अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद:तजाकिस्तान के उजांद शहर से आई सौयोदा सूरजकुंड मेले के सांस्कृतिक मंचों पर अपने कमाल और जमाल से दर्शकों के लिए आकर्षण का केंद्रबिंदु बनी हुई है। लोक नर्तकी सौयोदा को देखकर लगता नहीं है कि वह जीवन के 42 वसंत देख चुकी हैं। अभी भी उनके डांस में ऐसी ताजगी है, जैसे 16-17 साल की कोई युवती मंच पर नाच रही हो। सौयोदा के डांस की यह विशेषता है कि वह अपने नृत्य मेेें तजाकिस्तान के पूर्व-पश्चिम एवं उत्तर-दक्षिण चारों दिशाओं के क्षेत्रों की संस्कृति को समाहित करके दिखाती हैं। इनमें सुगदय, माफरीगी, शोदोयाना, कॉशोख शामिल हैं।
एक गोल दायरे में ही रक्स करने को सौयोदा ने बताया कि इसे दोयोरा राक्सी कहा जाता है। सौयोदा ने बताया कि उसने पंद्रह साल की उम्र में डांस सीखना शुरू किया था। अब वह 26 सालों की कड़ी मेहनत करने के बाद कुशल नृत्यांगना बन पाई है। सौयोदा ने बताया कि वह दुंशाबे नामक स्थान पर कोरियोग्राफी स्कूल में डांस सिखाती है और फिलहाल वह एक सरकारी नृत्य प्रशिक्षक है।
सौयोदा ने बताया कि उसके पति ईसा ख्वाजा तजाकिस्तान की आर्मी में है। उसके तीन बेटे हैं,जिनकी आयु 22 साल,15 साल और 11 साल है। उसके डांस ग्रुप फलक में सुराइयो फाइजीवा, ओगेलोई खुदाईविदीव नामक युवा नृत्यांगना सहित पांच सदस्य है। सौयोदा ने बताया कि सूरजकुंड में आकर उसे काफी प्रसन्नता महसूस हो रही है। भारत के लोगों ने उसके डांस को काफी पसंद किया है।