अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
चंडीगढ़:साइबर अपराध के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करने और पीड़ितों को समय पर राहत प्रदान करने के उद्देश्य से, इंडिया साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर ने साइबर अपराध के मामलों में फंसी राशि की वापसी के लिए एक व्यापक स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) जारी किया है। यह नया एसओपी (SOP) धोखाधड़ी से प्रभावित राशि को उसके वास्तविक मालिकों को लौटाने की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिससे जांच अधिकारी, बैंक और पीड़ितों की भूमिकाएं और जिम्मेदारियां स्पष्ट रूप से परिभाषित की जा सकें। इस पहल का उद्देश्य साइबर अपराध से संबंधित वित्तीय विवादों को तेजी और प्रभावी तरीके से संभालना है, जिससे जनता के बीच प्रणाली पर विश्वास बहाल हो सके।
जांच अधिकारियों की भूमिका
नए SOP के तहत, जांच अधिकारियों (IOs) की भूमिका महत्वपूर्ण है। आइओ का प्राथमिक उत्तरदायित्व फंसी हुई राशि के वास्तविक मालिक की पहचान करना है। इसमें कई प्रमुख कदम शामिल हैं:
1. *नोटिस जारी करना:* अगर पैसा संदिग्ध बैंक खाते में रखा गया है, तो आइओ बैंक को धारा 106(1) BNSS के तहत नोटिस जारी कर सकता है। यह कदम संदिग्ध खाते से संबंधित डिजिटल लेन-देन सेवाओं को फ्रीज या अक्षम करने के लिए महत्वपूर्ण है।
2. *सत्यापन प्रक्रिया:* IO को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि खाता धारक व्यक्तिगत रूप से या वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सत्यापन के लिए 30 दिनों के भीतर उपस्थित हो। यह प्रक्रिया खाता धारक के दावे की वैधता की पुष्टि करने के लिए महत्वपूर्ण है।
3. *अनुपालन न होने की स्थिति में रेकॉर्डिंग:* यदि खाता धारक उपस्थित नहीं होता या संतोषजनक स्पष्टीकरण प्रदान करने में विफल रहता है, तो IO को इसे रेकॉर्ड करना चाहिए और आवश्यक कदम उठाने चाहिए, जिनमें न्यायालय की कार्यवाही भी शामिल हो सकती है।
4. *न्यायालय के आदेशों का पालन:* IO को पीड़ित को फंसी हुई राशि की वापसी के संबंध में न्यायालय के आदेशों का पालन करना चाहिए। इसमें धारा 106(3) BNSS के तहत निष्पादित बांड और FIR/e-FIR की प्रति संबंधित न्यायालय को भेजना शामिल है।
बैंकों की जिम्मेदारियां
नए SOP के तहत बैंकों की भी विशेष जिम्मेदारियां हैं ताकि फंसी हुई राशि को प्रभावी ढंग से संभाला जा सके:
1. *नोटिस का उत्तर देना:* धारा 106(3) BNSS के तहत नोटिस प्राप्त करने पर, बैंकों को फंसी हुई राशि को पीड़ित को लौटाना चाहिए। यह कदम समय पर राहत के लिए महत्वपूर्ण है।
2. *NCRP को अपडेट करना:* बैंकों को नेशनल साइबरक्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP) पर फंड की रिहाई को अपडेट करना आवश्यक है। इससे पारदर्शिता सुनिश्चित होती है और सभी हितधारकों को मामले की प्रगति का पता चलता है।
3. *₹50,000 से कम राशि की स्वचालित वापसी:* यदि फंसी हुई राशि ₹50,000 से कम है, तो बैंक स्वचालित रूप से राशि की वापसी कर सकते हैं, यदि वे इसे धोखाधड़ी मानते हैं। यह बैंक की आंतरिक नीति, प्रक्रियाओं या चार्जबैक दिशानिर्देशों के आधार पर किया जा सकता है। इन लेन-देन को CFCFRMS पर रिपोर्ट और अपडेट किया जाना चाहिए।
4. *IOs के साथ समन्वय:* बैंकों को IOs के साथ सहयोग करना चाहिए और उनके निर्देशों और न्यायालय के आदेशों का पालन करना चाहिए।
पीड़ितों के लिए विकल्प
साइबर अपराध के पीड़ितों के पास नए SOP के तहत अपनी फंसी हुई राशि को वापस पाने के लिए कई विकल्प हैं:
1. *न्यायालय में आवेदन:* पीड़ित न्यायालय में धारा 497 या 503 BNSS के तहत फंसी हुई राशि की रिहाई के लिए आवेदन कर सकते हैं। यह कानूनी उपाय सुनिश्चित करता है कि पीड़ित न्याय पाने के लिए संरचित तरीके से आगे बढ़ सकें।
2. *बांड का अनुपालन:* बांड निष्पादित करने पर, पीड़ित बैंक को राशि की वापसी का निर्देश दे सकते हैं। इस प्रक्रिया में न्यायालय के आदेशों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए औपचारिक बांड शामिल होता है।
3. *कानूनी सेवाएं:* पीड़ित राज्य और जिला कानूनी सेवा प्राधिकरणों और लोक अदालतों की सेवाओं का उपयोग कर सकते हैं। ये निकाय कानूनी जटिलताओं को नेविगेट करने में मूल्यवान समर्थन प्रदान करते हैं।
4. *सुपरदारी आदेश:* पीड़ित न्यायालय से एनसीआरपी पोर्टल पर दर्ज शिकायतों के आधार पर सुपरदारी आदेश जारी करने का अनुरोध कर सकते हैं। यह प्रावधान कुछ मामलों में तेज समाधान की अनुमति देता है।
पारदर्शिता और दक्षता में वृद्धि
नया SOP साइबर अपराध के मामलों को संभालने में पारदर्शिता और दक्षता बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। IOs, बैंकों और पीड़ितों के लिए स्पष्ट और विस्तृत दिशा-निर्देश प्रदान करके, SOP सुनिश्चित करता है कि सत्यापन और वापसी प्रक्रियाओं के लिए समय पर कार्रवाई की जाए। यह कानून प्रवर्तन और वित्तीय संस्थानों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करता है, साइबर अपराध से निपटने के लिए एक सामंजस्यपूर्ण दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है।इसके अलावा, नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रिपोर्टिंग और प्रबंधन प्रणाली (CFCFRMS) और NCRP पोर्टलों पर जानकारी को अपडेट करना मामलों की प्रगति को ट्रैक करने, डेटा की अखंडता बनाए रखने और हितधारकों के बीच प्रभावी संचार को सुविधाजनक बनाने के लिए महत्वपूर्ण है।
डीजीपी शत्रुजीत कपूर का कथन
यह पहल इंडिया साइबरक्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर द्वारा साइबर अपराध से लड़ने और नागरिकों के वित्तीय हितों की रक्षा के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है। जैसे-जैसे ये नई प्रक्रियाएं प्रभावी होंगी, उम्मीद है कि पीड़ितों को अपने धोखाधड़ी वाले धन को वापस पाने के लिए एक सुचारू और अधिक उत्तरदायी प्रणाली का अनुभव होगा।
एडीजी साइबर हरियाणा, ओपी सिंह का बयान
एडीजी साइबर हरियाणा, ओपी सिंह ने नए SOP के महत्व पर प्रकाश डाला, “यह SOP हमारे साइबर अपराध के खिलाफ लड़ाई में एक गेम-चेंजर है। यह न केवल यह सुनिश्चित करता है कि पीड़ितों को उनका पैसा जल्दी से वापस मिले, बल्कि पूरी प्रक्रिया की दक्षता और पारदर्शिता भी बढ़ाता है। हमारा उद्देश्य एक मजबूत प्रणाली का निर्माण करना है जो साइबर अपराधियों को हतोत्साहित करे और जनता में विश्वास बहाल करे।”
निष्कर्ष
इस SOP की शुरुआत साइबर अपराध के पीड़ितों के लिए न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। फंसी हुई राशि की वापसी की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करके और सभी पक्षों की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करके, SOP प्रणाली में जनता का विश्वास बहाल करने और भविष्य के साइबर अपराधों को रोकने का उद्देश्य रखता है। जैसे-जैसे सभी हितधारक इस नए ढांचे के तहत मिलकर काम करेंगे, भारत में साइबर अपराध के खिलाफ लड़ाई अधिक मजबूत और प्रभावी होने की उम्मीद है।
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