अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
गुरुग्राम:संगीत प्रकृति के कण-कण में विद्यमान है। संगीत कला से हमें जीवन में अनुशासन, परस्पर सहयोग और सही निर्णय लेने की प्रेरणा मिलती है। संगीत बिना बोले अपने विचारों को अभिव्यक्त करने की क्षमता रखता है। स्थानीय सेक्टर- 14 स्थित राजकीय कन्या महाविद्यालय के सभागार में सूचना, जनसंपर्क एवं भाषा विभाग की ओर से आयोजित सुरों की महफिल कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित एडीसी हितेश कुमार मीणा ने अपने ये विचार व्यक्त किए। इस कार्यक्रम में सुप्रसिद्ध संगीतज्ञ पं. सुभाषचंद्र घोष ने नवस्वर रागिनी वीणा पर शास्त्रीय संगीत की स्वर लहरियां छेडक़र श्रोताओं को मदमस्त कर दिया। मुख्य अतिथि ने देवी सरस्वती की प्रतिमा के आगे दीप प्रज्जवलित कर इस महफिल का आगाज किया। उनके साथ कालेज प्राचार्य डा. जितेंद्र मलिक व जिला सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी बिजेंद्र कुमार मौजूद रहे।
एडीसी हितेश कुमार मीणा ने इस मौके पर कहा कि विद्यार्थी को अपने जीवन का लक्ष्य निर्धारित कर पूरे जी-जान से उसे हासिल करने का प्रयत्न करना चाहिए। किसी प्रकार की कोई कठिनाई सामने आती है तो बगैर भय और चिंता के उसका सामना करना चाहिए। एडीसी हितेश कुमार मीणा ने पं. सुभाष चंद्र घोष व उनके साथी कलाकार सुरेश शर्मा, यूनूस हुसैन खान को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। कालेज प्राचार्य डा. जितेन्द्र मलिक ने अतिथिगण का स्वागत करते हुए कहा कि भारतीय संगीत जीवन के आत्मिक रस को महत्व देता है, जबकि पश्चिमी संगीत में केवल सौंदर्य बोध है। उन्होंने कहा कि संगीत की शास्त्रीय विधा मनुष्य को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाती है। कार्यक्रम में पं. सुभाषचंद्र घोष ने श्रीराम वंदना, राग यमन एवं राग बसंत की धुन सुनाकर श्रोताओं को आत्म विभोर कर दिया। इस अवसर पर संगीत विभाग की प्रमुख डा. ललिता सहगल ने अतिथियों का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर लोकेश शर्मा, कुमार शुभाशीष पाठक, डा. अनु इंदौरा, डा. रश्मि, डा. निशा हुड्डा, धर्मेंद्र, विकास शर्मा, डा. राधा शर्मा, अंजलि यादव, संगीता, दीपिका इत्यादि उपस्थित रहे।
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