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फरीदाबाद

मजदूर आवास संघर्ष समिति खोरी गांव एवं अधिवक्ताओं की टीम ने खोरीगांव के पुनर्वास पर रिपोर्ट बनाकर सुप्रीम कोर्ट में पेश की

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
फरीदाबाद: मजदूर आवास संघर्ष समिति खोरी गांव के सदस्य निर्मल गोराना ने बताया कि सरीना सरकार बनाम हरियाणा सरकार के मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई जिसमें सरीना सरकार जनहित याचिकाकर्ता सदस्य मजदूर आवास संघर्ष समिति खोरी गांव द्वारा अपने अधिवक्ता के जरिए एक रिपोर्ट प्रस्तुत की गई उस रिपोर्ट का पीडीएफ इस प्रेस नोट के साथ संलग्न है। यह fact-finding रिपोर्ट  हरियाणा सरकार द्वारा खोरी गांव से बेदखल एवं विस्थापित मजदूर परिवारों को प्रदान किए गए पुनर्वास की जांच” के उद्देश्य से की गई। मजदूर आवाज संघर्ष समिति गोरी गांव की तरफ से तैयार की गई है रिपोर्ट जब आज सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत की गई तो अदालत ने हरियाणा सरकार को इस रिपोर्ट पर अपना जवाब प्रस्तुत करने हेतु आदेश किया। हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जल्दी ही मजदूर परिवारों के पुनर्वास की पॉलिसी को नोटिफाई कर पब्लिक डोमेन में लाने का विश्वास दिलाया है और कहा है कि दो-तीन दिन में यह पॉलिसी नोटिफाई कर दी जाएगी।

प्रस्तुति रिपोर्ट हरियाणा सरकार द्वारा विस्थापित एवं बेदखल परिवारों के प्रति बेपराही एवम लापरवाही की पोल खोलती है। बेदखल हुए 10,000 परिवार आज पुनर्वास की आस में खोरी में पड़े मलबे में अपने नन्हे नन्हे बच्चों को लेकर संघर्ष कर रहे है। बरसती बरसात एवं गर्मी से झूझते परिवार रोटी के टुकड़े तक को तरस रहे है। फरीदाबाद प्रशासन एवं नगर निगम द्वारा पुनर्वास के सारे दावे खोखले साबित हो रहे है। पुनर्वास नाम की कोई व्यवस्था खोरी गांव में नहीं पाई गई। साथ ही राधा स्वामी सत्संग हाल भी मात्र व्यक्ति के ठहरने के लिए है उनके घर के समान के लिए नहीं होने की वजह से बेदखल परिवार अपना सामान की वजह से वही मलबे में पड़े है। कई लोग तो गुरु पंथ में विश्वास नहीं करते है इसलिए राधा स्वामी सत्संग हाल नहीं जा रहे है। जबकि नगर निगम उन्हे गुरुडम की और धकेल रहा है। हाल ही मजदूर आवास संघर्ष समिति के सदस्यों ने मिलकर लगभग 1700 परिवारों के दस्तावेज एकत्रित करके नगर निगम कमिश्नर कार्यालय तक पहुंचाने का प्रयास किया किंतु नगर निगम कमिश्नर कार्यालय ने इन दस्तावेजों को लेने से मना कर दिया ऐसी स्थिति में जब बेदखल परिवार अपने दस्तावेजों को लेकर कमिश्नर कार्यालय तक पहुंच रहे हैं पर दस्तावेज नहीं लिए जा रहे हैं तो भला इन मजदूरों का पुनर्वास कैसे होगा यह गंभीर चिंता का विषय मजदूरों के लिए है। कुछ दिन पूर्व दस्तावेजों के जमा करने के पश्चात मजदूर परिवारों को अभी जमा दस्तावेजों की रसीद नहीं मिली इसको लेकर मजदूर चिंतित है क्योंकि मजदूर के पास कोई प्रूफ ही नही रहा है। मजदूर आवाज संघर्ष समिति पूरे हरियाणा में जबरन बेदखली के खिलाफ संघर्ष के लिए कमर कस चुकी है । गुरुग्राम में होने वाले विस्थापन को लेकर भी मजदूर आवाज संघर्ष समिति ने कार्य योजना तैयार कर ली है।

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