विनीत पंसारी की रिपोर्ट
महेन्द्रगढ़ : पर्यावरण प्रदूषण के कारण मानव को बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। पर्यावरण को शुद्ध करने के लिए प्रकृति से प्रेम करना जरूरी है। जितना हम प्रकृति से ले रहे हैं उतना ही इसे वापस लौटाना भी आवश्यक है। हमें पूरी ईमानदारी से पर्यावरण शुद्धि की दिशा में प्रयास करना चाहिए। उक्त विचार योगप्रशिक्षक व यज्ञ पुरोहित निलेश ने जांट गांव में योगशिविर के समापन अवसर पर कहे। भारत स्वाभिमान व पतंजलि योगसमिति के संयुक्त तत्वाधान में गांव जांट में आयोजित 5 दिवसीय निशुल्क योग शिविर का रविवार को देवयज्ञ से समापन किया गया। साथ ही औषधीय पौधों का रोपण भी किया गया।
निलेश ने कहा कि उद्योगों, कल-कारखानों से गंदगी निकलकर पृथ्वी को दूषित कर रहे हैं बेतरतीब वाहनों से निकलता धुआं, अर्थात कार्बन मोनो-ऑक्साइड गैस से बढ़ती बीमारियों से लोग परेशान हैं। पर्यावरण शुद्धि के लिए नियमित हवन करना चाहिए। अधिकाधिक बड-नीम-पीपल की त्रिवेणी लगानी चाहिए। प्रदुषण के कारण आंखों में जलन, सिर दर्द, टी.बी, हृदयरोग, अस्थमा के मरीजों व अन्य सभी लोगों को भी असहनीय पीड़ा उठानी पड़ी है। ये संकेत हैं की प्रकृति माँ हमें मानवता को बचाने की अंतिम चेतावनी दे रही है। यज्ञ का एक बड़ा लक्ष्य पर्यावरण के प्रति जागरूकता व इसकी शुद्धि की दिशा में प्रयास बढ़ाना है।इस अवसर पर पारिजात , हारश्रिंगार , घृतकुमारी, पतथरचटा , गिलोय आदि औषधियों का पौधरोपण किया गया। गांव के बच्चों को इन्हें अपना मित्र समझकर इनकी देखरेख करने की जिम्मेदारी सौंपी गई। कार्यक्रम समापन पर व्यवस्थापक अनिल शर्मा, मास्टर सुरेश ने पतंजलि योग समिति को अभिनन्दन व धन्यवाद प्रेषित किया।
अवसर पर शीशराम मालडा, कृष्ण लावण, डॉ दिनेश चहल, ख्याति, अजितेश, जोहरी शर्मा, रतनलाल, मांगेराम, कैलाश शर्मा, रोहताश, श्रीभगवान, दाताराम, राजू मिस्त्री, सुजान, संदीप, जयभगवान आदि सहित अन्य साधकों ने योग से स्वास्थ्य लाभ लिया।
निलेश ने कहा कि उद्योगों, कल-कारखानों से गंदगी निकलकर पृथ्वी को दूषित कर रहे हैं बेतरतीब वाहनों से निकलता धुआं, अर्थात कार्बन मोनो-ऑक्साइड गैस से बढ़ती बीमारियों से लोग परेशान हैं। पर्यावरण शुद्धि के लिए नियमित हवन करना चाहिए। अधिकाधिक बड-नीम-पीपल की त्रिवेणी लगानी चाहिए। प्रदुषण के कारण आंखों में जलन, सिर दर्द, टी.बी, हृदयरोग, अस्थमा के मरीजों व अन्य सभी लोगों को भी असहनीय पीड़ा उठानी पड़ी है। ये संकेत हैं की प्रकृति माँ हमें मानवता को बचाने की अंतिम चेतावनी दे रही है। यज्ञ का एक बड़ा लक्ष्य पर्यावरण के प्रति जागरूकता व इसकी शुद्धि की दिशा में प्रयास बढ़ाना है।इस अवसर पर पारिजात , हारश्रिंगार , घृतकुमारी, पतथरचटा , गिलोय आदि औषधियों का पौधरोपण किया गया। गांव के बच्चों को इन्हें अपना मित्र समझकर इनकी देखरेख करने की जिम्मेदारी सौंपी गई। कार्यक्रम समापन पर व्यवस्थापक अनिल शर्मा, मास्टर सुरेश ने पतंजलि योग समिति को अभिनन्दन व धन्यवाद प्रेषित किया।
अवसर पर शीशराम मालडा, कृष्ण लावण, डॉ दिनेश चहल, ख्याति, अजितेश, जोहरी शर्मा, रतनलाल, मांगेराम, कैलाश शर्मा, रोहताश, श्रीभगवान, दाताराम, राजू मिस्त्री, सुजान, संदीप, जयभगवान आदि सहित अन्य साधकों ने योग से स्वास्थ्य लाभ लिया।