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मोदी सरकार के पास कोरोना महामारी से निपटने की कोई रणनीति नहीं है और घटती अर्थव्यवस्था – कांग्रेस -देखें वीडियो

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: कांग्रेस प्रवक्ता श्रीमती सुप्रिया श्रीनेत ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि सच तो यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी जो बहुत सीना चौड़ा करके कोरोना से लड़ने की बात करते थे, वह इस महामारी के सामने तो पूरी तरह से विफल हुए ही हैं, उन्होंने अर्थव्यवस्था का भी बँटाधार कर दिया है।कोरोनावायरस संक्रमण के मामलों में ना सिर्फ भारत विश्व के दूसरे स्थान पर है पर इसका प्रबंधन विचलित करने वाला है। आज देश में लगभग 74 लाख संक्रमण के मामले हैं और क़रीब 1,12,000 से ऊपर मौतें हो चुकी हैं। मोदी सरकार ने लगातार कोरोना के आंकड़ों को लेकर भ्रमित करने का काम किया है सच तो यह है कि भारत में मृत्यु की दर पडोसी देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान जैसे देशों से दुगनी है और श्रीलंका जैसे हमारे पड़ोसी देश के मुकाबले आठ गुना है और इसका हमारी जनसंख्या से कोई लेना देना नहीं है. किस मुँह से यह सरकार effective Corona प्रबंधन की बात करती है?

पिछले कुछ दिनों में बड़े ही परेशान करने वाले आर्थिक आंकड़े सामने आए हैं. IMF ने कहा है कि भारत में इस वित्तीय वर्ष में आर्थिक वृद्धि की अनुमानित दर में लगभग 10.3 प्रतिशत संकुचन होगा, जो कि IMF के पहली अनुमानित 4.5 प्रतिशत संकुचन से बहुत अधिक है. IMF के आँकड़ों के मुताबिक़ भारत विश्व की सबसे तेज़ी से गिरने वाली अर्थव्यवस्था होगी।

Change in Real GDP Growth in 2020(IMF)

India -10.3

UK -9.8

France -9.8

S.Africa -8

Germany -6

Brazil -5.8

USA -4.3

Australia -4.2

Russia -4.1

Indonesia -1.5

China +1.9

जिस देश को अमित शाह दीमक कहते नहीं थकते थे, उस देश ने आज हमें ही आर्थिक मामलों में पछाड़ दिया है। यह सच है कि बांग्लादेश का Per Capita GDP मतलब प्रति व्यक्ति आय आज भारत से आगे है. इसका मोटा-मोटा मतलब यह है कि एक आम बांग्लादेशी आज एक आम भारतवासी से ज्यादा संपन्न है. बांग्लादेश का Per Capita GDP $1888 है जबकि भारत का $1876 है। मुद्दे की बात तो यह है कि मात्र पाँच साल पहले भारत का यही आँकड़ा बांग्लादेश से लगभग 25 प्रतिशत अधिक होता था पर हैरानी वाली बात तो यह है कि बजाए सारा ध्यान केंद्रित करके अर्थव्यवस्था को संभाला जाए, मोदी सरकार झूठ और भ्रांतियां फैलाने पर तुल गई है और मुद्दे पर पर्दा डालने की विफल कोशिश में उलझी हुई है। सरकारके तमाम प्रवक्ता, पार्टी के शीर्ष नेता, पूरी की पूरी सोशल मीडिया आर्मी और तथाकथित पीएमओ के सूत्र अब यह कह रहे हैं कि Per Capita GDP भले बांग्लादेश का हम से अधिक हो लेकिन Purchasing Power Parity में भारत बांग्लादेश से आगे है। इससे बड़ी विडंबना इससे बड़ी विडंबना दूसरी क्या होगी किस तरह का दुष्प्रचार करके ध्यान बांटा जा रहा है क्योंकि Purchasing Power Parity किसी भी देश की मुद्रा की असली कीमत होती है और वह भी विकसितदेश की मुद्रा जैसे कि यूरो या डॉलर के मुकाबले।

जबकि Per Capita GDP ही वाकई में किसी भी देश के लोगों की समृद्धि उनकी संपन्नता का वास्तविक मानक होता है। Per Capita GDP का मतलब होता है कि कोई भी व्यक्ति अपने ही देश में अपनी मुद्रा से क्या और कितना खरीद सकता है और इससे उस देश में उसकी संपन्नता का अंदाजा लगाया जा सकता है।अब भारत अपने पड़ोसी देशों के मुकाबले चौथे स्थान पर आ गया है आम लोगों की संपन्नता के मामले में शीर्ष स्थान पर श्रीलंका फिर मालदीव, बांग्लादेश और अब चौथे स्थान पर भारत है। पर मोदी सरकार सिर्फ जबानी जमा खर्च दुष्प्रचार व्हाट्सएप के माध्यम से गलत सूचना और इसी तरह के काम करने में मशगूल है जबकि उनका सारा का सारा ध्यान इस समय अर्थव्यवस्था को बचाने और नौकरियां उत्पन्न करने पर होना चाहिए। सच तो यह है कि तथाकथित दीमक ने हर तरफ से ध्यान हटाकर अपना ध्यान अपनी अर्थव्यवस्था पर केंद्रित किया और मोदी सरकार ने सुर्खियां बटोरने, अपने बारे में धारणा बनाने में ही बीता जा रहा है। एक जमाना था जब बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था हम पर निर्भर थी पर आज जरूरत है कि हम इस छोटे से देश से कुछ महत्वपूर्ण सबक सीखें। कुछ आंकड़े आपके सामने जरूर रखना चाहते हैं बांग्लादेश का बेरोजगारी का दर मात्र 4.5 प्रतिशत है, वह सबसे तेजी से आर्थिक विकास करने वाले 7 देशों में लगातार बना हुआ है, और गौरतलब बात यह है कि बांग्लादेश का जो गारमेंट एक्सपोर्ट है मतलब कपड़े का निर्यात है वह करीब 32 बिलियन डॉलर है जो कि हमारे कपड़े के निर्यात से लगभग चार गुना है। विडंबना यह भी है कि जब अमेरिका और चीन की ट्रेड वॉर चल रही थी तब बांग्लादेश वियतनाम और मेक्सिको जैसे देशों ने उसका बड़ा लाभ उठाया और हमारी सरकार ने अपनी विफलताओं, गलत नीतियों के चलते निर्यात क्षेत्र को कुंठित करके रख दिया, हम उस व्यापार युद्ध का एक तिनका लाभ भी नहीं उठा पाए।

इसका सीधा कारण है सरकार की विफल नीतियां और आर्थिक मंदी से जूझने के लिए एक व्यापक रणनीति का ना होना। आज भी सरकार यह नहीं समझ रही है कि हमारी अर्थव्यवस्था को सुचारू रूप से पटरी पर लाने के लिए सबसे पहले उपभोग बढ़ाना पड़ेगा और वह एलटीसी वाउचर से नहीं बढ़ेगा वह बढ़ेगा जब आप गरीबों के हाथ में पैसा रखेंगे। डायरेक्ट कैश ट्रांसफर के अलावा आज कोई और उपाय सरकार के पास नहीं है लेकिन सरकार यह नहीं कर रही है। आज जरूरत है की मांग बढ़ाई जाए, पर उसको छोड़ कर बाकी सब कुछ करने के लिए तैयार है सरकार। और सबसे जरूरी बात तो यह है की मांग के ना होने के बावजूद आज महंगाई निरंतर बढ़ती जा रही है। अभी ध्वस्त अर्थव्यवस्था से लोग जूझ ही रहे थे कि अब महंगाई भी लोगों की कमर तोड़ रही है। सितंबर महीने का रिटेल इन्फ्लेशन 7.43 प्रतिशत पर RBI के टारगेट से तो बहुत ऊंचा है ही पर दिक्कत की बात यह है कि यह बढ़त खाने की सामग्री के दामों में जबरदस्त उछाल के कारण आई है। सब्जियों के दाम में लगभग 21 प्रतिशत उछाल हुई है और दाल के दाम लगभग 15 प्रतिशत महंगे हुए हैं। इसके बारे में सरकार की कौन सी नीति है और जो सरकार बिचौलियों को खत्म करने की बात करती है, वह हाथ पर हाथ धरे क्यों बैठी है क्योंकि लोगों ने ना सिर्फ नौकरी खोई ही हैं, ना सिर्फ उनका वेतन काम हुआ है पर अब दैनिक जीवन की चीजें भी महंगी होती जा रही हैं, पर मोदी सरकार की सेहत पर इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता है।

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