अजीत सिन्हा / नई दिल्ली
आज देश के राजनैतिक, सामाजिक, आर्थिक, प्रजातांत्रिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक और समावेशीय विकास को ‘‘संक्रमण काल के घनघोर अंधियारे’’ में मोदी सरकार ने धकेल दिया है। पिछले 31 साल में थोक महंगाई सबसे ऊँचे पायदान पर है। खाने-पीने की वस्तुओं की कीमतें भीषण गर्मी की तरह जनता के बजट को झुलसा रही हैं और कालाबाजारियों व जमाखोरों की पौ-बारह हो गई है। लोगों की जमापूंजी तक लुट चुकी है और देश के बैंकों को लूट कर लुटेरे सरकारी संरक्षण में विदेश भाग रहे हैं। 70 साल में बनाई देश की विरासत, सरकारी कंपनियों को कौड़ियों के भाव मुट्ठीभर धन्ना सेठों को दिया जा रहा है।
o देश के 84 प्रतिशत लोगों की आमदनी तो घट गई, देश के अन्नदाता किसान की आमदनी मात्र ₹27 प्रतिदिन रह गई,
o देश में 60 लाख छोटे व लघु उद्योगों पर ताला लग गया,
o 12 करोड़ लोगों का रोजगार चला गया, महंगाई ने लोगों के घरों के चूल्हे बुझा दिए,
o करोड़ों युवा बेरोजगारी की दलदल में धकेल दिए गए
पर… 142 सबसे अमीरों की आय एक साल में ₹ 30 लाख करोड़ बढ़ गई, और … कुछ ‘‘मोदी मित्रों’’ की आय तो प्रतिदिन ₹ 1,000 करोड़ की दर से बढ़ रही है,
मगर…
इन विकट मुसीबतों में कांग्रेस का दीपक भाजपा के अंधियारे के खिलाफ उजाले की लड़ाई लड़ रहा है,
दीपक का संकल्प है कि वो लड़ाई सूर्य की पहली किरण तक लड़ेगा, जब तक अंधेरे का अंत न हो,
वो दीपक है, ‘‘राहुल गांधी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस’’।
आज हम समूचे देश की जनता से आग्रह करते हैं कि वो संघर्षशील और सत्यनिष्ठ नेता राहुल गाँधी व कांग्रेस का साथ दें, जिसने प्रत्येक प्रतिकूल परिस्थिति में निडरता और निर्भीकता से लोगों की लड़ाई लड़ी और सरकार को लोगों के प्रति जवाबदेह बनाया।
वो लड़ाई क्या है:-
1 ) मोदी सरकार ने सत्ता संभालते ही जब किसानों की ज़मीन हड़पने का अध्यादेश लाया, तब सड़क से सदन तक किसानों के लिए राहुल गाँधी व कांग्रेस ने लोहा लिया तथा सरकार को झुकाया। अध्यादेश वापस लेना पड़ा।
2) जब नोटबंदी के काले कानून से सारे छोटे व्यापारियों के उद्योग धंधे बंद करके, लोगों को बैंकों की लाइन में लगाकर तड़पाया। बैंक में पैसे होने के बावज़ूद लोगों के बच्चों ने पैसे और दवाई के अभाव में दम तोड़ा। इतना ही नहीं, लोगों ने बैंकों की लाइन तक में दम तोड़ दिया, तब भी, राहुल गाँधी कांग्रेस के वो नेता थे, जो न सिर्फ़ मोदी सरकार को आर्थिक तबाही के लिए आगाह कर रहे थे, अपितु सड़कों पर नोटबंदी के घोटाले के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे थे ।
3) जब एक गलत जीएसटी को लागू किया गया और दुकानदार तथा व्यापार पर चोट पहुंचाई, तब भी कांग्रे के नेता राहुल गाँधी थे जो मुखरता से भारत के उद्योग धंधों और अर्थव्यवस्था की लड़ाई लड़ रहे थे।
4) जब देश के पोर्ट, एयरपोर्ट, डिफेंस के ठेके, भेल सेल, खेल, तेल सब मुट्ठी भर धन्ना सेठों को कौड़ियों के भाव दिए जा रहे थे तब भी देश हित में दृढ़ता से उठने वाली एक ही आवाज़ थी और वो आवाज़ थी कांग्रेस के राहुल गाँधी।
5) जब देश पर कोरोना महामारी का संकट मंडरा रहा था और मोदी सरकार लाखों लोगों की जान जोखिम में डालकर नमस्ते ट्रंप कर रही थी, लिट्टी चोखा खा रही थी, तब भी राहुल गांधी एक मात्र नेता थे जो न सिर्फ़ इन गलतियों के लिए आगाह कर रहा था बल्कि भविष्य की राह भी बता रहा था।
6) जब देश के करोड़ों मज़दूरों को महामारी की विभीषिका में दरबदर की ठोकरें खाने को मजबूर किया गया था, तब भी उनके बीच मरहम लगाने के लिए कांग्रेस के कार्यकर्ता और राहुल गांधी खड़े थे।
7) जब देश के लोगों को दवाइयों के और ऑक्सीजन के अभाव के बीच तिल-तिल कर मरने के लिए छोड़ दिया गया था, तब भी कांग्रेस के अग्रिम संगठनों के साथ कंधे से कंधा मिला एकमात्र नेता था, जो लोगों की सुध ले रहा था और नागरिकों के लिए मुफ़्त टीकाकरण की आवाज़ बुलंद कर रहा था- राहुल गाँधी।
8) महामारी के बाद छोटे उद्योगों और लोगों को प्रतिमाह ₹ 6000 दे मदद की गुहार लगाने वाले भी कांग्रेस नेता और उसके नेता राहुल गाँधी थे।
9) हाथरस में दलित की बेटी से बर्बरता हो, किसान आंदोलन में 700 किसानों की शहादत हो या लखीमपुर में सत्ता की सरपरस्ती में किसानों को रौंदा गया हो, सड़क पर कांग्रेस और राहुल गांधी ने लड़ाई लड़ी।
देश की जनता की लड़ाई मुखरता से लड़ना मोदी सरकार को रास नहीं आ रहा। आज सत्ता के अन्याय का अंधकार हरसंभव कोशिश कर रहा है कि वो कांग्रेस के दिये की रोशनी को प्रभावित कर अपने अंधकार का साम्राज्य फैला ले।
पर जिसके साथ करोड़ों लोगों का आशीर्वाद हो और स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास हो, वह दिया नहीं बुझ सकता। सत्ता में मदमस्त हुक्मरानों को सबक सिखाना है कि हम न डरेंगे, न झुकेंगे।