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मनमाने ढंग से ‘वन रैंक, वन पेंशन’ को कमजोर कर मोदी सरकार ने 30 लाख भूतपूर्व सैनिकों को किया निराश-कांग्रेस

नई दिल्ली/अजीत सिन्हा
रणदीप सिंह सुरजेवाला, महासचिव, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का बयान:‘वन रैंक, वन पेंशन’ पर मोदी सरकार की धोखेबाजी आज फिर उजागर हो गई है। मनमाने ढंग से ‘वन रैंक, वन पेंशन’ को कमजोर कर मोदी सरकार ने 30 लाख भूतपूर्व सैनिकों को निराश किया है। आज फिर रक्षामंत्री, राजनाथ सिंह और गृहमंत्री,अमित शाह ने देश को बरगलाने और बहकाने का झूठा प्रयास किया। कपटी मोदी सरकार का देश में आंख में धूल झोंकने का यह षडयंत्रकारी प्रयास कभी कामयाब नहीं होगा। सच्चाई यह है कि मोदी सरकार ने आज तक भी ‘वन रैंक, वन पेंशन’ लागू नहीं की। कांग्रेस-यूपीए सरकार द्वारा 26 फरवरी, 2014 (संलग्न A1) का ‘वन रैंक, वन पेंशन’ देने वाला आदेश लागू नहीं किया। आईये मोदी सरकार की झूठ को जानेंः

1. 2004 से 2012 के बीच कांग्रेस सरकार ने तीन अवसरों पर भूतपूर्व सैनिकों की पेंशन में वृद्धि की, जिसके कारण 7000 करोड़ रु. का कुल वित्तीय आउटफ्लो हुआ। इससे भूतपूर्व सैनिकों को फायदा हुआ और पेंशन का अंतर कम हुआ।

2. 17 फरवरी 2014 को उस समय कांग्रेस के मंत्री पी. चिदंबरम ने 1 अप्रैल 2014 से ‘वन रैंक, वन पेंशन’ स्वीकार करने की घोषणा की।

3. 26 फरवरी, 2014 को ‘वन रैंक, वन पेंशन’ का आदेश कांग्रेस-यूपीए सरकार द्वारा जारी कर दिया गया (संलग्नक A1)।

कांग्रेस-यूपीए सरकार द्वारा दिए गए ‘वन रैंक वन पेंशन’ का मतलब साफ है, कि सशस्त्र बलों में एकसमान समय तक सेवा करने के बाद एक ही रैंक से रिटायर होने वाले सभी कर्मचारियों को एकसमान पेंशन दी जाए, फिर चाहे उनकी रिटायरमेंट की तारीख अलग अलग क्यों न हो, और भविष्य में पेंशन में की जाने वाली कोई भी वृद्धि का लाभ स्वतः ही पुराने पेंशनग्राहियों को भी मिले। इसलिए वन रैंक, वन पेंशन में बराबरी का सिद्धांत एकमत से स्वीकार कर लिया गया।

4. मोदी सरकार ने 07 नवंबर, 2015 को नया आदेश निकाल सेना के 30-40 प्रतिशत लोगों से ‘वन रैंक, वन पेंशन’ पूरी तरह से छीन ली। सेना के जवान और जेसीओ रैंक के अधिकांश लोग 30 साल की सेवा के बाद रिटायर हो जाते हैं। OROP का लाभ उनको नहीं मिलेगा। 07 नवंबर, 2015 के मोदी सरकार के नोटिफिकेशन की क्लॉज़ 4 के मुताबिक 20 साल के बाद स्वेच्छा से सेवा निवृत्ति लेने वाले लोगों को OROP का लाभ नहीं दिया जाएगा।

Clause 4 of the 7th November, 2015, notification states that, “4. Personnel who opt to get discharged henceforth on their own request under Rule 13(3)1(i) (b),13(3)1(iv) or Rule 16B of the Army Rule 1954 or equivalent Navy or Air Force Rules will not be entitled to the benefits of OROP.”

5. यही नहीं, मोदी सरकार द्वारा शर्त लगा दी गई कि हर 5 साल बाद पेंशन पर पुनर्विचार होगा। 30 लाख सैनिकों की मांग थी कि यह हर साल हो, ताकि 5साल तक एक समान सेवा करने वाले, एक रैंक से रिटायर होने वाले सैनिकों की पेंशन अलग-अलग न हो। पर अब लगता है कि सरकार उस 5 साल की शर्त से भी मुकर गई है और इसे 10 साल करने की तैयारी में है। अगर 5 साल बाद पुनर्विचार होगा, तो ‘OROP’ फिर ‘वन रैंक, 5 पेंशन’ बन जाएगी। अगर 10 साल बाद पुनर्विचार होगा, तो ‘OROP’ फिर ‘वन रैंक, दस पेंशन’ बन जाएगी।

6. मोदी सरकार की 29 अक्टूबर, 2020 की प्रस्तावना, जिससे सैन्य अफसरों की ‘आधी पेंशन’ काटी जा रही है, तो पूरी तरह से ‘वन रैंक, वन पेंशन’ के सिद्धांत को खत्म ही कर देगी। जब पेंशन ही आधी रह जाएगी, तो फिर OROP मिलेगी कैसे। 30 लाख सैनिकों से धोखा करने की बजाय मोदी सरकार को कांग्रेस-यूपीए सरकार का 26 फरवरी, 2014 का आदेश लागू करना चाहिए तथा 01 अप्रैल, 2014 से सेना में एक समान सेवा करने वाले और एक ही रैंक से रिटायर होने वाले सभी सैनिकों को एक समान पेंशन देनी चाहिए।

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