अरविन्द उत्तम की रिपोर्ट
वैसे तो कुत्ते को वफादार जानवर माना जाता है लेकिन आवारा कुत्तों की दहशत से पूरा शहर त्रस्त है। आवारा कुत्ते इन दिनो आतंक का पर्याय बन गए है। सेक्टर व सोसायटियों की सड़कों पर कुत्तों का खौफ व्याप्त है। आए दिन खूंखार कुत्ते लोगों को अपना निशाना बना रहे हैं। ताजा मामला ग्रेटर नोएडा वेस्ट स्थित स्प्रिंग मीडोज सोसाइटी का है जहां आवारा कुत्तों का आतंक इस कदर है कि शाम ढलते ही लोग घरों से निकलना बंद कर देते है। बच्चे खेलने के लिए भी नही जा पा रहे है। बिल्डर, प्रशासन पुलिस से शिकायत करने के वावजूद कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।
स्प्रिंग मीडोज सोसाइटी के सीसीटीवी के कैमरो कैद आवारा कुत्तों का खौफ साफ देखा जा सकता है, किस तरह सोसायटी में टहल रहे एक व्यक्ति को ओर एक-एक पाँच कुत्ते दबे पाँव आते और उस पर अटैक कर देते है। स्प्रिंग मीडोज सोसायटी के रेजिडेंस विकास कटियार कहते हैं कि कुत्तों की समस्याएं लगातार बढ़ती जा रही है, यहां लगातार 15 दिनों में आधा दर्जन से ज्यादा लोग कुत्ते के हमलो का शिकार हो चुके हैं। इसके लिए ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी, बिल्डर, और जो मेंटेनेंस एजेंसी है उस से भी बात की गई है। लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकाल पाया है। अवनीश कहते हैं कि यहां पांच-छह कुत्ते झुंड में रहते हैं अगर आप उस कोर्नर पर जाए तो वहां पर आपको अभी भी पांच-छह कुत्ते बैठे हुए मिलेंगे। वे कहते हैं कि यह कुत्ते लगातार आक्रमक हो रहे हैं। बड़े लोगों से यह कुत्ते लिपट जाते हैं ऐसे छोटे -छोटे बच्चों का क्या है, वहीं इनके शिकार हो रहे हैं। यही कारण हैं कि बच्चों को घर से उनके मां-बाप उन्हें बाहर नहीं निकलने दे रहे हैं और वे अपने घरों में कैद होकर रह गए हैं।
आए दिन यहाँ कुत्तो का अटैक बढ़ता जा रहा है, अभी 15 मिनट पहले ही एक बच्चे पर कुत्ते ने अटैक किया है। सोसाइटी वॉल कॉपी छोटी है जहां से कूद कर यह कुत्ते सोसाइटी में घुस जाते हैं। कपिल कहते हैं कि उनके बेटे के ऊपर 2 दिन पहले ही कुत्तों अटैक किया था। इस सोसाइटी में आप बच्चे को 5 मिनट के लिए भी अकेला नहीं छोड़ सकते हैं। ग्रेटर नोएडा वेस्ट की इकोविलेज, स्टेलर जीवन, लारेजिडेसिया, पामओलंपिया, गौर सिटी समेत ग्रेनो के अल्फा, बीटा, गामा, सिग्मा, सेक्टर-36, 37 डेल्टा, स्वणनगरी समेत अन्य सेक्टरों में लगातार लोग कुत्तों के आतंक से खौफजदा है। लोगों का आरोप है कि लॉकडाउन खुलने के बाद कुत्तों का स्वभाव ही बदल गया है। लोगों को देखते हुए कुत्ते काटने को दौड़ उठते है। गौर सिटी के रेजिडेंस तो कुत्तो की समस्यो को लेकर कैन्डल मार्च तक निकाल चुके है।
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