अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद; एनआईटी स्थित महारानी वैष्णो देवी मंदिर में दूसरे नवरात्रे पर मां ब्रह्मचारिणी की भव्य पूजा अर्चना की गई। इस अवसर पर मंदिर में प्रातः कालीन आरती के लिए श्रद्धालुओं का तांता लग गया और सभी भक्तों ने मां की पूजा अर्चना में हिस्सा लिया। इस अवसर पर मंदिर में मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना करने के लिए विशेष तौर पर पूर्व मंत्री ए.सी.चौधरी, सुरेंद्र गेरा एडवोकेट, उद्योगपति प्रदीप झांब, कांशीराम, बलजीत सिंह, सचिन गौड़, प्रीतम धमीजा एवं कुलदीप सिंह पहुंचे। इन सभी ने मां के दरबार में अपनी हाजिरी लगाई और उनसे मन की मुराद मांगी। मंदिर संस्थान के प्रधान जगदीश भाटिया ने सभी भक्तों का स्वागत किया। भाटिया ने प्रातः कालीन आरती और हवन यज्ञ का शुभारंभ करवाया। इस अवसर पर उन्होंने श्रद्धालुओं को मां ब्रह्मचारिणी की मुख्य बातें बताई और कहा कि जो भी भक्त सच्चे मन से माता रानी से अपनी मुराद मांगता है, वह अवश्य पूरी होती है।
नंगे पैर ही रहती हैं मां ब्रह्मचारिणी
भाटिया ने बताया कि मां ब्रह्मचारिणी को चीनी से बने हुए मीठे पदार्थ अति प्रिय होते हैं और उनका प्रिय रंग संतरी है। उनका एक अन्य नाम भी प्रचलन में है और उन्हें देवी अपर्णा के नाम से भी जाना जाता है। वह हमेशा नंगे पैर ही चलती हैं तथा उनके दो हाथ हैं, जिनमें दाहिने हाथ में जपमाला और बाएं हाथ में कमंडल रहता है। भाटिया ने बताया माता ने इस रूप में फल-फूल के आहार से 1000 साल व्यतीत किए, और धरती पर सोते समय पत्तेदार सब्जियों के आहार में अगले 100 साल और बिताए। जब माँ ने भगवान शिव की उपासना की तब उन्होने 3000 वर्षों तक केवल बिल्व के पत्तों का आहार किया। अपनी तपस्या को और कठिन करते हुए, माँ ने बिल्व पत्र खाना भी छोड़ दिया और बिना किसी भोजन और जल के अपनी तपस्या जारी रखी, माता के इस रूप को अपर्णा के नाम से जाना गया।