अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
चंडीगढ़: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने प्रदेश के सभी धर्म गुरुओं का आह्वान किया है कि कोरोना वायरस के कारण उत्पन्न इस परिस्थिति में सबको साथ मिलकर चलना है। कोविड -19 की रोकथाम के लिए मुख्यमंत्री ने कहा कि संकट की इस घड़ी में हमें इस तथ्य को स्वीकार करना होगा कि कोई बीमारी किसी जाति या धर्म को नहीं देखती है, इसलिए धार्मिक नेताओं को जनता को निवारक उपायों के बारे में जागरूक करना चाहिए। इसके अलावा, नॉवेल कोरोना वायरस के प्रकोप को फैलने से रोकने के लिए राज्य के लोगों को थ्री-एस यानि ‘‘स्टे-एट-होम, सोशल-डिस्टेंसिंग एवं सैनिटेशन ’’ का मंत्र देते हुए उन्होंने कहा कि कोविड-19 का मुकाबला करने के लिए अपनी तैयारियों को पूरा करते हुए राज्य सरकार ने 5 करोड़ नए मास्क के आर्डर दिए हैं। मनोहर लाल आज यहां वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से राज्य के सभी जिलों से हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई, जैन इत्यादि धर्मों के लगभग 300 धर्म गुरूओं से बातचीत कर रहे थे।
उन्होंने धार्मिक नेताओं से आग्रह किया कि यदि किसी व्यक्ति में कोविड -19 के लक्षण हैं, तो उन्हें समझाएँ कि वे स्वयं कोविड-19 की जांच के लिए आगे आएं तभी इस वायरस को फैलने वाली श्रृंखला को तोड़ा जा सकता है। मुख्यमंत्री ने सभी धर्म गुरुओं द्वारा दिए गए सुझाव धैर्यपूर्वक सुने और उन्होंने धार्मिक नेताओं को आश्वासन दिया कि लोगों की भावनाओं को आहत नहीं किया जाएगा।मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने आज विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की और बैठक में इन प्रतिनिधियों ने इस संकट के समय पर पूर्ण समर्थन देने की पेशकश भी की है। उन्होंने कहा कि कोरोना रिलीफ फंड में अपने एक महीने के वेतन का योगदान देने के अलावा विधायकों ने अगले एक साल के लिए अपने वेतन में से 30 प्रतिशत कटौती की पेशकश भी की है। इसके अलावा, उन्होंने एक साल के लिए ‘विधायक आदर्श ग्राम योजना’ के तहत 2 करोड़ रुपये का वार्षिक अनुदान नहीं लेने का भी फैसला किया है। इसी तरह, सभी मंत्रियों ने भी अपने ऐच्छिक कोटे का आधा से अधिक हिस्सा योगदान देने का निर्णय लिया है। राष्ट्रीय राजधानी के निजामुद्दीन इलाके में धार्मिक सभा के मुद्दे का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इस तरह की जमात होना कोई गलत बात नहीं है क्योंकि यह एक नियमित घटना थी लेकिन उन्हें सतर्क रहना चाहिए था। उन्होंने कोरोना वायरस के खतरे के चलते समुदाय से जुड़े लोगों से आग्रह करते हुए कहा कि एहतियात के तौर पर ऐसे लोगों को इस बात पर ध्यान नहीं देना चाहिए कि वे कोरोना से प्रभावित हैं या नहीं, परंतु क्वारंटीन में रहना चाहिए। किसी भी लक्षण के मामले में, उन्हें तुरंत डॉक्टरों से संपर्क करना चाहिए और सभी आवश्यक परीक्षण करवाने चाहिए।
उन्होंने कहा कि कुछ लोग डर या सामाजिक आपत्ति के कारण आगे नहीं आ रहे हैं, लेकिन ऐसा करने से वे स्वयं के साथ-साथ दूसरों के जीवन को भी खतरे में डाल रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही अफवाहों की घटना पर भी गंभीरता से विचार किया है। उन्होंने कहा कि ऐसी अफवाहें फैलाने वालों और फर्जी संदेशों के जरिए समाज में नफरत फैलाने वालों के विरूद्ध एफआईआर दर्ज की जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि ‘‘जान है तो जहान है’’। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि राज्य में कोई भी गरीब व्यक्ति भोजन से वंचित न रहे। उन्होंने कहा कि प्रति सप्ताह 1000 रुपये की वित्तीय सहायता गरीब लोगों के बैंक खातों और गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों को हस्तांतरित की जा रही है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामले विभाग के उचित मूल्य की दुकानों पर पीला, गुलाबी और खाकी कार्ड धारकों के लिए डबल राशन का प्रावधान किया है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में लॉकडाउन के दौरान लोगों को हो रही समस्या के समाधान के लिए राज्य सरकार द्वारा पांच हेल्पलाइन संचालित की जा रही हैं।उन्होंने कहा कि अधिकारी मेडिकल प्रोटोकॉल का पालन कर रहे हैं और सभी को यह समझना होगा कि संकट की इस घड़ी में सभी समुदाय के लोगों को एकजुट रहना होगा तभी इस लड़ाई की जीत होगी। उन्होंने धार्मिक संगठनों से यह भी आग्रह किया कि वे अपने अनुयायियों को विभिन्न सामाजिक कार्यों जैसे खाद्य पदार्थ, राशन इत्यादि के वितरण में संकट के इस समय में गरीब लोगों की मदद करें। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के प्रकोप को रोकने के लिए इन संगठनों व व्यक्तियों को प्रभावी ढंग से कोरोना रिलीफ फंड में उदारतापूर्वक योगदान देना चाहिए। उन्होंने ऐसे सभी संगठनों व व्यक्तियों का भी धन्यवाद किया, जिन्होंने इस कोष में योगदान किया है। मनोहर लाल ने कहा कि आने वाले त्योहारों और उत्सवों को देखते हुए लोगों को किसी भी तरह के आयोजन से बचना चाहिए और इन अवसरों को अपने परिवार के सदस्यों के साथ अपने घर पर ही मनाना चाहिए।