अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: अपने शुरूआती प्रयोग में, दिल्ली मेट्रो ने पहली ट्रेन के मिड-लाइफ रिफर्बिशमेंट (नवीनीकरण) कार्य को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है जिसे 2007 में सेवा में लिया गया था। डीएमआरसी के प्रबंध निदेशक, डॉ. मंगू सिंह ने यमुना बैंक डिपो में आज पहली रिफर्बिश्ड ट्रेन की अनावरण किया। यह प्रयास उन सभी 70 मेट्रो ट्रेनों के नवीनीकरण के लिए डीएमआरसी द्वारा चलाए गए एक विशेष अभियान का हिस्सा है जिन्हें डीएमआरसी ने 2002 और 2007 के बीच अपने पहले फेज में खरीदा था और जो अपने कुल 30 वर्ष के लाइफ़स्पैन के 14 से 19 वर्ष पूरे कर चुकी हैं। इस मिड-लाइफ रिफर्बिशमेंट के हिस्से के रूप में ट्रेनों को कई नई सुविधाओं के साथ रूपांतरित किया जा रहा है ताकि उन्हें बाकी ट्रेनों के बराबर लाया जा सके जिन्हें बाद में डीएमआरसी के फेज-II औरIII के विस्तार में सेवा में लिया गया था।
इस नवीनीकरण अभियान के माध्यम से किए जा रहे मुख्य कार्यों में शामिल हैं: फर्श में विभिन्न स्थानों पर दरारें, उभार और असमान सतह जैसी खराबी के लक्षण दिखाई देने
लगे थे। परिणामस्वरूप यात्रियों से असमान सतह, एड़ी के मुड़ जाने के साथ-साथ डिब्बों के अंदर की सुंदरता में कमी संबंधी शिकायतें मिली। यात्री सुरक्षा, आराम के साथ-साथ कोचों के अंदर बेहतर सौंदर्य दिखने के लिए फर्श को अब मॉडर्न फाइबर कम्पोजिट बोर्डों से बदल दिया गया है। ट्रेन के भीतरी हिस्से के साथ-साथ कैब हेड मास्क में कई जगह पर रंग उतर गए हैं, खरोंच और डेंट हो गए हैं। रेट्रोफिट कार्यों के तहत यात्री क्षेत्र के अंदर की दीवारों एवं छतों, ड्राइवर के आस-पास वाला कैब एरिया और ट्रेनों के अग्र हिस्से को फिर से पेंट करके इन सभी खराबियों को दूर किया जा रहा है। नए सुधारों के लिए लगातार प्रयासरत रहना डीएमआरसी की एक नियमित गतिविधि है। वर्षों से इस तरह के प्रयासों के कारण इलैक्ट्रिक पैनलों में कई अतिरिक्त कनेक्टर प्रदान किए जाने थे, अंततः जिससे ट्रेनों की कार्यकुशलता में थोड़ी कमी आई। मेक शिफ्ट व्यवस्था को शामिल किया जाना था और इसके अलावा इलैक्ट्रिक पैनलों में उपयोग किए जाने वाले रिले सीलबंद किस्म के नहीं थे जिन्हें निरंतर रखरखाव की आवश्यकता होती है। अब इन इलैक्ट्रिकल पैनलों को नए सीलबंद प्रकार के रिले के साथ अपग्रेड किया गया है जिससे ट्रेनों की कार्यकुशलता डीएमआरसी द्वारा हाल ही में खरीदी गई ट्रेनों के बराबर हो गई है। पहले केवल स्टैटिक स्टिकर आधारित रूट मैप ही ट्रेनों में उपलब्ध थे। अब 50% स्टेटिक रूट मैप्स को एलसीडी आधारित डायनेमिक रूट मैप्स में बदल दिया जाएगा जो ट्रेन में यात्रियों को हर जगह डायनामिक लाइव सूचना देता रहेगा। सीसीटीवी निगरानी प्रणाली इन ट्रेनों में पहली बार यह सुविधा दी गई है। सीसीटीवी कवरेज से यात्रियों को बेहतर निगरानी और सुरक्षा मिलेगी। ओवरहेड हाई-टेंशन लाइनों की निगरानी के लिए कैटेनरी कैमरा दिया गया है। ट्रेन ऑपरेटर को प्लेटफॉर्म के पिछले छोर को देखने के लिए वैकल्पिक कोचों में ट्रेनों के दोनों किनारों पर प्लेटफॉर्म कैमरे भी लगाए गए हैं। यात्रियों की सुरक्षा बढाने के क्रम में पहली बार इन ट्रेनों में यह सपविधा भी जोड़ी गई है। किसी भी तरह की गर्मी बढ़ने या धुंआ निकले की स्थिति में, यह सिस्टम ट्रेन ऑपररेटर के लिए अलार्म बजाएगा और एचवीएसी को इमरजेंसी वेंटिलेशन मोड पर चलाएगा। इस रूपांतरण कार्य के तहत यात्रियों की सुविधा के लिए प्रत्येक कोच में दो सीटों के पास प्रारंभ में, डीएमआरसी के यमुना बैंक डिपो में 07 ट्रेन सेट और शास्त्री पार्क डिपो में 03 ट्रेन सेटों को मैसर्स एस्कॉर्टस लिमिटेड रेलवे इक्विपमेंट डिवीजन और मैसर्स नलेदी रेल इंजीनियरिंग (प्रा.) लिमिटेड के कॉनसोर्टियम द्वारा नवीनीकृत किया जा रहा है। इन सभी दस ट्रेनों के सितंबर 2022 तक पूरी तरह से नवीनीकृत होने की उम्मीद है। इसके अलावा, इसी तर्ज पर शेष 60 ट्रेन सेटों के नवीनीकरण कार्य को भी शुरू करने के लिए निविदा कार्य प्रगति पर है।