड लगे हैं और एक-एक बूथ पर अगर ये आंकड़े देखें, तो बाहर अफरा-तफरी मचनी चाहिए थी, बाहर ट्रैफिक जैम हो जाना चाहिए था; बाहर, माफ कीजिएगा स्टांपीड हो जाना चाहिए था, ऐसी कोई भीड़ थी नहीं। हमारे पत्रकार साथी कई वहाँ थे, हमारे अपने वर्कर थे, जो लगातार कह रहे थे कि बड़ा फीका मतदान है, लोग निकल कर नहीं आ रहे हैं, लेकिन 5 बजे से 6 बजे के बीच में साढ़े छः प्रतिशत बढ़ोतरी हो गई। तो इस दिशा में कुछ सवाल जो हम उठा रहे हैं, चुनाव आयोग के सामने भी और आपके सामने भी और जनता की अदालत में भी। संजय पटेल एक हमारे उम्मीदवार 144 रावपुरा, बरोड़ा संभाग की एक सीट हैं उससे, 5 बजे उनके यहाँ 51 प्रतिशत मतदान हुआ। वो अपने वर्कर के साथ अलग-अलग मतदान केन्द्रों पर उस वक्त घूम रहे थे, जैसा कि सारे उम्मीदवार करते हैं, हर पार्टी के और लोगों को प्रेरित भी कर रहे थे कि भाई, निकलिए वोट देने, लेकिन 5 बजे के बाद और भीड़ वो बताते हैं कि बहुत कम थी मतदान केन्द्रों पर। 6 बजे 57.68 प्रतिशत वोट हो गए, कहाँ से आए ये वोट? ना संजय पटेल जी जानते, ना कोई और उम्मीदवार जानता है। वो एक ही जानता है, जो सबका मालिक एक है कि आए कहाँ से ये वोट और ये कहानी जो कि मैंने आपको रावपुरा की बताई है, 144 विधानसभा क्षेत्र की बताई, ये कहानी आपको कमोवेश, तमाम विधानसभाएं, जो अहमदाबाद, बरोड़ा संभाग में आती है, उनमें भी ये कहानी, आप इस प्रेस वार्ता के बाद अपने साथियों से फोन करके पूछेंगी, या पूछेंगे, तुरंत आपको एक कहानी सुनाई देगी और ये हर जगह हुआ – भावनगर में हुआ, बरोड़ा में हुआ, अहमदाबाद में हुआ, सूरत में हुआ।

अब ये रावपुरा में 281 बूथ हैं। 281 बूथों में एक घंटे में 16 हजार वोट पड़ गए। मतलब एक मिनट में 57 वोट। आप कैलकुलेट कीजिए, कैसे संभव है? ना बाहर कोई लाइन लगी हुई, ना कोई अफरा-तफरी, लेकिन इतने वोट वहाँ पड़े। ऐसे ही वीवीपैट की तुलना कुछ मशीनों पर की। तो एक तुलना अभी मैं जिनसे फोन पर बात कर रहा था, वो बता रहे थे। मैं आपको वो आंकड़ा देता हूं कि एक बूथ पर 7 वोट पड़े, एक पार्टी को, लेकिन वीवीपैट में 21 बार पर्ची निकली, उस पार्टी की। आप जानते हैं, वो कौन सी पार्टी होगी? तो ऐसे उदाहरण हम इकट्ठे कर रहे हैं, लगातार कर रहे हैं। ये जो लोकल बॉ़डी इलेक्शन हुए थे, उस वक्त भी एक ऐसा बूथ था, धोलका नाम का बूथ था, जहाँ 644 वोट पड़े थे और गिने तो निकले 2,273 वोट। ये नया मॉडल आ रहा है! इच्छाधारी वोट! साहेब ने इच्छा कर ली, वोट पड़ गए। लोगों की ज़रूरत नहीं है, मशीनों की ज़रूरत नहीं है, वोटर की ज़रूरत नहीं है, पत्रकारों की तो ज़रुरत है, ही नहीं। विपक्ष की ज़रूरत तो आप जानते हैं, खत्म हो ही रही है, करना चाह रहे हैं ये लोग, विपक्ष मुक्त भारत ये लोग बना रहे हैं। लेकिन ये जो चुनाव मुक्त भारत हो रहा है, लोकतंत्र मुक्त भारत हो रहा है, इस विषय पर आपको गंभीरता से आवाज उठानी होगी, नहीं तो बहुत देर हो चुकी होगी, सबकुछ लुट चुका होगा। वेजलपुर एक घंटे में 8.14 प्रतिशत पड़ा, ये मतलब सोच नहीं सकते आप, इस तरह से पड़ा। फिर कहा जाता है कि टैलिंग में टाइम लगता है। ये 5 बजे के आंकड़े आ चुके थे, उसके बाद कोई भीड़ नहीं थी। ये कौन सी टैलिंग थी कि सीधा 8 प्रतिशत, साढ़े छः प्रतिशत से बढ़ गए, औसतन साढ़े छः प्रतिशत पूरे गुजरात में पड़ा। हम और आप, गुजरात, आपमें से कई लोग मुझे, वहाँ दिखे थे। वोटिंग प्रतिशत प्रथम चरण, द्वितीय चरण में कम हुआ था। जिस तरह का गुस्सा और रोष था, वो सबको दिख रहा था, आपमें से कुछ लोग छाप भी रहे थे, लिख भी रहे थे, उसमें रूलिंग पार्टी का वोट शेयर 5 प्रतिशत बढ़ जाए, ये सुनकर भी अटपटा सा लगता है, तो ये कौन सा मॉडल है? नरोदा में 5 बजे डिक्लेयर हुआ, 45.25 प्रतिशत वोट, 6 बजे हो गया, वो 52.78 प्रतिशत, 7.5 प्रतिशत और नरोदा का कैंडिडेट हमें बता रहा है कि साहब, भीड़ थी नहीं, ये वोट कहाँ से आया? ऐसा ही आपको असरवा, दरियापुर, वेजलपुर, वटवा। वटवा में 6.52 प्रतिशत बढ़े और सबसे महत्वपूर्ण था, असरवा। अभी आंकड़ा हम लोग, क्योंकि वहाँ अभी हमारी बैठक ही चल रही है, वहाँ 11.55 प्रतिशत बढ़ गया, तो औसत निकालो, तो ये 25 से 30 सेंकड में एक वोट, जैसे मशीन चलती है ना फैक्टरियों में जाते हैं तो, मैन्यूफैक्चरिंग हो रही है, वोटों की। तो ये इच्छाधारी वोटों की कहानी, आप लोग भी इस पर, मैं गुजारिश करूँगा कि थोड़ा इनवेस्टिगेशन करिए। डरो मत, मिलकर लड़ेंगे तो लोकतंत्र को बचा पाएंगे, आने वाली पीढ़ियों को बचा पाएंगे।

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