अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:देश में तेज़ी से बढ़ते ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री को भारी टैक्स के बोझ के तले दबने से बचाने के लिए वित्त मंत्री आतिशी आज 52वीं जीएसटी काउंसिल की बैठक में ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री को दिए गये 1.5 लाख करोड़ के टैक्स नोटिस को वापस लेने की माँग उठायेंगी। वित्त मंत्री आतिशी ने शनिवार सुबह डिजिटल प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से ये बात साझा कि। उन्होंने कहा कि, भारी टैक्स के बोझ तले देश में स्टार्टअप इंडस्ट्री के सबसे तेजी से बढ़ते सेक्टर ऑनलाइन गेमिंग की कमर टूट जाएगी। नए जीएसटी दर के साथ-साथ भारी टैक्स के नोटिस से न केवल ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री पर बुरा प्रभाव पड़ेगा बल्कि निवेशक भी भारतीय स्टार्ट-अप्स में निवेश करने से कतरायेंगे और पूरे स्टार्ट-अप्स इको-सिस्टम पर इसकी मार पड़ेगी। एक तरफ केंद्र सरकार स्टार्ट-अप्स को प्रमोट करने की बात करती है और दूसरी ओर स्टार्ट-अप्स से निकली ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री को टैक्स के बोझ के तले दबाना चाह रही है।
उन्होंने कहा कि,ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री की वर्तमान में कुल वैल्यूएशन 23,000 करोड़ रुपये है। उसके आड़ केंद्र द्वारा उसपर 1.5 लाख करोड़ का टैक्स थोपना यानी इंडस्ट्री को तबाह करने जैसा है। ये अस्थिर टैक्स परिस्थितियाँ न केवल ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री बल्कि पूरे स्टार्टअप व एंटरप्रेन्योरशिप इंडस्ट्री को बुरी तरह से प्रभावित करेगा, तेजी से बढ़ती कंपनियाँ बंद होने की कगार पर पहुँच जाएगी। ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री के बर्बाद होने का मतलब है इनमें काम करने वाले 50,000 से ज़्यादा युवा प्रोग्रामर्स,वेब डेवलपर्स का बेरोजगार हो जाना। ऐसे में इन कंपनियों को बंद होते देख युवा स्टार्टअप में जाने से कतरायेगा और नौकरियों की तरफ़ जाएगा। फिर कैसे देश से बेरोजगारी की महामारी दूर होगी। इसलिए वित्त मंत्री आतिशी आज जीएसटी काउंसिल की बैठक में ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री की बचाने के लिए ऐसे टैक्स नोटिस जो इस इंडस्ट्री को ख़त्म कर देंगे उन्हें वापिस लेने की माँग करेंगी। वित्त मंत्री आतिशी ने कहा कि, भारत की आर्थिक तरक्की में स्टार्टअप ने, एंत्रप्रेन्योर्स ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इन्होंने अर्थव्यवस्था को तो मज़बूती दी ही है साथ ही बड़ी संख्या में नौकरियाँ भी दी है। लेकिन ये बेहद दुखद है कि एक ओर तो देश में स्टार्टअप को बढ़ाने, एंत्रप्रेन्योरशिप को बढ़ाने की बात हो रही है, ‘स्टार्ट अप इंडिया’ जैसे नीतियों की बात करते है तो वही दूसरी तरफ़ जीएसटी काउंसिल कई ऐसे निर्णय ले रही है जो हमारे देश के स्टार्टअप इंडस्ट्री के सबसे तेज़ी से उभरते सेक्टर को ख़त्म करने का काम करेगा। उन्होंने कहा कि, आज देश में ऑनलाइन गेमिंग, स्टार्टअप सेक्टर में सबसे बड़ा और तेज़ी से बढ़ता सेक्टर है। इस सेक्टर में आज 50,000 से ज़्यादा लोग काम कर रहे है। इस इंडस्ट्री में विदेशी निवेशकों ने 17,000 करोड़ रुपये से ज़्यादा निवेश किए है। पूरे देश में 40 करोड़ से ज़्यादा लोग ऑनलाइन मनोरंजन के लिए गेमिंग प्लेटफ़ार्म्स पर लुडो, शतरंज, कैरम जैसे छोटे-छोटे गेम्स खेलते है। और इस सेक्टर को भारतीय स्टार्टअप सेक्टर का ‘सनराइज सेक्टर’ माना जाता है। लेकिन जीएसटी काउंसिल ने अपनी 50वीं बैठक में निर्णय लिया, और ऑनलाइन गेमिंग सेक्टर पर 28% जीएसटी लगा दिया जो जीएसटी की सबसे अधिकतम दर है। दिल्ली ने इसका विरोध भी किया, इसलिए क्योंकि ऑनलाइन सेक्टर लक्ज़री नहीं है, ये बैटिंग, गैम्बलिंग, हॉर्स-रेसिंग की तरह नहीं है जहां कुछ रईस लोग ही शामिल होते है। ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफार्म पर गेम खेलने वाले लोग मुख्यत ऐसे लोग है, जो टियर-2, टियर-3 के शहरों में रहते है और मनोरंजन के लिए इन प्लेटफ़ार्म्स पर छोटे-मोटे गेम्स खेलते है। वित्त मंत्री आतिशी ने कहा कि, ऐसे में अगर एकदम से इस इंडस्ट्री पर 28% टैक्स लगा दिया जाता है तो उसपर बहुत विपरीत असर पड़ता है। अगर लीगल ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री पर टैक्स का इतना ज़्यादा बोझ डाला जाता है तो इससे इससे ग़ैर-क़ानूनी तरीकों को तो बढ़ावा मिलेगा ही साथ ही बहुत से स्टार्टअप बंद हो जाएँगे। लेकिन फिर भी जीएसटी काउंसिल ने ऐसा करने का निर्णय लिया। इसमें अच्छी बात ये रही कि काउंसिल ने भी निर्णय लिया कि 6 महीने के भीतर 28% टैक्स को रिव्यू करेंगे और अगर इंडस्ट्री के ग्रोथ में गिरावट देखने को मिली तो टैक्स पर पुनर्विचार किया जाएगा। उन्होंने साझा किया कि, ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री पर 28% टैक्स 1 अक्टूबर से लागू होना था लेकिन उससे पहले ही जीएसटी काउंसिल के डीजीजीआई ने सारे ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री को पिछले 6 साल के 1.5 लाख करोड़ रुपये के टैक्स के नोटिस भेज दिए। वित्त मंत्री आतिशी ने कहा कि, एक इंडस्ट्री जिसकी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार वर्तमान वैल्यू 23,000 करोड़ रुपये है उसे अपने वैल्यू के 6 गुणा से भी ज़्यादा यानि 1.5 लाख करोड़ के टैक्स के नोटिस भेजे जाते है। इस तरीके से तो पूरा ऑनलाइन गेमिंग सेक्टर ही तबाह हो जाएगा। यहाँ एक भी कंपनी नहीं बच पाएगी जो अपनी कुल कीमत जितना टैक्स भर पाएगी। उदाहरण के लिए एक ऐसी कंपनी जिसकी वैल्यूएशन 19,000 करोड़ रुपये है, उसे 10,000 करोड़ रुपये का टैक्स नोटिस आया है, साफ़ है कि कंपनी इतना टैक्स नहीं भर सकती। इसका नतीजा होगा कि ये कंपनियां टैक्स नहीं भर पाएगी, टैक्स भरने के लिए बंद हो जाएगी। और अगर ये कंपनियाँ बंद हो गई तो इनमें काम करने वाले 50,000 से ज़्यादा युवा,प्रोग्रामर्स,वेब डेवलपर बेरोज़गार हो जाएँगे। साथ ही इस पूरे सेक्टर में आगे बढ़कर नौकरियां प्रदान करने की जो शक्ति है वो ख़त्म हो जाएगी। उन्होंने कहा कि इस सेक्टर में 17,000 करोड़ का विदेशी निवेश आ चुका है और 25,000 करोड़ का निवेश पाइपलाइन में है। ऐसे में टैक्स इतना अस्थिर होगा तो विदेशी निवेशक इन कंपनियों में निवेश करने से कतरायेंगे। साथ ही ये अस्थिर टैक्स परिस्थितियाँ न केवल ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री बल्कि पूरे स्टार्टअप व एंत्रप्रेन्योरशिप इंडस्ट्री को बुरी तरह से प्रभावित करेगा। क्योंकि निवेशकों को अपने पैसों के डूबने का डर होगा और कोई भी विदेशी निवेशक भारतीय स्टार्टअप में निवेश नहीं करना चाहेगा। सबसे ज़रूरी बात, इन कंपनियों को बंद होते देख युवा स्टार्टअप्स में जाने से कतरायेगा वो देखेगा कि ग्रोथ होने के बावजूद जब सरकार स्टार्टअप पर इतना बड़ा टैक्स थोप देगी तो स्टार्टअप्स बर्बाद हो जाएँगे। ऐसे में युवा स्टार्टअप्स के बजाय नौकरियों की तरफ़ भागेंगे। वित्त मंत्री आतिशी ने कहा कि, अगर युवा स्टार्टअप करने से डरने लगेगा तो हमारा अगला फ्लिपकार्ट कहा से आएगा, अगला ज़ोमैटो कहा से आएगा, अगला पेटीएम, अगला भारत में कहा से आएगा।इसलिए ज़रूरी है कि ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री की बचाने के लिए ऐसे टैक्स नोटिस जो इस इंडस्ट्री को ख़त्म कर देंगे उन्हें वापिस ले लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि वो आज जीएसटी काउंसिल में इन नोटिस को वापस लेने की माँग उठायेंगी।
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