अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
हरियाणा, दादरी: स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आज पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने यदुवंशी शिक्षा निकेतन का उद्घाटन किया। इस मौके पर पूर्व विधायक राव बहादुर सिंह की तरफ से जनसभा का आयोजन किया गया था। इसमें हजारों की तादाद में पहुंचे लोगों ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा का जोरदार स्वागत किया। इस मौके पर हुड्डा ने सभी प्रदेश व देशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं दीं। उन्होंने का कि 14 और 15 अगस्त 1947 की रात को ब्रिटिश शासन के यूनियन जैक को उतार कर तिरंगा फहराया गया तो एक आजाद भारत का उदय हुआ था। लेकिन इस दिन के लिए संघर्ष 1857 से ही शुरू हो गया था। इसके बाद लाखों क्रांतिकारियों ने अपनी जान की कुर्बानी दी, लाखों ने जेल की यातनाएं सही। तब जाकर हमें यह दिन नसीब हुआ। इसलिए हमारा देश हमेशा स्वतंत्रता सेनानियों, सैनिकों और शहीदों का कर्जदार रहेगा। हम सबको मिलकर शहीदों के सपनों का भारत बनाने के लिए प्रयास करने चाहिए।
हुड्डा ने कहा कि आजादी मिलने लेकर आज तक हमारे देश का सफर बेहद चुनौतीपूर्ण रहा है। क्योंकि जब देश आजाद हुआ तो हमारे पास खाने के लिए अनाज तक नहीं था। अमेरिका से अनाज मंगवाकर हमें अपना पेट भरना पड़ता था। लेकिन उसके बाद देश के किसान और मजदूरों ने दिन-रात मेहनत करके भारत को ऐसी स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया कि अब हम दूसरे देशों को अनाज निर्यात कर सकते हैं। जब देश आजाद हुआ तो हमारे देश में सुई तक नहीं बनती थी, लेकिन अब यह देश बड़े-बड़े जहाज बनाता है।
इसी तरह किसान, मजदूर, कर्मचारी, व्यापारी समेत हर वर्ग, हर जाति और हर धर्म के लोगों ने इस देश की तरक्की में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। भविष्य में भी हमारी जिम्मेदारी बनती है कि सब जाति और धर्म से ऊपर उठकर देश को आगे बढ़ाने का प्रयास करें।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि जिस तरह दुनिया 1947 में भारत की तरफ शंका की नजर से देख रही थी, उसी तरह 1966 में हरियाणा बनने के बाद भी सवाल उठाए जा रहे थे। शंका जाहिर की जा रही थी कि हरियाणा अपने पैरों पर खड़ा हो पाएगा या नहीं। लेकिन हमारे हरियाणा के लोगों ने जी तोड़ मेहनत की। इसका नतीजा यह रहा कि 2014 तक हरियाणा पूरे देश में प्रति व्यक्ति आय और निवेश में नंबर वन राज्य था। हुड्डा ने राव बहादुर सिंह द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में दिए गए महत्वपूर्ण योगदान की सराहना की। उन्होंने कि आज दुनिया में वहीं परिवार, समाज और देश आगे जाएगा जो शिक्षा में आगे बढ़ेगा। कांग्रेस सरकार के दौरान उन्होंने इसी सोच को अमलीजामा पहनाने की कोशिश की।
पूर्व मुख्यमंत्री ने बताया कि उनकी सरकार आने से पहले प्रदेश के युवाओं को मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए दूसरे राज्यों में जाना पड़ता था। लेकिन उनकी सरकार के दौरान प्रदेश में मेडिकल और इंजीनियरिंग की शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया। प्रदेशभर में कॉलेज स्थापित किए गए।
हरियाणा को शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणि बनाने के लिए पंचकूला में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फेशन टेक्नोलॉजी, कुरूक्षेत्र में नेशनल इंस्टीट्यू ऑफ डिजाइन, करनाल में कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज, सोनीपत में महिला यूनिवर्सिटी, महिला मेडिकल कॉलेज, राजीव गांधी एजुकेशन सिटी (जिसमें अशोका, डॉ. अंबेडकर लॉ यूनिवर्सिटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थान हैं), फरीदाबाद में मेडिकल कॉलेज, वाईएमसीए को यूनिवर्सिटी, गुड़गांव में देश की पहली डिफेंस यूनिवर्सिटी, मेवात में मेडिकल कॉलेज, रेवाड़ी में इंदिरा गांधी यूनिवर्सिटी और सैनिक स्कूल, महेंद्रगढ़ में सेंट्रल यूनिवर्सिटी, भिवानी में चौधरी बंसीलाल के नाम से यूनिवर्सिटी, रोहतक में मेडिकल कॉलेज को यूनिवर्सिटी, आईआईएम, झज्जर में एम्स, जींद में चौ. रणबीर सिंह यूनिवर्सिटी, हिसार में लाला लाजपत राय के नाम से यूनिवर्सिटी की स्थापना की गई। इतना ही नहीं सिरसा में चौ. देवीलाल यूनिवर्सिटी के नाम से 4 कमरों की इमारत को भी यूनिवर्सिटी का संपूर्ण रूप देते हुए राष्ट्रीय स्तर का संस्थान बनाया गया।
लेकिन आज देखकर दुख होता है कि प्रदेश की प्रतिष्ठित रोहतक की एमडीयू, हिसार की जीजेयू और कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी की राष्ट्रीय रैंक लगातार गिरती जा रही है। हमारे विश्वविद्यालय टॉप 100 से बाहर हो रहे हैं। हुड्डा ने कहा कि शिक्षा ही नहीं, ऐसा लगता है कि हर क्षेत्र में हरियाणा का विकास ठहर सा गया है। क्योंकि प्रदेश में इवेंट मैनेजमेंट वाली नॉन प्रर्फोमिंग सरकार चल रही है। इस सरकार की कुनीतियों ने हरियाणा को महंगाई, बेरोजगारी और अपराध में नंबर वन प्रदेश बना दिया है। प्रदेश का युवा आज बेरोजगारी का दंश झेल रहा है। पूरी दुनिया में देश का परचम लहराने वाले खिलाड़ियों के सम्मान के साथ सरकार द्वारा खिलवाड़ किया जा रहा है। कांग्रेस कार्यकाल में खेल नीति के तहत खिलाड़ियों डीएसपी जैसे उच्च पदों पर नियुक्ति दी जाती थी। लेकिन आज उन्हें ग्रुप सी और डी की नौकरियां दी जा रही हैं।
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