विनीत पंसारी की रिपोर्ट
महेन्द्रगढ़ : हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय, महेंद्रगढ़ के हिंदी एवम भारतीय भाषा विभाग द्वारा हिंदी के यशस्वी कवि चंद्रकांत देवताले की स्मृति में एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विद्यार्थियों के बीच देवताले जी के जीवन और उनकी रचनाओं पर विस्तार से चर्चा की गई। विभाग के सहायक आचार्य डॉ. अमित मनोज ने बताया कि किस तरह से देवताले ने साहित्य जगत में अपनी एक अलग पहचान बनाई।
इस कार्यक्रम में डॉ. अमित मनोज ने ‘एक नींबू के पीछे‘, डॉ. अरविंद सिंह तेजावत ने ‘औरत‘ नामक कविता का पाठ किया। आयोजन के दौरान न सिर्फ विभाग के शिक्षकों बल्कि विद्यार्थियों व शोधार्थियों विभा मलिक, मनोज कुमार, दीपक, ऋतु रानी, अतुल कुमार, लल्टू कुमार एवं प्रवीन कुमार ने भी देवताले जी की कविताओं का पाठ किया। इन कविताओं में जो नहीं होते धरती पर, कहीं कोई मर रहा उसके लिए, मुक्तिबोध, थोड़े से बच्चे और बाकी बच्चे, मां पर नहीं लिख सकता कविता, मेरी किस्मत में यही अच्छा और औरत का हँसना प्रमुख रहीं।
गौरतलब है कि हाल ही में हिंदी के वरिष्ठ कवि देवताले जी का देहावसान हुआ है। इनकी कविताओं आम जन के दुःख-दर्द की अभिव्यक्ति मुखर होती है। सम्मान की बात करें तो देवताले जी को कविता समय सम्मान (2011), पहल सम्मान (2002), भवभूति अलंकरण (2003), शिखर सम्मान (1986), माखनलाल चतुर्वेदी कविता पुरस्कार और सृजन भारती सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है। उनकी प्रसिद्ध कृतियों में ‘हड्डियों में छिपा ज्वर’, ‘लकड़बग्घा हंस रहा है’, ‘भूखंड तप रहा है’, ‘आग हर चीज़ में बतायी गयी थी‘, ‘पत्थर फेंक रहा हूँ’, ‘खुद पर निगरानी का वक्त‘ आदि कविता संग्रह मुख्य हैं। कार्यक्रम के अंत में अमित मनोज जी ने देवताले जी के साथ बिताये समय और उनसे जुड़ी अपनी स्मृतिओं को साँझा किया।