अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रेस्टोरेंट इंडस्ट्री को परमिट राज से मुक्ति दिलाने और नई नौकरियां पैदा करने को लेकर आज दिल्ली सचिवालय में नेशनल रेस्टोरेंट आसोसिएशन आँफ इंडिया (एनआरएआई) के साथ एक अहम बैठक की। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अध्यक्षता में हुई अहम बैठक में रेस्टोरेंट इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए कई ऐतिहासिक फैसले लिए गए। मुख्यमंत्री ने एसोसिएशन के कुछ सुझावों को शीघ्र लागू करने के लिए संबंधित विभागों को निर्देशित किए। साथ ही, दिल्ली सरकार जो नई एक्साइज पाॅलिसी बनाने जा रही है, उसमें रेस्तरां इंडस्ट्री के दिए गए कुछ सुझावों को भी शामिल करने पर फैसला किया गया।सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि रेस्तरां इंडस्ट्री दिल्ली की शान है। दिल्ली में रेस्तरां इंडस्ट्री से लाखों लोगों का रोजगार जुड़ा है। साथ ही इस इंडस्ट्री से बड़े पैमाने पर रोजगार मिल सकता है। इस कारण दिल्ली में हमने इस इंडस्ट्री की राह में आने वाली अड़चन को दूर करना शुरू कर दिया है। कई साल से चले आ रहे परमिट राज को खत्म कर रेस्तरां संचालन की व्यवस्था को सबसे बेहतर बनाने की दिशा में और भी जितने कदम उठाने आवश्यक होंगे, वह दिल्ली सरकार करेगी। इस अहम बैठक में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के अलावा दिल्ली सरकार के ज्यादातर मंत्री, मुख्य सचिव, तीनों एमसीडी, दिल्ली पुलिस लाइसेंस विभाग (डीपीएलडी), दिल्ली पर्याटन विभाग, उत्पाद शुल्क विभाग समेत संबंधित सभी विभागों के अधिकारी मौजूद रहे।
दिल्ली सचिवालय में आज सुबह हुई बैठक में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रेस्टोरेंट इंडस्ट्री को लाइसेंस राज से मुक्ति दिलाने को लेकर एनआरएआई, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया समेत दिल्ली सरकार के सभी मंत्रियों के साथ विचार-विमर्श किया। बैठक में एनआरएआई ने पिछले कई साल से रेस्टोरेंट कारोबार में आ रही समस्याओं को बिंदुवार रखा। एनआरएआई का कहना था कि दिल्ली में रेस्टोरेंट इंडस्ट्री के क्षेत्र में कारोबार करने में कई तरह की दिक्कतें आ रही हैं। उन्हें वैध तरीके से रेस्टोरेंट चलाने के लिए करीब 35 तरह के लाइसेंस लेंने की जरूरत पड़ती है। रेस्टोरेंट संचालकों का कहना है कि नगर निगम भी रेस्टोरेंट संचालक के लिए एक हेल्थ ट्रेड लाइसेंस जारी करता है, जिसे खत्म करने की जरूरत है। उनका कहना है कि इसी संबंध में फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथाॅरिटी आँफ इंडिया (एफएसएसएआई) भी लाइसेंस लाइसेंस जारी करती है और एफएसएसएआई ने नगर निगमों को पत्र लिखा है कि नगर निगम द्वारा लाइसेंस जारी करने का औचित्य नहीं है, क्योंकि वह खुद रेस्टोरेंट की खाद्य सुरक्षा को खुद प्रमाणित करते हैं। रेस्तरां संचालकों का कहना था कि दिल्ली इकलौता राज्य है, जहां रेस्टोरेंट संचालकों को पूुलिस विभाग से ईटिंग हाउस लाइसेंस लेना पड़ता है। रेस्टोरेंट खुदरा व्यापार का एक हिस्सा है और खुदरा प्रतिष्ठान को पुलिस से लाइसेंस लेने की जरूरत नहीं है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रेस्तरां संचालकों को आश्वासन दिया कि इस मामले में उपराज्यपाल से विचार-विमर्श करेंगे। कैबिनेट ने पूर्व में एक आदेश दिया था कि पर्यटन विभाग भी रेस्टोरेंट संचालक के लिए एक लाइसेंस जारी करेगा, इससे रेस्टोरेंट संचालकों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। सीएम ने इसे शीघ्र समाप्त करने का निर्देश दिया है। रेस्टोरेंट संचालकों को अब छह महीने में उत्पाद शुल्क ब्याज सहित देना पड़ता था। रेस्तरां संचालकों का सुझाव था कि इसमें ढील दी जाए , ताकि पर्यटन को बढ़ावा मिल सके। इसके बाद सीएम ने उत्पाद शुल्क को 31 मार्च तक जमा करने की छूट देने का फैसला किया है और उत्पाद शुल्क को बिना किसी ब्याज के तिमाही जमा करने की अनुमति दी गई है। पहले यह नियम था कि रेस्टोरेंट संचालक एक्साइज लाइसेंस के लिए आवेदन तभी कर सकते थे, जब उन्हें सभी विभागों से लाइसेंस मिल जाता था। इससे उन्हें अनुमति मिलने में काफी समय लग रहा था। इसलिए एक्साइज लाइसेंस को सुरक्षा के मद्देनजर सिर्फ फायर विभाग से लिंक करने का फैसला लिया गया है और उन्हें अब पुलिस और पर्यटन विभाग से लाइसेंस लेने की जरूरत नहीं होगी। रेस्टोरेंट को बिना किसी अतिरिक्त शुल्क दिए खुले क्षेत्रों, बालकनी, बरामदा आदि में भी संचालित करने की अनुमति दी गई है और इसके लिए अतिरिक्त शुल्क नहीं देना पड़ेगा। लाइसेंस प्राप्त परिसर के अंदर ब्रांडिंग की अनुमति होगी। रेस्टोरेंट में सभी तरह के म्यूजिक जिसमें डीजे, लाइव बैंड आदि शामिल है, इसे अनुमति दे दी गई है। पहले किसी विशेष स्थान पर शराब का स्टोर करने का निर्देश था, जिसे समाप्त कर दिया गया है और अब रेस्टोरेंट के लाइसेंस प्राप्त परिसर में कहीं पर भी स्टोर किया जा सकता है। इ सब पर सहमति बनी है। एनआरएआई ने माइक्रोब्रेवरी पाॅलिसी के तहत लगने वाले वार्षिक शुल्क को युक्ति संगत बनाने और शुल्क को कम करने का सुझाव दिया। इस पर डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा कि इसकी समीक्षा करके जल्द निर्णय लिया जाएगा।
अब दिल्ली में रेस्टोरेंट को 24 घंटे खोला जा सकेगा। रेस्टोरेंट संचालकों का सुझाव था कि यदि रेस्टोरेंट को 24 घंटे खोलने अनुमति दी जाती है, तो उन्हें दिल्ली सरकार की तरफ से किसी तरह से परेशान न किया जाए। सीएम अरविंद केजरीवाल ने एनआरएआई के सुझावों पर अपनी सहमति जताते हुए कहा कि उन्हें 24 घंटे रेस्टोरेंट खोलने पर सरकार की तरफ से किसी तरह की दिक्कत नहीं आने दी जाएगी। अगर कोई अपना रेस्टोरेंट को रात 11 बजे के बाद खोलना चाहता है, तो उसे एक अंडरटेकिंग देनी होगी कि वो अपने कर्मचारियों आदि की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखेंगे। एनआरएआई का कहना था कि दिल्ली में अभी चल रहे सभी नए और पुराने रेस्टोरेंट पर फायर नाम्र्स एक समान लागू किए जा रहे हैं। नियम के मुताबिक, रेस्टोरेंट में स्ट्रक्चरल बदलाव करने के लिए कहा जा रहा है, जबकि वो फायर सेफ्टी को लेकर आधुनिक सिस्टम का इस्तेमाल कर रहे हैं। उनका कहना है कि जो रेस्टोरेंट कई साल से चल रहे हैं, उनमें संरचनात्मक (स्ट्रक्चरल) बदलाव नहीं हो सकता है और यदि नाम्र्स का पालने करने के लिए बाध्य किया जाता है, तो करीब 90 प्रतिशत रेस्टोरेंट बंद हो जाएंगे। इस पर सहमति बनी कि जो पुराने बिल्डिंग और मार्केट एरिया हैं, जहां पर रेस्टोरेंट चल रहे हैं, उनकी जांच के लिए एक टेक्निकल कमिटी बनाई जाएगी। यह कमिटी अपने गठन के 10 दिन के अंदर ऐसे सभी रेस्टोरेंट की जांच करेगी और अपना सुझाव देगी। मुख्यमंत्री टेक्निकल कमिटी से मिले सुझावों के आधार पर निर्णय लेंगे। एनआरएआई ने दिल्ली प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड से संबंधित समस्याओं को भी बैठक में रखा। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (डीपीसीसी) ने दिल्ली में चल रहे रेस्टोरेंट को लेकर पहले से ही यह अनुमति दे रखी है कि जो रेस्टोरेंट 100 सीट से कम के है, उन्हें अलग से एफ्यूएंट ट्रीटमेंट प्लांट (ईटीपी) लगाने की आवश्यकता नहीं है। वहीं, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने देश भर के लिए एक गाइड लाइन जारी की है, जिसमें कहा गया है कि डीपी सीसी के जारी नाम्र्स केवल 36 सीट तक वाले रेस्टोरेंट के लिए होने चाहिए। 36 सीट से अधिक वाले रेस्टोरेंट को ईटीपी लगाना चाहिए। इस गाइड लाइन के बाद रेस्टोरेंट संचालकों को दिक्कत आ रही है। इनका कहना है कि दिल्ली के रेस्टोरेंट के आसपास इतनी जगह नहीं है, जिसमें ईटीपी भी लगाया जा सके। ईटीपी लगाने के लिए काफी जगह की जरूरत पड़ेगी। सीपीसीबी के नाम्र्स का पालन करने पर काफी रेस्टोरेंट बंद हो जाएंगे। डीपीसीसी ने रेस्तरां संचालकों की मांग पर सहमति जताते हुए कहा कि हम सीपीसीबी को पत्र लिखेंगे और उनसे कहेंगे कि 100 से कम सीट वाले रेस्टोरेंट में ईटीपी लगाने की आवश्यकता नहीं है, 100 सीट से अधिक वाले रेस्टोरेंट में ही ईटीपी लगाना आवश्यक किया जाए।
एनआरएआई का कहना था कि डीपीसीसी ने रेस्टोरेंट में वेंटीलेशन सिस्टम के साथ लकड़ी के कोयले के इस्तेमाल को अनुमति दी है, लेकिन नगर निगम वाले वहां जाकर उन्हें परेशान करते हैं और उनका गलत तरीके से चालान काट देते हैं। इस पर निर्णय लिया गया है कि डीपीसीसी तत्काल नगर निगमों को पत्र लिखेगा, जिसमें स्पष्ट किया जाएगा कि लकड़ी के चारकोल दिल्ली में मान्य हैं। इसके लिए सिर्फ डीपीसीसी ही जांच और चालान कर सकती है। एनआरएआई ने एक अन्य सुझाव दिया कि रेस्टोरेंट में आंतरिक उपयोग के माप, तराजू के सत्यापन और मोहर लगाने की आवश्यकता में छूट दी जानी चाहिए, क्योंकि यह ग्राहक सम्बन्धी गतिविधि नहीं है, लेकिन अधिकारी उनके किचन के अंदर भी जांच करते हैं। मुख्यमंत्री ने इस पर भी राहत देने आश्वासन दिया है। वहीं, एक रेस्त्रां संचालक और एनआरएआई के सदस्य रियाज अमलानी ने कहा, ‘दिल्ली में रोजगार सृजन के लिए रेस्त्रां प्रमुख क्षेत्रों में से एक है और दिल्ली में लाखों लोग रेस्त्रां क्षेत्र में कार्यरत हैं, जो काफी महत्वपूर्ण है। यह वर्तमान में सबसे अधिक विनियमित उद्योगों में से एक है, जिन्हें कई तरह की एनओसी और लाइसेंस लेने आवश्यकता होती है। एनआरएआई और रेस्टोरेट के सभी सदस्यों को खुशी है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में यह बैठक काफी सकारात्मक रही और मुझे उम्मीद है कि लाइसेंस लेने की प्रक्रिया में आने वाले बहुत सारे दोहराव का समाधान हो जाएगा। रेस्तरां उद्योग दिल्ली में सबसे अधिक प्रभावित उद्योगों में से एक है। यह आवश्यक उपाय रेस्टोरेंट इंडस्ट्री को और बढ़ावा देंगे और रोजगार की संभावनाएं पैदा होंगी। उद्योग को नियंत्रण मुक्त करने से और अधिक रेस्तरां खुल सकेंगे, जो अधिक रोजगार पैदा करने के साथ पर्यटन उद्योग को भी बढ़ावा देंगे। दुनिया के सबसे अधिक पर्यटन वाले शहर अपनी रात्रि चर्या (नाइट लाइफ) और रेस्तरां के लिए जाने जाते हैं।”