अजीत सिन्हा / नई दिल्ली
पाकिस्तान की निशा राव इन दिनों दुनियाभर में चर्चा का केंद्र बनी हुई हैं. निशा पाकिस्तान की पहली ट्रांसजेंडर वकील हैं. निशा ने सड़कों से लेकर कठ घरे तक का रास्ता खुद अपने संघर्ष के दम पर बनाया है. निशा एक गैर सरकारी संगठन से भी जुड़ी हुई हैं,जो ट्रांसजेंडर्स के लिए काम करता हैरॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान की पहली ट्रांसजेंडर वकील निशा राव दुनियाभर के ट्रांसजेंडर के लिए मिसाल बन गई हैं.
निशा कराची बार एसोसिएशन से लाइसेंस हासिल करने वाली पहली ट्रांसजेंडर हैं. निशा राव के संघर्ष की कहानी विश्व भर के लोगों के लिए प्रेरणादायक है.. लाहौर में जन्मीं निशा राव जब 18 साल की हुईं तो उन्होंने अपना घर छोड़ दिया और कराची पहुंच गईं. लंबे समय तक दूसरे ट्रांसजेंडर्स की तरह उन्होंने भी सड़क किनारे लोगों से भीख मांगकर गुजारा किया. लेकिन,
उन्हें बेहतर करने का जुनून जाग उठा और उन्होंने लॉ में एडमिशन लिया और वक्त निकालकर पढ़ाई शुरू कर दी.निशा राव को कराची बार एसोसिएशन ने वकालत करने का लाइसेंस जारी किया.
निशा राव अब तक 50 केस लड़ चुकी हैं. वह ट्रांसजेंडर्स के लिए काम कर रहे एक संस्थान के साथ भी जुड़ी हुई हैं. निशा ट्रांसजेंडर्स को समाज के अन्य तबकों के साथ बराबरी में खड़ा देखना चाहती हैं. उन्होंने कहा कि वह पाकिस्तान की पहली ट्रांसजेंडर जज बनना चाहती हैं.बता दें कि पाकिस्तान में ट्रांसजेंडर्स को सामान्य लोगों के रूप में मान्यता देने के लिए 2018 में एक कानून को मंजूरी दी गई थी. इस कानून में ट्रांसजेंडर्स से भेदभाव और हिंसा के लिए सजा का प्रावधान है.