अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
गुरुग्राम: कार्यशाला में नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से पासआउट व पिछले 50 वर्षों से कला के क्षेत्र में अपना योगदान दे रहे सीनियर आर्टिस्ट युवराज शर्मा ने प्रचार अमले से जुड़े कलाकारों को रंगमंच व लोगों के बीच पहुँचकर स्वयं को व अपनी कला को कैसे प्रस्तुत करना है। इसकी सूक्ष्म बारीकियां भी सिखाई। उन्होंने कहा कि रंगमंच को पहली शर्त है कि आप एक्ट मत करो, केवल रिएक्ट करो। जनमानस आपकी इसी क्रिया के माध्यम से सीधे मन से जुड़ेगा। उन्होंने कहा कि आपको अपनी प्रस्तुति देते हुए यह ध्यान रखना होगा कि आपके शब्दों से आपके चेहरे के भाव जरूर मिलने चाहिए। युवराज शर्मा ने कलाकार की क्या महत्ता होती इस प्रकाश डालते हुए कहा कि आप जब भी फील्ड में जाए तो अपने मन मे सरकारी व गैरसरकारी का भाव ना रखे। इस दौरान कला ही आपका मूलमंत्र होना चाहिए, तभी आपकी साधना सफल होगी। इस दौरान उन्होंने कलाकारों को स्ट्रीट नाटक व नुक्कड़ नाटक में क्या अंतर होता है व कलाकारों की मंच से जुड़ी विभिन्न शंकाओं का निवारण भी किया।
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