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महेंद्रगढ़ : पीपल के वृक्ष को अक्षय वृक्ष भी कहा जाता है मनोज मेघनवास।

विनीत पंसारी की रिपोर्ट 
महेन्द्रगढ़: “प्रयास” श्री बालाजी संगठन  द्वारा  चलाए जा रहे पर्यावरण सुरक्षा अभियान के तहत  संस्था प्रमुख मनोज मेघनवास ने त्रिवेणी लगा पौधारोपण की शुरुआत की। उन्होंने अपने विचार व्यकत करते हुए कहा पीपल के वृक्ष को अक्षय वृक्ष भी कहा जाता है इसके पत्ते एक साथ समाप्त नही होते। पीपल के पत्ते इंसान के जीवन की तरह है पतझड़ आने पर वे झडने लगते है लेकिन कभी भी एक साथ नही झड़ते  ,औऱ नए पत्ते आकर पेड़ को हरा भरा बना देते है।पीपल की यह खुबी जन्म मरण के चक्र को दर्शाती है।आधुनिक वैज्ञानिकों ने हमारे प्राचीन ऋषि मुनियों की तरह इसे एक अनुठा पेड़ भी कहा है जो 24घन्टे आक्सीजन छोड़ता है शायद इसीलिए इस पेड़ को देव वृक्ष का दर्जा दिया जाता है।इसी तरह बड़ भी लम्बी उम्र वाला वृक्ष है औऱ सुख शान्ति का प्रतीक है।भगवान शिवजी भी वट वृक्ष के नीचे समाधि लगा साधना करते थे। अतः यह पूजनीय है।नीम को औषधीय वृक्ष कहते है इसकी छाल से लेकर पत्ते तक दवाई के रुप मे प्रयोग किया जाता है।अतः हर व्यक्ति को अपने जीवन मे एक पौधा अवश्य लगाना चाहिए ताकि पर्यावरण रक्षा में योगदान दिया जा सके। इस कार्य मे ग्रामीणों का विशेष योगदान रहा। उन्होंने पेडो की जाली लगा उनकी देख रेख की जिम्मेदारी ली। सुधीर शर्मा, अजय, डॉ. मुकेश, सुनील सीसोठ,  सुनिल, अनुप रिवासा, मनोज देवास सुधीर आदि लोग उपस्थित थे।

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