अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
किलोई: सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर सेक्टर- 3 के सामुदायिक केंद्र में गढ़ी – सांपला-किलोई हलके की बूथ कमेटियों की बैठक लीऔर कार्यकर्ताओं को जीत का मंत्र दिया। इस अवसर पर उन्हों कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित करते हुए बूथ कमेटी सदस्यों को आज से ही युद्ध स्तर पर चुनावी तैयारियों में जुटने और वोट पड़ने तक अपना बूथ संभालने का निर्देश दिया। दीपेन्द्र हुड्डा ने प्रत्येक बूथ कमेटी से हर बूथ में पिछले बार पड़े वोट से 100 वोट बढ़ाने के लिए काम करने का आवाहन किया। उन्होंने कहा कि हरियाणा ने करवट ले ली है, प्रदेश में बदलाव का माहौल है। उन्होंने गठबंधन सरकार को चुनौती देते हुए ऐलान किया कि इस बार 90 में से 1 सीट पर भी जेजेपी की जमानत नहीं बचेगी। लोग भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में और उदयभान की अध्यक्षता में कांग्रेस पार्टी की सरकार बनाना चाहते हैं। हम पूरी ताकत से लड़ेंगे और पूरे हरियाणा में जीतेंगे।
उन्होंने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि हरियाणा में 15 जनवरी से ‘घर-घर कांग्रेस, हर घर कांग्रेस’ अभियान शुरू हो रहा है। सभी कांग्रेस कार्यकर्ता हर घर में हर मतदाता तक पहुँच कर कांग्रेस पार्टी के संकल्पों के बारे में बताएं। इसके साथ ही केंद्र में UPA के 10 साल व प्रदेश में हुड्डा जी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के ऐतिहासिक फैसलों/उपलब्धियों और मौजूदा केंद्र में भाजपा व प्रदेश में BJP-JJP सरकार की वादाखिलाफियों और ऐतिहासिक विफलताओं के बारे जागरूक करें। दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि जो राज्य 2014 के पहले विकास में नंबर 1 पर था, वो आज बेरोजगारी, महंगाई, भ्रष्टाचार, नशे, अत्याचार में नंबर 1 पर पहुंच गया। 2019 चुनाव के समय भी लोग बीजेपी सरकार से खुश नहीं थे और इनके भ्रष्टाचार, नाकामियों से परेशान हो चुके थे। इसलिये सरकार और पार्टी दोनों को हराकर वापस भेज दिया। हरियाणा की जनता ने 14 में से 12 मंत्रियों को हरा दिया और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला को बड़े अंतर से चुनाव हराया। 2019 में बीजेपी सरकार भी हार गयी और बीजेपी पार्टी भी हार गयी। कांग्रेस और भाजपा के बीच केवल 3900 वोट का अंतर था। लेकिन जेजेपी ने अपने मतदाता से धोखा करके फिर से बीजेपी सरकार बना दी। हरियाणा सरकार लोगों के विश्वास से नहीं विश्वासघात से बनी। इनका समझौता 5100 रुपये बुढ़ापा पेंशन का नहीं, भ्रष्टाचार और हरियाणा को डबल इंजन से मिलकर लूटने का समझौता था। दीपेन्द्र हुड्डा ने पिछले 10 साल में इस इलाके की उपेक्षा होने पर दु:ख जताते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार नहीं होने से दिल्ली के नजदीक इस पूरे इलाके को काफी नुकसान हो गया। 2019 के चुनाव में भी साम, दाम, दंड, भेद का प्रयोग कर भाजपा ने सारे चक्रव्यूह रचे। मेरा यही कसूर रहा कि किसान आंदोलन हो या खिलाड़ी बेटियों के मान-सम्मान की लड़ाई हो मैंने पूरी ईमानदारी से अपना फर्ज निभाया। ये लड़ाई हरियाणा के भविष्य को बचाने की लड़ाई है। उन्होंने क्षेत्र में कराए गए विकास कार्यों को बताते हुए कहा कि चाहे चाहे सत्ता में रहे हों या विपक्ष में हमने इलाके के विकास के लिए दर्जनों बड़ी परियोजनाएं मंजूर कराई और उन्हें पूरा कराया। रोहतक से बीजेपी के लोकसभा सांसद बताएं 5 साल में क्या किया। उन्होंने कहा कि रोहतक लोकसभा पूरे देश में अकेला ऐसा लोकसभा क्षेत्र है, जहां देश के पांच सबसे प्रतिष्ठित उच्च शिक्षण संस्थान आईआईटी, एम्स-2, आईआईएम, एफडीडीआई और आईएचएम मौजूद हैं। 2004 से 2014 के बीच यहां शिक्षा के 48 संस्थान बने। पूरे रोहतक लोकसभा में 257 स्कूल अपग्रेड हुए, 5 नये विश्वविद्यालय, 18 नये सरकारी कॉलेज, 18 नयी सरकारी आईटीआई, 8 नये सरकारी पॉलिटेक्निक, 2 नये केंद्रीय विद्यालय, 2 नये इंजीनियरिंग कॉलेज, 120 नए खेल स्टेडियम (1 राष्ट्रीय, 3 राज्य स्तरीय), 2 साई खेल प्रशिक्षण केंद्र (भारत सरकार), 4 सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल बने, गाँव और शहरों में 68 नए अस्पताल बनवाए। इसी प्रकार 1 नयी मेट्रो लाइन (बहादुरगढ़), 4 नयी ट्रेनें (रोहतक शताब्दी आदि), 2 नयी रेलवे लाइन (230 किमी,)20 रेलवे ओवरब्रिज (आरओबी), 3 नयी आईएमटी – रोहतक, MET झज्जर, फुटवियर पार्क बहादुरगढ़ लगी। युवाओं को रोजगार दिलाने के लिए 30 से ज्यादा नये उद्योग जिनमें मारुति, एशियन पेंट्स, पैनासोनिक, योकोहामा, डेंसो आदि आये, 2 नया थर्मल पावर प्लांट (झड़ली, खानपुर), 30706 गरीब परिवारों को मुफ्त प्लॉट दिलवाए, गांवों में 718 पेयजल परियोजनाएं, 1080 किमी के 12 राष्ट्रीय राजमार्ग मंजूर कराये। दीपेन्द्र हुड्डा ने मौजूदा सांसद पर सवाल उठाते हुए पूछा कि रोहतक में कोई बड़ी और नयी परियोजनाएं लाना तो दूर, एक नया स्कूल भी बनवाया हो तो बताएं। बीजेपी सांसद तो हमारे द्वारा मंजूर करायी गयी बड़ी परियोजनाएं जैसे इंटरनेशनल एयरपोर्ट, बाढ़सा के 10 संस्थान, रेल कोच फैक्ट्री को बचाने के लिए संसद में एक आवाज़ तक नहीं उठा सके।
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