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मोदी सरकार ने 24 लाख युवाओं के अरमानों का गला घोंटने का काम किया


अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
नई दिल्ली:कांग्रेस ने नीट परीक्षा घोटाले को लेकर केंद्र की मोदी सरकार को महत्वपूर्ण सवालों के साथ फिर से घेरा है। कांग्रेस ने कहा कि मोदी सरकार नीट घोटाले की लीपापोती कर 24 लाख बच्चों के भविष्य को अंधकार में डाल रही है। कांग्रेस ने अपनी मांगें रखते हुए कहा कि इस घोटाले की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में स्वतंत्र फोरेंसिक जांच हो और इलेक्टोरल बॉन्ड्स की तरह ही नीट परीक्षा से जुड़ी तमाम जानकारियां सार्वजनिक पटल पर रखी जाएं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने एक्स पर पोस्ट कर सवाल उठाते हुए कहा, मोदी सरकार ने शिक्षा मंत्री व एनटीए द्वारा नीट घोटाले की लीपापोती चालू कर दी है। अगर नीट में पेपर लीक नहीं हुआ तो बिहार में 13 आरोपितों को पेपर लीक के चलते गिरफ्तार क्यों किया गया। क्या रैकेट में शामिल शिक्षा माफिया व संगठित गिरोह को पेपर के बदले 30-50 लाख रुपये तक के भुगतान का पटना पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई ने पर्दाफाश नहीं किया। क्या गुजरात के गोधरा में नीट-यूजी में धोखाधड़ी करने वाले रैकेट का भंडाफोड़ नहीं हुआ है। जिसमें कोचिंग सेंटर चलाने वाले एक व्यक्ति, एक शिक्षक और एक अन्य व्यक्ति समेत तीन लोग शामिल हैं और गुजरात पुलिस के अनुसार आरोपियों के बीच 12 करोड़ रुपये से अधिक का लेन-देन सामने आया है। अगर मोदी सरकार के मुताबिक नीट में कोई पेपर लीक नहीं हुआ तो ये गिरफ्तारियां क्यों हुईं। इससे क्या निष्कर्ष निकला। क्या मोदी सरकार देश की जनता की आंखों में पहले धूल झोंक रही थी या अब। खरगे ने कहा, मोदी सरकार ने 24 लाख युवाओं के अरमानों का गला घोंटने का काम किया है। नीट में 24 लाख युवा डॉक्टर बनने के लिए परीक्षा देते हैं,जिसमें वो एक लाख मेडिकल सीटों के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं। इन एक लाख सीटों में से करीब 55 हजार सरकारी कॉलेजों की सीटें हैं,जहां एससी,एसटी, ओबीसी, ईडब्ल्यूएस वर्गों के लिए आरक्षण है। इस बार मोदी सरकार ने एनटीए का दुरुपयोग कर अंकों और रैंकों की जोरदार धांधली की है, जिससे आरक्षित सीटों का कट ऑफ भी बढ़ गया है। ऐसा प्रतीत होता है कि गुणवान छात्रों को रियायती दरों में सरकारी दाखिले से वंचित करने के लिए ग्रेस मार्क्स, पेपर लीक और धांधली का खेल खेला गया।वहीं नई दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकार वार्ता करते हुए मीडिया एवं प्रचार विभाग के चेयरमैन पवन खेड़ा ने कहा, नीट परीक्षा के माध्यम से देश के 24 लाख बच्चों के भविष्य पर पानी फेर दिया गया है। पिछले आठ साल में केवल सात ऐसे छात्र थे, जो पूरे अंक लाए। लेकिन इस साल 67 छात्र पूरे अंक लेकर आए। इस पर शिक्षा मंत्री का कोई जवाब नहीं है। जब बिहार में पुलिस ने पेपर लीक के मामले में कुछ लोगों को पकड़ा और गुजरात के गोधरा में भी ऐसा मामला निकला, तब ये घोटाला सामने आया।खेड़ा ने कहा, नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने कोर्ट में लीपापोती की पूरी कोशिश करते हुए कहा कि हमने टाइम लॉस की वजह से 1563 बच्चों को ग्रेस मार्क्स दिए और सुप्रीम कोर्ट के एक जजमेंट को कोट किया। जजमेंट को कोट करते हुए एनटीए ने कहा कि अगर बच्चों को टाइम लॉस होता है तो वह कैलकुलेट करके उन्हें ग्रेस मार्क्स दिए जाते हैं। जबकि उसी जजमेंट में स्पष्ट लिखा है कि इंजीनियरिंग और मेडिकल इस कैटेगरी में नहीं आते। उन्हें टाइम लॉस पर ग्रेस मार्क नहीं दे सकते। अब सोचिए कि यह सरकार किस स्तर पर गिरकर लीपापोती कर सकती है। 24 लाख बच्चों के भविष्य को अंधकार में डाल सकती है। उन्होंने कहा, जानबूझ कर नीट परीक्षा का परिणाम 14 जून के स्थान पर चुनावी नतीजों वाले दिन चार जून को घोषित किया गया, यह सोचकर कि सभी चुनाव के नतीजों में व्यस्त रहेंगे और कोई बड़ा विवाद पैदा नहीं होगा। अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार ग्रेस मार्क्स तो हटा दिए गए, लेकिन 24 लाख बच्चों के सवालों के जवाब शिक्षा मंत्री नहीं दे रहे हैं। खेड़ा ने कहा, आज की सरकार में प्रधानमंत्री, शिक्षा मंत्री, गृह मंत्री कोई जवाबदेही नहीं देना चाहता है। कांग्रेस की मांग है कि इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी चुप्पी तोड़ें। 580 से ज्यादा अंक पाने वाले छात्रों के परीक्षा केंद्रों के नाम जारी किए जाएं। नीट के टॉपर्स के अंकों का मिलान 12वीं कक्षा की बोर्ड की परीक्षा के मार्क्स से किया जाए। जिन परीक्षा केंद्रों पर औसत से ज्यादा हाई मार्क्स वाले परीक्षार्थी हैं, उनकी वीडियो रिकॉर्डिंग भी जारी की जाए। उन तमाम बच्चों की सूची जारी की जाए, जिन्होंने दो दिन के लिए खोली गई विंडो का लाभ उठाते हुए अपने परीक्षा केंद्र बदले। खेड़ा ने कहा, जिस तरह इलेक्टोरल बॉन्ड्स की विस्तृत जानकारी सार्वजनिक हुई थी, उसी तरह से नीट परीक्षा से जुड़ी तमाम जानकारियां सार्वजनिक पटल पर रखी जाएं। ताकि किसी के मन में कोई सवाल न रहे, क्योंकि ये 24 लाख बच्चों के भविष्य का सवाल है।

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