अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
चंडीगढ़:भारतीय जनता पार्टी हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ ने आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) द्वारा किसानों के लिए 3,70 लाख करोड़ रुपये के विशेष पैकेज की घोषणा का स्वागत करते हुए प्रधानमंत्री का आभार जताया है। धनखड़ ने कहा कि मोदी सरकार की यह घोषणा ऐतिहासिक है और निश्चित तौर इससे देश के किसान समृद्ध और सशक्त बनेंगे तथा प्रधानमंत्री मोदी के आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करेंगे। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि कृषि क्षेत्र हमारी अर्थव्यवस्था का आधार है, हमारे देश की रीढ़ है। प्रधानमंत्री मोदी ने कृषि को प्राथमिकता पर लेकर इस क्षेत्र को कई नए आयामों से जोडऩे का प्रयत्न किया है जो सराहनीय है।
धनखड़ ने कहा कि मोदी ने किसानों के समग्र कल्याण और आर्थिक बेहतरी के लिए किसानों को योजनाओं की यह सौगात भेंट की है। सरकार की इस पहल से किसानों की आय बढ़ेगी, प्राकृतिक/ ऑर्गेनिक खेती को मजबूती मिलेगी, भूमि की उत्पादकता का कायाकल्प होगा और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होगी। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि इससे पहले मोदी सरकार ने 38 हजार करोड़ खरीफ मौसम की फसलों के लिए मंजूर किए थे। यह पैकेज उससे अलग है।धनखड़ ने कहा कि लगातार बदलती भू-राजनीतिक स्थिति और कच्चे माल की कीमतों में वृद्धि के कारण, वर्षों से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर फर्टिलाइजर की कीमतें कई गुना बढ़ी है, लेकिन मोदी सरकार ने फर्टिलाइजर सब्सिडी बढ़ाकर अपने किसानों को फर्टिलाइजर कीमतों में भारी वृद्धि होने से बचाने का काम किया है। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि धरती माता ने हमेशा मानव जाति को भरपूर मात्रा में जीविका के स्रोत प्रदान किए हैं। यह समय की मांग है कि खेती के अधिक प्राकृतिक तरीकों और रासायनिक उर्वरकों के संतुलित और सतत उपयोग को बढ़ावा दिया जाए। इससे विशेष पैकेज से प्राकृतिक, ऑर्गेनिक खेती, वैकल्पिक फर्टिलाइजर, नैनो फर्टिलाइजर और जैव फर्टिलाइजर को बढ़ावा देने से हमारी धरती माता की उर्वरता को बहाल करने में मदद मिलेगी।धनखड़ ने कहा कि यूरिया की वास्तविक कीमत 2200 रुपये प्रति बैग है लेकिन मोदी सरकार किसानों के हित में इसे 242 रुपये प्रति 45 किलो ग्राम यूरिया की बोरी दे रही है। यूरिया सब्सिडी योजना के जारी रहने से यूरिया का स्वदेशी उत्पादन भी अधिकतम होगा। मोदी सरकार ने उर्वरक सब्सिडी बढ़ाकर अपने किसानों को अधिक कीमतों से बचाया है।प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि 2026 तक भारत यूरिया के मामले में आत्मनिर्भर हो जाएगा। यूरिया का स्वदेशी उत्पादन 2014-15 के 225 एलएमटी के स्तर से बढ़कर 2021-22 के दौरान 250 एलएमटी हो गया है। 2022-23 में उत्पादन क्षमता बढ़कर 284 एलएमटी हो गई है। नैनो यूरिया संयंत्र के साथ मिलकर ये यूनिट यूरिया में हमारी वर्तमान आयात पर निर्भरता को कम करेंगे और 2025-26 तक हम आत्मनिर्भर बन जाएंगे। यह पैकेज पराली जलाने की समस्याओं का समाधान करने में सहायता होगा और साथ ही किसानों को आय का एक अतिरिक्त स्रोत भी मिलेगा।
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