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महेंद्रगढ़ : सच्चाई , चरित्र व मानवता का वरण करने से स्वयं के साथ – साथ देश व समाज का भी कल्याण होता है, स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती

विनीत पंसारी की रिपोर्ट 

महेन्द्रगढ़ : सबको सच्चाई का, चरित्र का, मानवता का वरण करना चाहिए । इससे देश का, समाज का व अपना भी कल्याण होता है ।
उक्त उद्गार श्री गीता विज्ञान प्रचार समिति महेन्द्रगढ़ के तत्वावधान में बाबा जयरामदास धर्मशाला में चल रही भागवत कथा में महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती ने श्रद्धालुओं को अपने प्रवचनों के दौरान व्यक्त किए ।
महामंडलेश्वर ने अनेक प्रसंगों को लेकर कहा कि कंस को वासुदेव के समक्ष, रावण को बनवासी राम के समक्ष पराजित होना पड़ा । महाभारत में अश्वत्थामा जो कुल में, विद्या में बलवान था । अजर-अमर था । उसने द्रोपदी के पांचों पुत्रों को खत्म कर दिया । उसे द्रोपदी के समक्ष उपस्थित किया गया । अन्तत: अश्वत्थामा पराजित हुआ । तात्पर्य यह है कि इतनी बड़ी शक्तियां होते हुए भी सत्य के सामने उनको झुकना पड़ा । सत्य की जीत हुई । स्वामी जी ने भागवत कथा के महात्म्य की विस्तृत चर्चा की । उन्होंने कहा यह कथा अति दिव्य है । भागवत श्री नारायण का स्वरूप है । भागवत कथा को श्रद्धापूर्वक श्रवण करना चाहिए । परमात्मा के प्रति प्रेम होना चाहिए । यह उसकी प्राप्ति का सबसे सरल साधन है । इस अवसर पर श्रीकिशन मस्ताना, किशन सोनी, पं.आत्मप्रकाश, पवन नांगलिया, जगदीश, हरिराम मैहता, पं. सत्यनारायण, अरविन्द खेतान, रामू, आचार्य श्याम सहित अनेक महिला एवं पुरुष श्रद्धालुगण उपस्थित थे ।

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