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दिल्ली

नॉन कंफर्मिंग इंडस्ट्रीयल एरिया को विश्वस्तरीय पहचान देकर पैदा करेगी लाखों रोजगार के अवसर

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
नई दिल्ली:केजरीवाल सरकार ने नॉन कंफर्मिंग इंडस्ट्रीयल एरिया को विश्वस्तरीय पहचान देने के लिए एक बड़ी पहल की है। इस पहल के तहत इन क्षेत्रों का संपूर्ण पुनर्विकास किया जाएगा। इससे न सिर्फ दिल्ली की अर्थव्यवस्था को रफ्तार मिलेगी, बल्कि लाखों रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। इस संबंध में शुक्रवार को सीएम अरविंद केजरीवाल ने इन क्षेत्रों के उद्यमियों से मुलाकात कर पूरा प्लान रखा। सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हमने नॉन कंफर्मिंग इंडस्ट्रीयल एरिया को कंफर्मिंग जोन में तब्दील करने की दिशा में काम करने के लिए बड़ी पहल की है, ताकि इसे सही पहचान मिल सके। हमने इन एरिया का तीन चरणों में पुनर्विकास करने के लिए पॉलिसी बनाई है। हम उद्योगों को बढ़ावा देने और अधिक रोजगार पैदा करने में मदद करने के लिए इन सभी एरिया का संपूर्ण पुनर्विकास करेंगे।

सीएम ने सभी एसोसिएशन का समर्थन मिलने पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि उद्योगपतियों के सहयोग के बिना यह प्रोजेक्ट सफल नहीं हो सकता है। दिल्ली सचिवालय में आयोजित बैठक में उद्योग मंत्री सौरभ भारद्वाज, सभी इंडस्ट्री एसोसिएशन के पदाधिकारी और स्थानीय विधायकों ने हिस्सा लिया।उद्यमियों को संबोधित करते हुए सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली का विकास बहुत ही अनियोजित तरीके से हुआ है। दिल्ली में कोई प्लानिंग नहीं हुई। लोगों को जहां जगह मिलती गई, वे बसते गए। लोगों ने कहीं अपने मकान बनाए तो कहीं दुकाने और इंडस्ट्री शुरू कर दी। ऐसे में डीडीए की यह जिम्मेदारी थी कि वो इंडस्ट्री और रिहायशी इलाकों के लिए अलग से जगह की प्लानिंग करे और लोगों के लिए घर व दुकान बनाने के लिए जगह दे। मगर जिस तेजी से दिल्ली का विस्तार हुआ, उतनी तेजी से डीडीए जरूरी सुविधाएं मुहैया नहीं करा पाई। दूसरी तरफ, दिल्ली में इंडस्ट्री के लिए जमीन की मांग बहुत तेजी से बढ़ती गई लेकिन डीडीए इसके लिए कोई प्लानिंग नहीं कर पाई। ऐसे में दिल्ली में कई रिहायशी और अनधिकृत इलाकों में जहां लोगों को जगह मिलती गई, उन्होंने वहीं अपनी इंडस्ट्री शुरू कर दी। दिल्ली में ऐसे क्षेत्रों को अनुचित तरीके से इस्तेमाल होने वाले इलाके या नॉन कंफर्मिंग इंडस्ट्रीयल एरिया कहा गया है। क्योंकि यहां पानी, सीवर, सड़क किसी भी चीज की व्यवस्था नहीं है और न ही इंडस्ट्री के लिए कोई इंफ्रास्ट्रक्चर है और केवल जुगाड़ से ही काम चलता है। सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली सरकार ने एक योजना बनाई है। इसके तहत यह अगर कोई नॉन कंफर्मिंग इंडस्ट्रियल एरिया 4 हेक्टेयर में फैला हुआ है और उसमें 70 फीसद से ज्यादा इंडस्ट्री बसी हुई हैं तो उसे नॉन कंफर्मिंग नोटिफाइड इंडस्ट्रियल एरिया बनाया जाएगा। इसके तहत पूरे दिल्ली में सर्वे कर 26 नॉन कंफर्मिंग इंडस्ट्रियल एरिया को चिन्हित किया गया है, जिसमें एक गोदाम क्लस्टर भी शामिल है। इसके बाद डीडीए ने लगभग दो दशक पहले एक आदेश जारी किया कि दिल्ली में जितने भी नॉन कंफर्मिंग नोटिफाइड इंडस्ट्रीयल एरिया हैं, वो अपना लेआउट प्लान बनाकर खुद अपना पुनिर्विकास करें या फिर इसे एमसीडी से कराएं। आदेश में यह भी कहा गया कि अगर ऐसा नहीं करते हैं तो उन्हें नॉन कंफर्मिंग इंडस्ट्रीयल क्षेत्रों के अंदर अपनी इंडस्ट्री को बंद करना पड़ेगा। इस आदेश को आए हुए भी लगभाग 20 साल बीत चुके हैं, मगर आज तक न तो इन इंडस्ट्री का कोई लेआउट प्लान बना है और न ही कोई पुनिर्विकास हुआ है। एमसीडी और इंडस्ट्री एसोसिएशन दोनों ने इस दिशा में कुछ काम नहीं किया है। सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हम इन इंडस्ट्रीज को बंद नहीं करा सकते हैं, क्योंकि ऐसा करना बहुत बड़ी मानव त्रासदी ला सकता है। आज इन 26 नॉन कंफर्मिंग इंडस्ट्रीयल एरिया में 51 हजार इंडस्ट्रीज संचालित होती हैं, जिसमें सीधे तौर पर 5 लाख लोगों को रोजगार मिलता है। वहीं, 10 लाख लोगों को किसी न किसी तरह से इन इंडस्ट्रीज के जरिए रोजगार मिलता है। ऐसी स्थिति में इन इंडस्ट्री को बंद करना सही नहीं होगा। इन इंडस्ट्रीज को लेकर सुप्रीट कोर्ट ने सरकार को कई बार यह आदेश दिए हैं कि अगर इन इलाकों को नियमित नहीं किया गया तो इन्हें बंद करना पड़ेगा और समय-समय पर इन इंडस्ट्रिज के उपर कोर्ट की तलवार चलती रही। वहीं, नॉन कंफर्मिंग इंडस्ट्रीयल एरिया में अलग-अलग एजेंसियां वसूली और उत्पीडन करती हैं। इंडस्ट्रीज को इन एजेंसियों को पैसे देने पडते हैं। सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हमने यह पता करने की कोशिश की कि आखिर नॉन कंफर्मिंग इंडस्ट्रियल एरिया का लेआउट प्लान क्यों नहीं बन पा रहा है? तब पता लगा कि लेआउट प्लान बनाने में मोटा खर्चा है और इंडस्ट्रियल एसोसिएशन ये खर्चा नहीं देना चाहती हैं। इसलिए अब दिल्ली सरकार ने एक पहल करते हुए नॉन कंफर्मिंग औद्योगिक एरिया के इंडस्ट्री और गोदाम क्लस्टर का पुनर्विकास करने के लिए एक पॉलिसी बनाई है। इसके तीन चरण है। पहले चरण में हम एक कंसल्टेंट का पैनल बनाएंगे और उनके सभी के रेट तय करेंगे। उसमें से जो भी कंसल्टेंट उपयुक्त लगे, उस कंसल्टेंट को इंडस्ट्री एसोसिएशन ले सकती है। उस कंसल्टेंट का 90 फीसद खर्चा दिल्ली सरकार देगी और केवल 10 फीसद इंडस्ट्री को देना होगा। लेआउट योजना स्थानीय इंडस्ट्री एसोसिएशन या सोसायटी के साथ साझेदारी में सलाहकारों द्वारा तैयार की जाएगी। अगर कॉमन फैसिलिटी या सड़कों के निर्माण के दौरान किसी की थोड़ी जमीन आ जाए तो इसमें इंडस्ट्रीज को सहयोग देना होगा। इंडस्ट्रीज के सहयोग के बिना यह पुनर्विकास योजना सफल नहीं हो पाएगी। दिल्ली सरकार दिल खोलकर ये पॉलिसी इंडस्ट्रीज के लिए लेकर आई है। जिसके पहले चरण में सभी को साथ लेकर पूरे इंडस्ट्रीयल एरिया के सदस्यों की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। 

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