अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शनिवार को एक डिजिटल प्रेस कॉन्फ्रेंस के मध्याम से किसान आंदोलन को लेकर दिल्ली सरकार द्वारा तय वकीलों के पैनल को उपराज्यपाल द्वारा रिजेक्ट करने पर विरोध जताया। उन्होंने कहा कि कोर्ट में किसान विरोधी भाजपा का पर्दाफाश न ही जाए इस लिए उपराज्यपाल ने दिल्ली सरकार की कैबिनेट द्वारा तय किए गए पैनल को रिजेक्ट किया है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा राज्य सरकार और उपराज्यपाल के अधिकारों की व्याख्या करने के बावजूद राज्यपाल द्वारा कैबिनेट निर्णयों में इस तरह बार-बार अड़ंगा लगाना न सिर्फ दिल्ली वालों का अपमान है बल्कि लोकतंत्र के विरुद्ध भी है।
एलजी के इस निर्णय का विरोध जताते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि, दिल्ली के लोगों ने एतिहासिक बहुमत से “आप” सरकार बनायी और भाजपा को हराया। भाजपा देश चलाये, “आप” को दिल्ली चलाने दे। आए दिन हर काम में इस तरह की दख़ल दिल्ली के लोगों का अपमान है। भाजपा जनतंत्र का सम्मान करे।उपमुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली कैबिनेट में 19 जुलाई को फैसला लिया गया था कि किसान आंदोलन को लेकर कोर्ट में जो केस चल रहा है उसमें वकीलों की नियुक्ति दिल्ली सरकार द्वारा की जाएगी। लेकिन उपराज्यपाल ने शनिवार को दिल्ली सरकार के इस फैसले को पलट दिया और फ़ाइल राष्ट्रपति के पास भेज दी। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि संविधान में दिल्ली की चुनी हुई सरकार के मुख्यमंत्री के पास वकीलों की नियुक्ति का अधिकार दिया गया है। इसके बावजूद उपराज्यपाल द्वारा कैबिनेट के फैसले को पलटना संविधान के खिलाफ है। और यदि वकीलों की नियुक्ति भी उपराज्यपाल को ही करनी है। तो संविधान में जनता द्वारा चुनी गई सरकार के अधिकारों का क्या होगा।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में 5 वरिष्ठ जजों की संवैधानिक बेंच ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा था कि दिल्ली के उपराज्यपाल के पास केवल दो ही अधिकार है। या तो वह चुनी हुई सरकार के निर्णय से सहमत होंगे और उसके अनुसार काम करेंगे। और अगर असहमत होंगे तो फिर अपनी असहमति राष्ट्रपति के पास भेजेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा था कि उपराज्यपाल को इस प्रकार असहमत हो कर किसी मामले को निर्णय के लिए राष्ट्रपति के पास भेजने का अधिकार बेहद असाधारण परिस्थितियों में ही दिया गया है। न कि हरेक मामले में। उसके बावजूद केंद्र सरकार द्वारा एलजी के ऊपर दबाव बनाकर उनके अधिकारों का दुरुपयोग हर मामले में किया जा रहा है। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा उपराज्यपाल के माध्यम से दिल्ली की चुनी हुई सरकार के संवैधानिक अधिकारों का लगातार हनन किया जा रहा है और दिल्ली सरकार के सभी निर्णयों में अड़ंगा लगाया जा रहा है। केंद्र सरकार को संविधान पढ़ने की जरूरत है और ये सोचने की जरूरत है कि जब जनता द्वारा चुनी गई सरकार को काम करने ही नहीं दिया जा रहा है तो चुनाव करवाने की क्या ज़रूरत है, संविधान की क्या ज़रूरत है। ये केंद्र की भारतीय जनता पार्टी के असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक रवैये को दिखाता है।उपमुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार से सवाल करते हुए कहा कि केंद्र की दिल्ली सरकार द्वारा तय किए गए वकीलों के पैनल को रिजेक्ट करने में ऐसी क्या दिलचस्पी है? कहीं केंद्र सरकार को ये डर तो नहीं है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा तय किए गए वकीलों का पैनल कोर्ट में केंद्र सरकार द्वारा किसानों के खिलाफ की जा रही साज़िश का पर्दाफाश कर देगा। उपमुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार को नसीहत देते हुए कहा कि केंद्र सरकार किसानों और दिल्ली सरकार के मामलों में टांग अड़ाना बंद करें।
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